अचानक देवरिया पहुंची CBI टीम, छह वर्ष बाद टूटा भवन का सील; मचा हड़कंप
देवरिया में चर्चित बाल गृह बालिका कांड में सीबीआई की टीम ने छह साल बाद रेलवे स्टेशन रोड स्थित मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण संस्थान के भवन का सील तोड़ दिया। सीबीआई न्यायालय के आदेश पर भवन को स्वामी जयप्रकाश अग्रवाल को कब्जा दिलाया गया। इस घटना से जिले में खलबली मच गई। बता दें तत्कालीन एसपी रोहन पी कनय ने पांच अगस्त की रात 10 बजे इसका पर्दाफाश किया था।
जागरण संवाददाता, देवरिया। चर्चित बाल गृह बालिका कांड में लखनऊ की सीबीआइ न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ की टीम सोमवार को देवरिया पहुंची। छह वर्ष पहले कांड के पर्दाफाश के बाद रेलवे स्टेशन रोड स्थित मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण संस्थान के भवन का एसआइटी व पुलिस द्वारा किए गए सील को जिला प्रोबेशन अधिकारी व कोतवाली पुलिस की मौजूदगी में तोड़ा गया।
इसके बाद सीबीआइ ने न्यायालय के आदेश पर भवन को स्वामी जयप्रकाश अग्रवाल को कब्जा दिलाया। एक बार फिर जिले में सीबीआइ के पहुंचने के बाद खलबली मची रही।
सीबीआइ टीम ने तोड़ी सील
दोपहर को अचानक सीबीआइ लखनऊ टीम रेलवे स्टेशन रोड स्थिति भवन पर पहुंची। वहां टीम ने भवन स्वामी जय प्रकाश अग्रवाल, आनंद कुमार अग्रवाल, राज कुमार अग्रवाल, गृह की संचालिका रहीं गिरिजा त्रिपाठी व जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल कुमार को बुलाया। इसके बाद कोतवाली पुलिस की मौजूदगी में छह वर्ष पहले भवन में लगाए गए सील तो सीबीआइ टीम ने ताेड़ दिया।साथ ही भवन स्वामी को कब्जा दिया। लगभग एक घंटे तक सीबीआइ देवरिया में जमी रही। इसके बाद टीम लखनऊ के लिए रवाना हो गई। सीबीआइ न्यायालय संख्या चार के आदेश पर भवन का सील तोड़ा गया है।
जिला प्रोबेशन अधिकारी अनिल कुमार सोनकर ने बताया कि सीबीआइ की टीम की निगरानी में भवन का सील तोड़ कर भवन स्वामी जय प्रकाश अग्रवाल को सौंप दिया गया।
यह है देवरिया बाल गृह बालिका कांड
रेलवे स्टेशन रोड में मां विंध्वासिनी महिला प्रशिक्षण संस्थान द्वारा संचालित बाल गृह बालिका से पांच अगस्त 2018 को बिहार की रहने वाली 13 वर्षीय बालिका भाग कर तत्कालीन एसपी के पास पहुंची। उसने आरोप लगाया था कि यहां मानव तस्करी करने के साथ लड़कियों का उत्पीड़न भी किया जाता है। शाम को गाड़ियों से लड़कियां दूसरे जगह भेजी जाती हैं।
तत्कालीन एसपी रोहन पी कनय ने पांच अगस्त की रात 10 बजे इसका पर्दाफाश किया था। इस पर्दाफाश के बाद तो पूरे प्रदेश में खलबली मच गई। इस मामले में तत्कालीन डीएम सुजीत कुमार को हटा दिया गया था। इसके साथ ही संचालक गिरिजा त्रिपाठी, पति मोहन त्रिपाठी समेत कई लोग जेल भेजे गए।मामले की जांच के लिए एसआइटी गठित की गई और एसआइटी ने प्रकरण की जांच करते हुए अगस्त 2018 को भवन को सील कर दिया। एक वर्ष बाद 20 अगस्त 2019 को प्रकरण को सीबीआइ को सौंप दिया गया। सीबीआइ के इंस्पेक्टर विवेक श्रीवास्तव ने इसकी विवेचना की।
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