Move to Jagran APP

सीबीआइ जांच हुई तो सच होगा सामने

देवरिया : मायावती सरकार में जिले की चार चीनी मिलों को औने-पौने दामों पर बेच दिया गया। अरब

By JagranEdited By: Updated: Sat, 16 Sep 2017 11:48 PM (IST)
सीबीआइ जांच हुई तो सच होगा सामने
सीबीआइ जांच हुई तो सच होगा सामने

देवरिया : मायावती सरकार में जिले की चार चीनी मिलों को औने-पौने दामों पर बेच दिया गया। अरबों की मिल्कियत वाली इन चीनी मिलों की बिक्री पर शुरू से ही सवाल उठते रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से प्रदेश की 21 चीनी मिलों की खरीद-फरोख्त पर रोक लगा दी गई है साथ ही सीबीआइ से जांच कराने की याचिका पर राज्य सरकार, सीबीआइ व सीएजी, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को जवाब दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से खरीद-फरोख्त में घपलेबाजी का सच सामने आने की उम्मीद जगी है।

कभी देवरिया को चीनी का कटोरा कहा जाता था। गन्ने की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हुआ करती थी। गन्ने की खेती को ऐसी नजर लगी कि जिले की चार चीनी मिलें एक-एक कर बंद हो गई हैं। किसानों ने गन्ने की खेती से मुंह मोड़ लिया। गिने-चुने किसान ही गन्ने की खेती कर रहे हैं। सरकारों की उपेक्षा के चलते चीनी मिलें अपना अस्तित्व खो चुकी हैं। आजादी के पूर्व 1919 में नूरी मियां ने भटनी नगर के नूरीगंज में चीनी मिल की स्थापना की, लेकिन यह 1921 में चालू हुई। बाद में इस चीनी मिल को कस्टोडियन ने ले ली और 1956 में मोतीलाल पदमपद को नीलाम कर दिया। बाद में इसे उप्र राज्य चीनी एवं गन्ना विकास निगम लिमिटेड ने अधिग्रहित कर लिया। भटनी चीनी मिल 2006-07 में चलाकर बंद कर दी गई। मायावती सरकार में भटनी की चीनी मिल को 28 मार्च 11 को महज पौने पांच करोड़ रुपये में हनीवेल शुगर्स प्रा.लिमिटेड नई दिल्ली को बेंच दिया गया। इसकी जमीन की कीमत करीब पचास करोड़ रुपये और उसके उपकरणों की कीमत 60 करोड़ रुपये आंकी गई थी। चीनी मिल की कुल जमीन 13.837 हेक्टेयर के 2.77 हेक्टेयर हिस्से पर नूरीगंज बाजार बसा है।

गौरीबाजार चीनी मिल कभी कपड़ा मंत्रालय की चीनी मिल हुआ करती थी। यह 1996-97 में बंद हो गई। इसको चालू करने के लिए आंदोलन भी हुआ, लेकिन इसके बाद इस पर ध्यान नहीं दिया गया। इस चीनी मिल को 2011 में राजेंद्रा प्राईवेट इस्पात लिमिटेड कोलकाता को बेच दिया गया। इसी तरह बैतालपुर चीनी मिल को 2007-08 में बंद कर दिया गया। इसे डायनामिक सुगर प्राइवेट लिमिटेड उन्नाव ने वर्ष 2011 में खरीदा। इसी तरह देवरिया चीनी मिल 2006-07 में बंद हो गई। इसे आइकान सुगर मिल प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली के हाथों 2011 में बेच दिया गया। वर्तमान में 1903 में स्थापित एशिया की सबसे पुरानी चीनी मिल प्रतापपुर ही चल रही है। भारतीय किसान यूनियन के मंडल उपाध्यक्ष विनय ¨सह कहते हैं कि बसपा सरकार में चीनी मिलों को औने-पौने दामों में बेचा गया है। यदि सीबीआइ जांच हुई तो दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जाएगा। चीनी मिलों की जगह पर चीनी मिलें ही लगनी चाहिए।