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Deoria News: देवरिया की बेटियों ने बनाया कमाल का ड्रोन, खेती के काम में आएगा खास काम; PHOTOS

देवरिया की बेटियों ने कर दिखाया कमाल बनाया ऐसा ड्रोन जो उठा सकता है 5 किलोग्राम तक का भार। खेती के काम में आएगा खास काम लागत भी है आधी। ड्रोन पांच किलोग्राम तक का भार उठा सकता है। जिसे खेती के काम में खास तौर पर उपयोग किया जा सकता है। जानिए इन बेटियों की अनोखी पहल के बारे में।

By Jagran News Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 04 Sep 2024 03:53 PM (IST)
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राजकीय पालिटेक्निक देवरिया की इलेक्टानिक्स तृतीय वर्ष की छात्राओं ने ड्रोन बनाया है। जागरण
 महेंद्र कुमार त्रिपाठी,जागरण देवरिया। बेटियां अब किसी से कम नहीं है। राजकीय पालिटेक्निक देवरिया की इलेक्टानिक्स तृतीय वर्ष की सात छात्राओं को ड्रोन बनाने में आखिरकार सफलता मिल ही गई है। इस पहल के माध्यम से छात्राएं यह साबित कर रही हैं कि तकनीकी नवाचार और सामाजिक जिम्मेदारी का संगम है। उनका ड्रोन पांच किलोग्राम तक का भार उठा सकता है। जिसे खेती के काम में खास तौर पर उपयोग किया जा सकता है।

एक ड्रोन बनाने में लगभग 80 हजार से एक लाख रुपये लागत आ रही है। यह सब सहयोग राजकीय पॉलिटेक्निक की तरफ से मिल रहा है। अभी तक बेटियों की टीम ने दो ड्रोन बनकर तैयार किया है। जो प्रोटोटाइप नहीं बल्कि पूर्ण रूप से ड्रोन है। भविष्य में उनकी योजना है कि ऐसा ड्रोन बनाया जाए जो भीड़ की लाइव फुटेज एवं किसी वाहन का पीछा कर सकें।

इस तरह काम करता है ड्रोन

इसमें तकनीकी रूप से फ्लाइट कंट्रोलर, ट्रांसमीटर, इलेक्ट्रॉनिक स्पीड कंट्रोल मोटर लगे हुए हैं। यह तीनों मुख्य रूप से ड्रोन के संचालन में प्रयोग होते हैं। कार्बन फाइबर के प्रोपेलर (पंख) लगी हुई है। जो टूटती नहीं है। इसकी भार उठाने की क्षमता ज्यादा होती है। फ्लाइट कंट्रोलर पिकसोक टेक्नोलाजी का लगा हुआ है। जो एडवांस और मल्टीपरपज कंट्रोलर के रूप में ड्रोन को नियंत्रित करता है। जो ट्रांसमीटर से आठ से 10 किलोमीटर की कनेक्टिविटी बनाने में सक्षम है।

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एक ड्रोन को बनाने में बेटियों को 15 से 20 दिन समय लगा। उसके बाद ग्राउंड से उड़ान भरने के लिए पांच दिन का समय लगा। टेस्टिंग के बाद उसे तैयार किया जाता है। ड्रोन बनाने वाली बेटियों में रश्मि भारती, निशा पाठक, अनुप्रिया सिंह, प्रीति यादव, अंजली सिंह, नेहा चौरसिया, माला निषाद शामिल हैं।

इनको गाइड करने में लेक्चरर इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग नरेंद्र मोहन मिश्र का महत्वपूर्ण योगदान है। जो वर्ष से लगातार छात्राओं को ड्रोन बनाने की खूबियों से परिचित कराते रहे। इसके अलावा विभागाध्यक्ष इलेक्ट्रॉनिक कीर्ति अस्थाना व सुधीर कुमार सिंह शामिल हैं। जो ड्रोन के बारे में बेटियों की शंकाओं को दूर करते हैं।

बाजार से यह अलग ड्रोन:

बाजार में जो ड्रोन बिक रहे हैं। उससे यह ड्रोन अलग इसलिए है कि बाजार के ड्रोन की कीमत ज्यादा है। यानी कि यह आधे कीमत पर तैयार किया गया है। यह ड्रोन मल्टीपरपज है। एक ही ड्रोन से लाइव स्ट्रीमिंग और सर्विलांस, खेतो की मैपिंग, किसानों को खेतों में खाद और दवा के छिड़काव में अत्यधिक सुविधा मिलेगी। ये ड्रोन फसल की स्थिति की निगरानी में भी मददगार हैं।

खेतों की छवियों और वीडियो को कैप्चर करके किसान फसल की सेहत की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, जिससे बीमारियों और कीटों की पहचान आसान हो जाएगी। इस तरह के ड्रोन को ट्रेनिंग के बाद इंजीनियरिंग के छात्र रोजगार भी पा सकते हैं। बालिकाएं भी इसका उपयोग खेतों में छिड़काव के लिए कर सकती हैं। बाजार का ड्रोन सिर्फ एक काम के लिए होता है।

तकनीकी समस्याओं को दूर करने में निपुण हैं छात्राएं

राजकीय पालिटेक्निक से बनाए गए ड्रोन बाजार में लाने के लिए सरकार से अनुमति मांग रहे हैं। अनुमति मिलने के बाद ड्रोन बनाने वाली तकनीकी रूप से दक्ष छात्राएं ड्रोन उड़ाही नहीं बल्कि इसकी तकनीकी खामियों को भी दूर करने में सक्षम हैं। क्योंकि उनको तकनीकी रूप से पूरी जानकारी मिली है ।

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पीएम मोदी से प्रभावित हैं बेटियां

राजकीय पालिटेक्निक देवरिया में इलेक्टानिक्स तृतीय वर्ष की सात छात्राएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रभावित हैं। वह बेटियों को प्रोत्साहित करते हैं। वैज्ञानिकों को सम्मान देते हैं। उनकी प्रेरण से यह मुकाम हासिल हुआ है।

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