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Deoria Murder Case: 'भइया! मैं गांधी बोल रहा हूं, मम्मी-पापा को मार डाला..', सीना चीर देगी हत्याकांड की कहानी

ग्राम फतेहपुर में हत्यारों के हाथों धारदार हथियार से मारे गए दीपेश उर्फ गांधी का जन्म दो अक्टूबर को हुआ था। इस वजह से माता-पिता ने दीपेश का पुकार नाम गांधी रखा था। घर से लेकर नातेदार रिश्तेदार एवं गांव के लोग दीपेश को गांधी के नाम से पुकारते थे। इस गांधी का जन्मदिन मनाने की तैयारी थी। माता-पिता के साथ भाई-बहन शाम को सात बजे जन्मदिन उत्सव मनाते।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Tue, 03 Oct 2023 12:41 AM (IST)
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देवरिया हत्याकांडः सीना चीर देगी हत्याकांड की कहानी

महेंद्र कुमार त्रिपाठी, देवरिया: भैया, मैं गांधी बोल रहा हूं, जल्दी पुलिस को फोन करो, लोग मम्मी पापा को मार डाले हैं, हम लोगों को भी मारने आ रहे हैं। दरवाजा बंद किए हुए हैं ,जल्दी फोन करो भैया जल्दी करो... यह करुण क्रंदन एवं दिल को दहला देने वाली घटना में निर्दयी हत्यारों के द्वारा मारे गए दीपेश उर्फ गांधी की है।

उसने सुबह के करीब 7.45 बजे अपने भाई पंडित देवेश दुबे को मोबाइल पर फोन किया था। उस वक्त देवेश बलिया में किसी व्यक्ति के घर पर पूजा करने के लिए गए थे।

पंडित देवेश ने बताया कि भाई का फोन तुरंत कट गया। उसके बाद लगातार फोन मिलाता रहा लेकिन फोन नहीं मिला। यह कहते हुए देवेश फफकने लगे। उनके बगल में बैठी उनकी बड़ी दीदी शोभिता भी रोने लगीं। दोनों लिपट कर दहाड़ मारने लगे। दोनों रोते हुए कहते हैं कि हमें क्या पता था कि मेरे छोटे भाई गांधी का यह अंतिम फोन होगा।

किसी तरह से दोनों संभले। उसके बाद देवेश ने बताया कि तुरंत पूजा कार्यक्रम को स्थगित कर वहां से रोडवेज की बस से देवरिया के लिए रवाना हो गया। उसी दौरान अपनी दीदी शोभिता से भी बात की उसने बताया कि घर नहीं जाना पुलिस ऑफिस रुक जाना।

बहन पहले से ही पुलिस ऑफिस पर पति गिरीश तिवारी के साथ पहुंच चुकी थी। काफी देर इंतजार करने के बाद देवेश पुलिस ऑफिस पहुंचे। फिर पुलिस कार्यालय में जाकर पूरी घटना बताया। 17 वर्षीय देवेश कर्मकांड के साथ शहर के विद्याधर्म संजीवन संस्कृत महाविद्यालय में शास्त्री प्रथम वर्ष के छात्र भी हैं। कालेज में रहते भी हैं। अपने वरिष्ठ छात्र सुंदरम पंडित के साथ पूजा कार्यक्रम में बलिया गए थे।

दीपेश उर्फ 'गांधी' का आज मनाया जाना था जन्मदिन

ग्राम फतेहपुर में निर्दयी हत्यारों के हाथों धारदार हथियार से मारे गए दीपेश उर्फ 'गांधी' का जन्म दो अक्टूबर को हुआ था। इस वजह से माता-पिता ने दीपेश का पुकार नाम 'गांधी' रखा था। घर से लेकर नातेदार रिश्तेदार एवं गांव के लोग दीपेश को 'गांधी' के नाम से पुकारते थे। इस 'गांधी' का जन्मदिन मनाने की तैयारी थी। माता-पिता के साथ भाई-बहन शाम को सात बजे जन्मदिन उत्सव मनाते।

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पल भर में ही सबकुछ बदल गया। जिंदा बचे भाई देवेश पंडित एवं बहन शोभिता पुलिस कार्यालय के पास बिलख कर बताते हैं कि अब गांधी हमारे पास कभी नहीं आएंगे वह हमेशा के लिए हमसे दूर चले गए। अब हम दो अक्टूबर को कैसे अपने गांधी का जन्मदिन मनाएंगे।

यह कहकर दहाड़ मारने लगे। वहां मौजूद हर कोई गमगीन हो गया। मारे गए सत्य प्रकाश दुबे की बड़ी पुत्री शोभिता की शादी रजला गांव में गिरीश तिवारी के साथ हुई है। वह एलएलबी तृतीय वर्ष की छात्रा हैं। गांधी को याद कर फफक-फफक कर रो पड़ीं।

बलिया में गए थे पूजा कराने, बच गई जान

एक दिन पहले पूजा कराने के लिए सत्यप्रकाश दुबे के बड़े बेटे देवेश उर्फ बलिया गए थे। सुबह उन्हें घटना की सूचना मोबाइल पर मिली तो वह फफक-फफक कर रो पड़े। दोपहर को देवरिया पहुंचे। लोगों का कहना था कि संयोग अच्छा है कि वह पूजा कराने के लिए चले गए। नहीं तो आरोपित इनको भी नहीं छोड़ते। लेकिन विधि का विधान कोई टाल नहीं सकता। जो अनहोनी तय है, उसे कोई रोक नहीं सकता।

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