50 लाख के जाली स्टांप पेपर बिक्री मामले में ईओडब्ल्यू वाराणसी की टीम ने ठेकेदार को किया गिरफ्तार
इस मामले में लार उपनगर का रहने वाला आरोपित ठीकेदार हरिशंकर प्रसाद पुत्र बृजलाल शहर के गरुलपार नेहरू नगर कालोनी में छिपकर रहता था। मामले की जांच कर रहे ईओडब्ल्यू के निरीक्षक अरविंद कुमार व निरीक्षक सुनील कुमार वर्मा ने सोमवार को उसे वर्तमान निवास स्थान से गिरफ्तार कर लिया।
देवरिया : दो दशक पहले बहुचर्चित 50 लाख के जाली स्टांप पेपर बिक्री मामले में आरोपित ठीकेदार को आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) वाराणसी की टीम ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया। उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया। वह पहचान छिपाकर शहर के गरुलपार मोहल्ले में रहता था। अभी नामजद आठ ठीकेदारों व अन्य की गिरफ्तारी जल्द ही की जा सकती है।
ईओडब्ल्यू के मुताबिक, गोरखपुर मंडल के विभिन्न जनपदों में वर्ष 1999 से 2001 के बीच जाली स्टांप पेपर बिक्री का मामला सामने आया था। जिले में ठीकेदार लोक निर्माण विभाग के निर्माण खंड व प्रांतीय खंड, जिला पंचायत, नगर पंचायत आदि सरकारी विभागों में ठीके प्राप्त करने में जाली स्टांप पेपर पर अनुबंध पत्र तैयार कर प्रयोग कर रहे थे।
तत्कालीन कमिश्नर गोरखपुर की तरफ से गठित समिति ने वर्ष 2002 में प्रकरण की जांच की, जिसमें पता चला कि करीब 50 लाख रुपये का जाली स्टांप का प्रयोग ठीकेदारों ने स्टांप वेंडर से मिलकर किया था। स्टांप पेपर कोषागार से निर्गत नहीं हुए थे। इससे शासन को करीब 50 लाख रुपये राजस्व की क्षति हुई थी। ईओडब्ल्यू के निरीक्षक रामजीत ने सदर कोतवाली में 12 दिसंबर 2003 को नौ ठीकेदारों व अन्य के विरुद्ध जाली स्टाम्प पेपर तैयार कर धोखाधड़ी व साजिश कर बिक्री करने का मुकदमा दर्ज कराया था।
इस मामले में लार उपनगर का रहने वाला आरोपित ठीकेदार हरिशंकर प्रसाद पुत्र बृजलाल शहर के गरुलपार नेहरू नगर कालोनी में छिपकर रहता था। मामले की जांच कर रहे ईओडब्ल्यू के निरीक्षक अरविंद कुमार व निरीक्षक सुनील कुमार वर्मा ने सोमवार को उसे वर्तमान निवास स्थान से गिरफ्तार कर लिया।
एसपी ईओडब्ल्यू वाराणसी डी.प्रदीप कुमार ने बताया कि सभी आरोपितों की गिरफ्तारी के टीम गठित की गई है। एक आरोपित को गिरफ्तार कर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट देवरिया के न्यायालय में पेश किया गया।