Deoria Murder: फर्जी रिपोर्ट और जबरन 'सुलहनामा' बना अधिकारियों के गले की फांस, शासन की जांच में बड़ा खुलासा
ग्राम पंचायत फतेहपुर के लेहड़ा टोला के रहने वाले सत्यप्रकाश दुबे ने सात फरवरी 2023 को आइजीआरएस पर छोटे भाई ज्ञान प्रकाश दुबे उर्फ साधु के संपूर्ण हिस्सा की सवा पांच एकड़ भूमि को पूर्व जिला पंचायत सदस्य दबंग प्रेमचंद्र यादव व उसके भाई रामजी यादव ने वर्ष 2014 में जबरिया व बहलाकर बैनामा व खारिज दाखिल कराने की शिकायत की।
By Jagran NewsEdited By: Vinay SaxenaUpdated: Thu, 05 Oct 2023 10:33 PM (IST)
महेंद्र कुमार त्रिपाठी, देवरिया। Deoria Murder Case: जिले के रुद्रपुर क्षेत्र के फतेहपुर गांव के लेहड़ा टोला में में हुए नरसंहार में राजस्व व पुलिस विभाग के अधिकारियों से रिश्ता सामने आया है। जांच में यह बात सामने आई है कि समाधान दिवस के दौरान रुद्रपुर कोतवाली के अंदर बैठकर राजस्व विभाग के अधिकारियों एवं पुलिस कर्मियों ने सत्य प्रकाश दुबे से जबरिया सुलहनामा लिखवा लिया। यही अधिकारियों के गले का फांस बन गया। जांच में इसकी पुष्टि होने पर शासन ने गंभीरता से लेते हुए पुलिस विभाग से लेकर राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन एवं विभागीय जांच की कार्रवाई की है।
ग्राम पंचायत फतेहपुर के लेहड़ा टोला के रहने वाले सत्यप्रकाश दुबे ने सात फरवरी 2023 को आइजीआरएस पर छोटे भाई ज्ञान प्रकाश दुबे उर्फ साधु के संपूर्ण हिस्सा की सवा पांच एकड़ भूमि को पूर्व जिला पंचायत सदस्य दबंग प्रेमचंद्र यादव व उसके भाई रामजी यादव ने वर्ष 2014 में जबरिया व बहलाकर बैनामा व खारिज दाखिल कराने की शिकायत की। इसके अलावा बैनामा निरस्त करने व स्टे आर्डर के लिए वर्ष 2019 में दीवानी न्यायालय में वाद दाखिल किया। राजस्व व पुलिस विभाग की मिली भगत है।
इसके बाद दबंग प्रेमचंद के प्रभाव में राजस्व विभाग के तैनात रहे अधिकारियों व पुलिस ने इस शिकायत को समाधान करने की बजाय नजरअंदाज किया। इस दौरान रुद्रपुर में एसडीएम ध्रुव शुक्ला, तहसीलदार अभयराज, नायब तहसीलदार कर्ण सिंह, कानूनगो विशाल यादव तथा लेखपाल राजनंदनी यादव की तैनाती रही।
जांच के दौरान पाया गया कि समाधान दिवस के दौरान कोतवाली रुद्रपुर में पुलिस व राजस्व विभाग के अधिकारियों ने सत्य प्रकाश दूबे से पैमाइश के लिए जबरिया सुलहनामा पर हस्ताक्षर करा लिया। इस दौरान दवाब डालकर व फर्जी मुकदमे में फंसाने की धमकी भी दी गई थी। समझौता होने के बाद दबंग प्रेमचंद का मनोबल और बढ़ता गया। जो नरसंहार की घटना की वजह बना। जांच में पाया गया कि राजस्व व पुलिस के अधिकारियों की भूमिका दबंग प्रेमचंद यादव के पक्ष में थी। तहसीलदार अभयराज, नायब तहसीलदार कर्ण सिंह, कानूनगो विशाल यादव तथा लेखपाल राजनंदनी यादव को सीधे दोषी पाया गया। इन लोगों ने बिना जांच किए ही अपनी रिपोर्ट लगा दी। इस विश्वास कर अधिकारियों ने भी अपनी स्वीकृति दे दी। जो उनके निलंबन का कारण बना है।
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शिकायतों के निस्तारण में तत्कालीन सीओ दिनेश कुमार सिंह यादव, तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक, सिपाही कैलाश पटेल, राम प्रताप कनौजिया, सुभाष व उप निरीक्षक सुनील कुमार की लापरवाही सामने आई है।
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