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एक पैर से दिव्यांग पर हौसला ऐसा कि परिवार के साथ समाज को भी सुषमा पर है नाज, अत्याचार के खिलाफ उठाती हैं आवाज

कहानी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के रामपुर कारखाना की रहने वाली सुषमा की है। वह बाल विकास सेवा पुष्टाहार विभाग में बतौर मुख्य सेविका बरहज में तैनात हैं। एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद उनके हौसले ऐसे हैं कि समाज व परिवार को उन पर नाज है। सुषमा महिला हिंसा के प्रति आवाज उठा कर लोगों को न्याय दिला रही हैं।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Sat, 21 Oct 2023 03:21 PM (IST)
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दिव्यांगता को मात, सुषमा पर परिवार व समाज दोनों को नाज। -जागरण

सौरभ कुमार मिश्र, देवरिया। सुषमा दुबे एक पैर से दिव्यांग हैं। वह बाल विकास सेवा पुष्टाहार विभाग में बतौर मुख्य सेविका बरहज में तैनात हैं। दिव्यांगता के बावजूद उनके कदम महिलाओं को न्याय दिलाने के लिए नहीं रुकते। बात आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के घरेलू हिंसा की हो, चाहे विभाग में महिला कर्मियों पर अत्याचार की। वह मुखर हो उठती हैं और थाना से लेकर डीएम, एसपी तक वार्ता कर पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाती हैं। परिवार पर जब भी संकट के बादल आते हैं वह ढाल बनकर खड़ी हो जाती हैं। सुषमा पर परिवार व समाज दोनों को नाज है।

गोरखपुर विश्वविद्यालय से सुषमा ने वर्ष 2001 में एमएम पास किया। 2002 में पत्राचार से बी.लिब (बैचलर आफ लाइब्रेरी) किया। वर्ष 2005 में लिखित परीक्षा पास कर वह मुख्य सेविका के पद पर चयनित हुई। तभी से वह विभाग में सेवाएं दे रही हैं। वह कविताएं भी लिखती हैं। अभी तक 65 कविताएं लिख चुकी हैं। उनकी बनाई पेंटिंग लोग देखते रह जाते हैं। रामपुर कारखाना क्षेत्र के पांडेयपुर में अपने ससुराल वालों के साथ रहती हैं। उनके पति संदीप नाथ त्रिपाठी व्यवसायी हैं। परिवार पर जब भी संकट के बादल मंडराते हैं वह ढाल बन खड़ी हो जाती हैं।

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चार देवर बासुकी नाथ, भरत नाथ, शिवम नाथ, देश दीपक नाथ त्रिपाठी को पढ़ाने के बाद सभी की शादी करने की जिम्मेदारी निभाई। इस बीच एक देवर देशदीपक के सिर में गांठ का आपरेशन चार बार करवाया, लेकिन उन्हें नहीं बचा सकीं। उनकी पत्नी व दो छोटे बच्चों की परवरिश भी वह स्वयं करती हैं। पूरे संयुक्त परिवार का खर्च भी उठाती हैं।

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वह सदर क्षेत्र के पिपरा चंद्रभान में घरेलू हिंसा की शिकार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, बंजरिया रामपुर कारखाना की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के उत्पीड़न पर थाना पहुंच कर मुकदमा दर्ज कराकर न्याय दिलाईं। वह मिशन शक्ति के तहत पारिवारिक मामलों को सुलझाने के लिए बुलाई जाती हैं। डीएम, एसपी कई बार उन्हें बेहतर कार्य के लिए सम्मानित कर चुके हैं।