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हादसा: मंगेतर के साथ घर लौट रहा था युवक, दोनों की मौत, 6 बहनों में अकेला भाई था अच्छेलाल; पिता ने दी मुखाग्नि

कुशीनगर के हाटा कोतवाली के गांव ढाढा के समीप हाईवे पर तेज रफ्तार वाहन ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद अच्छेलाल के घर सेमरी में कोहराम मच गया है।

By Jagran NewsEdited By: Shivam YadavUpdated: Fri, 23 Dec 2022 09:00 PM (IST)
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हादसे के बाद अच्छेलाल के घर सेमरी में कोहराम मच गया है।
देवरिया, जागरण संवाददाता। अपनी मंगेतर के साथ घर लौट रहे 25 साल के अच्छेलाल को नहीं पता था कि बीती रात उसकी अंतिम रात होगी। उसकी मंगेतर भी इस बात से अंजान थी कि जिसके साथ वह अपनी जिंदगी का सफर पूरा करने का सपना संजोकर उसके परिवार से मिलने जा रही है, वह कल का सूरज भी नहीं देख पाएगी। दरअसल, कुशीनगर के गांव ढाढा के पास हाइवे पर गुरुवार रात एक सड़क हादसा हो गया, जिसमें बाइक सवार प्रेमी युगल की मौत हो गई।

जानकारी के मुताबिक, बघौचघाट थाना क्षेत्र के सेमरी गांव के रहने वाले सत्यनारायण का 25 वर्षीय पुत्र अच्छे लाल गोरखपुर से अपने घर आ रहा था। साथ में उसकी मंगेतर भी थी, जो उसके साथ ही काम करती थी, दोनों जल्द ही शादी करने वाले थे, इसलिए अच्छेलाल उसे अपने परिवार से मिलाने के लिए ला रहा था।

तेज रफ्तार वाहन ने मारी थी टक्कर

कुशीनगर के हाटा कोतवाली के गांव ढाढा के समीप हाईवे पर तेज रफ्तार वाहन ने उनकी बाइक में टक्कर मार दी, जिससे दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे के बाद अच्छेलाल के घर सेमरी में कोहराम मच गया है। परिजनों के करुण चीत्कार से मौजूद लोगों में भी संवेदना का संचार हो उठा।

दो बहनों की होनी है शादी

मृतक अच्छेलाल 6 बहनों में अकेला भाई था। इस हृदय विदारक घटना से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। चार बहनों की शादी हो चुकी है। अच्छेलाल से छोटी दो बहनों की शादी नहीं हुई है। इनमें से एक बहन दिव्यांग भी है। 

परिवार का इकलौता चिराग था अच्छेलाल

अच्छेलाल अपने परिवार का इकलौता चिराग था। पिता सत्यनारायण खेतीबाड़ी कर परिवार का खर्च उठाते हुए बेटियों की शादी की और बेटे अच्छेलाल को गोरखपुर में रख कर पढ़ाया। पढ़ाई पूरी करने के बाद अच्छेलाल गोरखपुर में ही एक पैथालोजी में काम करता था। उसकी मौत की खबर परिजनों को मिली तो परिवार में कोहराम मच गया।

बुढ़ापे का सहारा छिना

पिता सत्यनरायन पाल को उमीद थी कि उसका बेटा अच्छेलाल उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा। पर उसे यह नहीं पता था कि होनी को कुछ और ही मंजूर था, बुढ़ापे के सहारे को ही उसे कंधा देना पड़ेगा। देर शाम अच्छेलाल का शव गांव पहुंचा। उसका दाह संस्कार गांव के ही खनुवा नाले पर किया गया। मुखाग्नि पिता सत्यनारायण ने दी। माता जानकी देवी बेसुध पड़ी रही। गांव समेत पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है।

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