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Deoria Murder Case: जब सपा सरकार में लखनऊ से आया फोन और प्रेमचंद के नाम हुई जमीन; इसी भूमि के लिए हुआ नरसंहार

Deoria Murder Case उत्तर प्रदेश के देवरिया में हुए नरसंहार के बाद से ही पूरे इलाके में सन्नाटा पसरा है। सड़कों पर पुलिस के अलावा गांववालों की संख्या कम हो गई है। प्रेमचंद के घर पर बुलडोजर चलाने की तैयारी हो रही है। इसी बीच लखनऊ से आए उस फोन कॉल की बात सामने आई है जिससे भूमि का बैनामा प्रेमचंद के नाम हो गया।

By Swati SinghEdited By: Swati SinghUpdated: Wed, 11 Oct 2023 03:45 PM (IST)
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यूपी के देवरिया में हुआ नरसंहार। जागरण
जागरण संवाददाता,  देवरिया। वर्ष 2014 में सपा की सरकार थी। दबंग प्रेमचंद को जमीन की भूख थी। देवरिया शहर से सटे सोनूघाट के समीप उसने भूमि की प्लाटिंग की थी। जिसे बेचकर लाखों रुपये कमाए थे। उसने उस रुपये से फतेहपुर गांव में ज्ञानप्रकाश दुबे की भूमि का बैनामा कराने की योजना बनाई, लेकिन योजना सफल नहीं हो पा रही थी।

ज्ञानप्रकाश दुबे को रुपये दिए जाने के बारे में सही जानकारी नहीं देने पर तत्कालीन उप निबंधक ने भूमि बैनामा करने से इनकार कर दिया। जिसके कारण बैनामा की तारीख तीन बार बदलनी पड़ी थी। इसके बाद लखनऊ के सफेदपोश का फोन आया तो उप निबंधक को बैनामा करना पड़ा था। 3.24 एकड़ कुल भूमि का सौदा 21 लाख में दावा किया गया था, जिसमें नकदी व खाते में रकम दी गई थी। भूमि का बैनामा प्रेमचंद व उनके भाई सामूहिक नरसंहार के आरोपित रामजी यादव के नाम से किया गया था।

साधु दुबे से चाहिए कई सवालों के जवाब

अब लोगों की निगाहें फतेहपुर नरसंहार की घटना के प्रमुख किरदार सत्यप्रकाश दुबे के भाई ज्ञानप्रकाश दुबे उर्फ साधु पर टिक गई हैं। पुलिस की टीम मोबाइल नंबर से लगातार संपर्क में है व गुजरात पुलिस से भी संपर्क कर रही है।

लोगों में चर्चा है कि यदि 21 लाख की रकम ज्ञानप्रकाश को दिया गया होता तो वह प्रेमचंद के घर क्यों रहता। वह दाने-दाने का मोहताज कैसे हो गया। प्रेमचंद के घर काम क्यों करता था। घटना के तीन माह पूर्व अपना पेट पालने के लिए गुजरात के अहमदाबाद शहर क्यों चला गया।

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प्रेमचंद और सत्यप्रकाश दुबे के बीच बढ़ी थी तल्खी

दबी जुबान गांव में चर्चा है कि तीन माह से प्रेमचंद व सत्यप्रकाश दुबे के बीच तल्खी बढ़ गई थी। प्रेमचंद मुकदमे व अवैध निर्माण की शिकायत को वापस लेने का दबाव बना रहा था। उसका दबाव नासूर बन गया। प्रेमचंद की हत्या के बाद सत्यप्रकाश दुबे और उनके चार स्वजन की हत्या कर दी गई।

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रोज सुबह दरवाजे पर चलता था प्रेमचंद का दरबार

दो अक्टूबर को सामूहिक नरसंहार के बाद तरह-तरह की चर्चा हो रही है। रोजाना सुबह गांव के लोगों की पहली पंचायत प्रेमचंद के बंगले पर ही होती थी। घटना के दिन भी गांव के कुछ लोग जुटे थे। घटना के दिन भी बीट पुलिस कर्मी प्रेमचंद के फोन का इंतजार कर रहे थे। यदि पुलिस सचेत रहते तो इतनी बड़ी घटना से बचा जा सकता था।

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