Deoria News: दादा के लिए सोचा, अनगिन बुजुर्गों की 'लाठी' बन गया पोता
उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के अभिषेक कुशवाहा ने सीमित संसाधनों से इलेक्ट्रानिक छड़ी का मॉडल तैयार किया है। इसे भारत सरकार से पेटेंट मिल गया है। एक साल में इसे बाजार में उतार दिया जाएगा। इसका जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम रास्ता भूलने की स्थिति में सहायता करता है तो वहीं इमरजेंसी लाइट से अलग से टार्च लेकर चलने की जरूरत नहीं रहती।
महेंद्र कुमार त्रिपाठी, जागरण देवरिया। दादा 2017 में लकवा के कारण चलने-फिरने में असमर्थ हुए तो उनकी पीड़ा देख कुशीनगर के अभिषेक कुशवाहा का मन व्यथित हो गया। उनका सहारा बनने की सोच के साथ 16 वर्षीय इस किशोर ने सीमित संसाधनों से इलेक्ट्रानिक छड़ी का मॉडल तैयार किया।
इसे नेशनल चिल्ड्रेन साइंस कांग्रेस में खूब सराहना मिली, तो हौसला बढ़ गया। इसी आइडिया पर आगे बढ़कर दिव्यांग एवं बुजुर्ग जन के लिए आठ तरह की डिजिटल खूबियों से लैस सुविधापूर्ण छड़ी तैयार कर आज नवोन्मेषी अभिषेक वाहवाही लूट रहे हैं। उनके नवाचार को मार्च में भारत सरकार से पेटेंट भी मिल गया है।
अभिषेक बताते हैं कि दो से ढाई फीट एडजेस्टेबल लंबाई वाली उनकी यह छड़ी 700 से 800 ग्राम की है, जो एलईडी सिस्टम से लैस होने के कारण रात में सड़क पार करने में मदद करती है। सड़क पर चलने के लिए बेल सिस्टम व बैट्री के लिए चार्जिंग सिस्टम लगाया गया है। इसके लिए पावरबैंक भी लगा है।
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इसका जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम रास्ता भूलने की स्थिति में सहायता करता है, तो वहीं इमरजेंसी लाइट से अलग से टार्च लेकर चलने की जरूरत नहीं रहती। इसमें म्यूजिक सिस्टम एंड एफएम सिस्टम के साथ ब्लूटूथ कनेक्टिविटी भी है। जल्द ही यह बाजार में उतरने जा रही है। मार्च, 2025 तक यह छड़ी बाजार में आ जाएगी, जिसकी कीमत फिलहाल 1200 रुपये तय की गई है।
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2021 में शुरू किया स्टार्टअप, स्कूल-कालेजों में बनवाते हैं इनोवेशन लैब
अभिषेक ने स्टार्टअप यूपी में वर्ष 2021 में अबानिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से पंजीकरण कराया। उसके बाद यूपी सरकार से 7.5 लाख व 3.5 लाख रुपये केंद्र सरकार से मदद मिली। अब स्कूलों-कालेजों में इनोवेशन के तहत फिजिक्स, केमेस्ट्री व बायोलाजी का लैब तैयार कराते हैं।
वर्ष 22-23 में 22 लाख रुपये का टर्नओवर किया। इसमें करीब सात लाख रुपये मुनाफा हुआ। इसमें मोहम्मद कैफ, राजीव रंजन तिवारी व शुभग दुबे उनके पार्टनर हैं।
संस्था जागृति का साथ मिला
अभिषेक कुशवाहा बताते हैं कि मेरे पास उत्पाद बनाने का आइडिया तो था, लेकिन उसे बाजार तक पहुंचाने और पूंजी जुटाने में असमर्थ था। सितंबर, 2023 में मैं देवरिया के जागृति संस्था से जुड़ा। जागृति हर कदम पर सहयोग दे रही है। दो माह पहले मुझे एक लाख रुपये की आर्थिक मदद दिलाई। डिजिटल स्टिक की फैक्ट्री लगाने में भी जागृति सहयोग दे रही है।
पांच अवार्ड से सम्मानित हैं अभिषेक
23 वर्ष की छोटी सी उम्र में अभिषेक ने कई मंचों पर अपनी छाप छोड़ी है। जल संचयन, डिजिटल स्टिक से लेकर अन्य तरह के प्रोजेक्ट के कारण विज्ञान प्रदर्शनियों में अभिषेक के माडल पुरस्कृत हो चुके हैं। नवाचार के लिए वह दो दर्जन से अधिक जगहों पर सम्मानित हो चुके हैं। इनमें भारत गौरव सम्मान, किशोर वैज्ञानिक सम्मान, नेशनल चाइल्ड साइंटिस्ट अवार्ड, 105वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस अवार्ड, नेशनल एजुकेशन सोसाइटी अवार्ड प्रमुख हैं।