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UP News: डॉक्‍टर की इस करतूत से हैरान हैं सभी, बच्चेदानी के साथ पेशाब की नली में लगा दिया टांका

उत्‍तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां अस्पताल में चिकित्सकों ने आपरेशन के दौरान गर्भवती महिला के बच्चेदानी के साथ ही पेशाब की नली में भी टांका लगा दिया। जब महिला गंभीर होने लगी तो उसने अस्पताल से रेफर कर कर दिया। अब महिला का उपचार गंभीरावस्था में गोरखपुर में एक निजी अस्पताल में चल रहा है।

By SAURABH MISHRA Edited By: Vivek Shukla Updated: Thu, 21 Mar 2024 03:49 PM (IST)
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चिकित्सकों ने आपरेशन के दौरान गर्भवती महिला के बच्चेदानी के साथ ही पेशाब की नली में भी टांका लगा दिया।
जागरण संवाददाता, पथरदेवा। नगर पंचायत पथरदेवा कस्बा के कालेज रोड स्थित एक निजी अस्पताल का कारनामा चर्चा में है। अस्पताल में चिकित्सकों ने आपरेशन के दौरान गर्भवती महिला के बच्चेदानी के साथ ही पेशाब की नली में भी टांका लगा दिया।

जब महिला गंभीर होने लगी तो उसने अस्पताल से रेफर कर कर दिया। अब महिला का उपचार गंभीरावस्था में गोरखपुर में एक निजी अस्पताल में चल रहा है।

महिला जिंदगी व मौत के बीच जूझ रही है। चिकित्सकों के अनुसार महिला के पेशाब की नली में टांका लगा देने से उसका दोनों गुर्दा संक्रमित व खराब हो गया है। अस्पताल संचालक के खिलाफ महिला के ससुर ने सीएमओ व डीएम को शिकायती पत्र दिया है।

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क्षेत्र के मुंडेरा पांडेयपुर गांव के रहने वाले रामसागर पटेल का आरोप है की वह अपनी पुत्र वधु संध्या देवी को प्रसव के लिए पथरदेवा कस्बा के कालेज रोड स्थित एक निजी अस्पताल में 19 जनवरी को भर्ती कराए। जहां आपरेशन के दौरान एक बच्ची पैदा हुई।

जिसके बाद महिला को चिकित्सकों ने आठ दिनों तक अस्पताल में भर्ती रखा। महिला की तबीयत ठीक होने की बजाए खराब होने लगी। उसके बाद चिकित्सकों ने उसे गोरखपुर के लिए रेफर कर दिया। जहां पहुंचने पर चिकित्सकों ने पेशाब की नली में टांका लगाने के कारण गुर्दा संक्रमित होने की बात बताई। प्रसूता जिंदगी मौत के बीच गोरखपुर में जूझ रही है।

पूर्व में भी इस अस्पताल आपरेशन के दौरान महिला की मौत जैसी कई घटनाएं हुई जिसको लेकर कई बार अस्पताल सील भी हो चुका है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राजेश झा ने बताया कि शिकायत मिली है। जांच कर अस्पताल संचालक के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

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इस अस्पताल के खिलाफ पूर्व में तरकुलवा थाने में मुकदमा दर्ज होने के साथ ही दो बार सील भी किया जा चुका है। इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से यह अस्पताल संचालित होता रहता है।

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