Captain Anshuman Singh: बलिदानी कैप्टन अंशुमान के पैतृक गांव में पसरा सन्नाटा, अंतिम दर्शन को लगी भीड़
सियाचिन ग्लेशियर में बलिदानी कैप्टन अंशुमान सिंह का पार्थिव शरीर शुक्रवार को पैतृक गांव बरडीहा में पहुंचेगा। गांव में सूचना पहुंचने के बाद से ही सन्नाटा पसरा है। गांववालों को यकीन ही नहीं हो रहा कि अंशुमान इस दुनिया में नहीं रहे। घर पर रिश्तेदारों व ग्रामीणों का तांता लगा है। बलिदान हुए अंशुमान सिंह का अंतिम संस्कार भागलपुर में किया जाएगा।
By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Thu, 20 Jul 2023 01:11 PM (IST)
देवरिया, जागरण संवाददाता। सियाचिन ग्लेशियर में आग लगने से बलिदान हुए कैप्टन अंशुमान सिंह का पार्थिव शरीर शुक्रवार को पैतृक गांव बरडीहा (लार) में पहुंचेगा। लोग पार्थिव शरीर के आने के इंतजार में टकटकी लगाए हैं। बलिदानी के दरवाजे पर दादा को सांत्वना देने के लिए लोग पहुंच रहे हैं। अंशुमान सिंह का अंतिम संस्कार भागलपुर में किया जाएगा।
अंशुमान के बलिदान की सूचना पहुंचते ही गांव में छाया मातम
सियाचिन ग्लेशियर में बुधवार की तड़के लगी आग में देवरिया के लाल कैप्टन अंशुमान सिंह बलिदान हो गए। उनके बलिदानी होने की सूचना गांव आते ही मातम छा गया। पत्नी नोएडा से तो पिता व मां लखनऊ से घर के लिए रवाना हो गए। लार थाना क्षेत्र के बरडीहा दलपत के रहने वाले 26 वर्षीय कैप्टन अंशुमान सिंह पुत्र रवि प्रताप सिंह मेडिकल आफिसर के पद पर तैनात थे। इन दिनों उनकी तैनाती सियाचिन ग्लेशियर में थी। गोला बारुद बंकर में शार्ट सर्किट से आग लगने से कई टेंट जल गए। बुरी तरह झुलसने के कारण बलिदान हो गए।
फरवरी माह में हुई थी सृष्टि से शादी
कैप्टन अंशुमान सिंह की शादी इसी वर्ष फरवरी में पठानकोट की रहने वाली सृष्टि सिंह के साथ हुई थी। उनका परिवार नोएडा में रहता है। वह निजी कंपनी में इंजीनियर हैं। पिता रवि प्रताप सिंह, मां मंजू देवी, भाई घनश्याम व बहन तान्या लखनऊ में रहते हैं।पैतृक गांव आई सूचना तो सन्न रह गए लोग
बलिदानी अंशुमान सिंह के बलिदान होने की जानकारी गांववालों को मिली तो वह हैरान रह गए। किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि अंशुमान अब इस दुनिया में नहीं रहे। गांव में दादा सत्यनारायण सिंह, चाचा हरिप्रकाश सिंह, भानू सिंह, सूर्य प्रताप सिंह को मोबाइल से इसकी सूचना मिली। जानकारी होते ही वह बिलखने लगे। हरिप्रकाश ने बताया कि अंशुमान तीन वर्ष पहले गांव आए थे।
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