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तिरंगे में बलिदानी अंशुमान का पार्थिव शरीर देख बिलख पड़ी पत्नी, टूटा जन्‍मों का वादा तो कहा- हर सपना होगा पूरा

लद्दाख के सियाचिन में सेना के बंकर में आग लगने से बलिदान हुए कैप्टन अंशुमान सिंह का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो पूरा इलाका गम में डूब गया। घरवालों की चीख-पुकार से पूरा गांव गूंज उठा। पत्नी बहन व अन्य सदस्यों के आंसुओं की धारा रुकने का नाम ही नहीं ले रही। फरवरी माह में सृष्टि के साथ अंशुमान सात जन्मों का साथ निभाने का वादा किया था।

By Pragati ChandEdited By: Pragati ChandUpdated: Sat, 22 Jul 2023 10:41 AM (IST)
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कैप्टन अंशुमान का पार्थिव दरवाजे पर पहुंचा तो फफककर रो पड़ीं पत्नी सृष्टि। सौ. आनंद मणि

देवरिया, जागरण संवाददाता। बरडीहा दलपत गांव में बलिदानी कैप्टन अंशुमान सिंह का तिरंगे में लिपटा पार्थिव पहुंचा तो पत्नी सृष्टि सिंह की चीख ने सभी को मर्माहत कर दिया। वह बोली मुझे न रोको, कर लेने दो अंतिम बार दीदार। उनके शब्द ने सभी को झकझोर कर रख दिया। बदहवा सृष्टि को सेना के अधिकारी शुभम ब्रह्मा भक्तों ने किसी तरह संभाला। वहीं परिवार वालों की दहाड़ सुन मौजूद भीड़ भी अपने आंसुओं को रोक नहीं सकी।

सृष्टि बोली- सभी सपनों को करुंगी पूरा

फरवरी माह में कैप्टन अंशुमान सिंह ने सृष्टि सिंह के साथ सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा करते हुए सात फेरे लिए थे। चंद महीनों में सृष्टि का अंशुमान साथ छोड़ दिए। जब दरवाजे पर पार्थिव पहुंचा तो वह दहाड़ मारकर रोने लगी। बार-बार वह ताबूत की तरफ बढ़ जाती। पिता समझा-बुझाकर हटाते। सृष्टि ने कहा कि पति के सभी सपनों को पूरा करुंगी।

अंतिम बार चेहरा नहीं देख सके स्वजन

बलिदानी कैप्टन अंशुमान सिंह का अंतिम बार चेहरा परिवार के सदस्यों के साथ ही अन्य लोग भी नहीं देख सके। मेजर हर्षदीप सिंह पार्थिव लेकर आए थे। उनकी माने तो शरीर का हिस्सा कुछ जल गया था, जिसके चलते उनके चेहरे से कपड़ा नहीं हटाया गया। पत्नी व मां एक बार चेहरा देखने की जिद करती रह गई, लेकिन यह हसरत उनकी पूरी नहीं हो सकी।

पिता ने भागलपुर के सरयू नदी के तट पर दी जवान बेटे को मुखाग्नि

कैप्टन अंशुमान सिंह का देर शाम अंतिम यात्रा भागलपुर के सरयू तट पर पहुंचा, जहां गार्ड आफ आनर के बीच पिता रवि प्रताप सिंह ने जवान बेटे को मुखाग्नि दी। मुखाग्नि देते समय उनकी भी आंखें नम हो गई। कैबिनेट मंत्री सूर्य प्रताप शाही, जिले के प्रभारी मंत्री दयाशंकर सिंह समेत अन्य लोगों की मौजूदगी में घाट पर सबसे पहले सेना के जवानों ने गार्ड आफ आनर दिया, इसके बाद पुलिस के जवानों ने गार्ड आफ आनर दिया। इसके बाद पार्थिव पर लपेटे तिरंगा को सेना के जवानों ने स्वजन को सौंप दिया।