जैथरा में चना से भरे पकड़े गए ट्रक मामले की एडीएम वित्त कर रही जांच, 15 दिन में देंगे रिपोर्ट; मालिक का नहीं लगा सुराग
जैथरा क्षेत्र में भले ही चना दलहन का उत्पादन न होता हो परंतु बीज इन सब फसलों का आता है। सूत्र बताते हैं कि सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी पर बीज उपलब्ध कराने की कोई योजना संचालित कर रही है। बताते हैं कि यह योजना एक बीज निगम द्वारा संचालित है। जिसमें किसानों को सब्सिडी पर विभिन्न फसलों का बीज किसानों का उपलब्ध कराया जाता है।
By Yogesh KumarEdited By: riya.pandeyUpdated: Tue, 19 Dec 2023 10:06 AM (IST)
जागरण संवाददाता, एटा। जैथरा में पकड़े गए एक ट्रक चना के मामले में जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह ने मामले की जांच अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व आयुष चौधरी को सौंपी है। चना के मालिक का पता पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों को नहीं लग पाया था। इस मामले में यह माना जा रहा है कि कोई बड़ा सिंडिकेट शामिल है।
17 दिसंबर के अंक में दैनिक जागरण में अफसर नहीं खोज पाए जैथरा में पकड़े चने का मालिक शीर्षक से प्रमुखता से खबर प्रकाशित हुई थी, जिसको लेकर डीएम ने संज्ञान लिया और अब एडीएम वित्त एवं राजस्व को जांच अधिकारी नामित किया है।
गुरुवार को जैथरा में भारी मात्रा में चना पकड़ा गया था। ट्रक के साथ-साथ दरियावगंज मार्ग स्थित एक मकान में भी चना के काफी पैकेट मिले थे। भारी मात्रा में चना मिलने की सूचना के बाद सक्रिय हुए अफसरों की फौज ने जांच पड़ताल की, मगर चना के मालिक का पता नहीं लगा पाया।
हैरत की बात तो यह है कि मंडी के अधिकारियों ने ट्रक चालक पंकज पर ही जुर्माना लगाया। जबकि खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन की टीम ने चना का सेंपल जैथरा के मुहल्ला बढैयान निवासी धर्मेंद्र गुप्ता के नाम भरा है। एक अधिकारी के आदेश पर चना ट्रक चालक की सुपुर्दगी में ही दे दिया गया। जबकि अभी भी चना का असली मालिक अफसरों की जानकारी से दूर है। चना पकड़े जाने के बाद थाने में चना के दावेदार पहुंचे थे।
मामला बढ़ता देख उन्होंने खुद को पीछे खींच लिया, परंतु पैरवी नहीं छोड़ी। अफसरों की इस कार्रवाई से कई सवाल खड़े हो गए थे। सूत्र बताते हैं करीब एक माह पूर्व भी मंडी समिति के मुख्य गेट के पास बनी एक मैरिज होम की दुकानों में भंडारित चना के बीज की गुपचुप रिफलिंग की गई थी।
गेहूं बीज मामले में भी तह तक नहीं पहुंच पाए अफसर
पिछले मंगलवार को एसडीएम अलीगंज प्रतीत त्रिपाठी ने एटा-जैथरा मार्ग पर निजी गोदामों पर छापा मारकर भारी मात्रा में गेहूं का बीज पकड़ा था। एसडीएम ने मंडी समिति के अधिकारियों द्वारा जांच करने की बात बताई थी। जबकि जांच रिपोर्ट जिला कृषि अधिकारी ने दी। उन्होंने फर्म को नोटिस जारी कर जवाब मांग लिया। जबकि किसी भी अधिकारी ने यह जांच करने की जहमत नहीं उठाई कि फर्म कहां पर संचालित थी।
उसका प्रतिष्ठान कहां पर है। उसकी चौहद्दी क्या है। फर्म को बीज की सप्लाई कहां से और किस लिए मिली थी और अनुदानित बीज किसको वितरित किया गया। फर्म का उपयोग कहीं सिर्फ इसी योजना के लिए तो नहीं किया जा रहा था ?लाभार्थी किसानों को सब्सिडी का लाभ दिया या नहीं आदि बिंदुओं पर किसी भी अधिकारी ने गहराई से जांच की जरूरत नहीं समझी। यह चर्चा भी है कि मामले से एक सिंडिकेट जुड़ा है। सूत्रों के अनुसार मुख्य रूप तीन लोगों का एक सिंडिकेट इस काम को अंजाम दे रहा है, जोकि बीज के नाम पर संचालित एक योजना के नाम पर करोड़ों के वारे-न्यारे कर रहे हैं।
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