मानवाधिकार के उल्लंघन में पीड़ित को 50 हजार की प्रतिपूर्ति देगी सरकार
मदनपुर थाने की पुलिस मानवाधिकार के उल्लंघन में फंस गई है। दो साल पूर्व मोबाइल चोरी के आरोप में युवक को हिरासत में लेकर पिटाई के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पुलिसकर्मियों को मानवाधिकार उल्लंघन का दोषी पाया है।
By JagranEdited By: Updated: Sat, 22 Jan 2022 10:37 PM (IST)
देवरिया: मदनपुर थाने की पुलिस मानवाधिकार के उल्लंघन में फंस गई है। दो साल पूर्व मोबाइल चोरी के आरोप में युवक को हिरासत में लेकर पिटाई के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने पुलिसकर्मियों को मानवाधिकार उल्लंघन का दोषी पाया है। इस मामले में सरकार पीड़ित को 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता देगी। इसकी वसूली दोषी पुलिसकर्मियों के वेतन से की जाएगी।
मदनपुर थानाक्षेत्र के महेन गांव के रहने वाले सुमित गोस्वामी पुत्र बाबूलाल गोस्वामी पर मोबाइल चुराने का आठ जनवरी 2020 को आरोप लगा था। यूपी 112 पर तैनात पुलिसकर्मियों ने सुमित को हिरासत में लेकर थाने में बेरहमी से पिटाई की थी। जिसका वीडियो वायरल हो गया था। इस मामले में एसपी डा.श्रीपति मिश्र ने उसी रात पिटाई करने वाले हेड कांस्टेबल लाल बिहारी, सिपाही चंद्र मौलेश्वर सिंह व जितेंद्र यादव को निलंबित करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। तत्कालीन उप निरीक्षक रमाशंकर यादव, दीवान राम मिलन गिरी, मुंशी प्रदीप वर्मा का स्थानांतरण कर दिया। इन लोगों पर लापरवाही का आरोप लगा था। इस प्रकरण को वाराणसी के रहने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता लेनिन रघुवंशी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग नई दिल्ली में शिकायत की। आयोग ने इसकी जांच कराई तो मानवाधिकार का उल्लंघन पाया गया। आयोग ने प्रदेश सरकार को 50 हजार रुपये आर्थिक सहायता पीड़ित सुमित गोस्वामी को दिए जाने का निर्देश दिया। गृह मानवाधिकार अनुभाग के अनु सचिव शरद सक्सेना ने 14 जनवरी को अपर पुलिस महानिदेशक उप्र पुलिस मुख्यालय लखनऊ, एसपी देवरिया को आर्थिक सहायता दिए जाने का निर्देश दिया। उन्होंने एसपी को धनराशि का भुगतान पीड़ित को कराकर साक्ष्य रसीद आयोग व शासन को दस दिन के भीतर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।