Etah: खून में था देश सेवा का जज्बा, पिता ने कारगिल युद्ध में दिखाई थी वीरता, भूपेंद्र थे चाइना बार्डर पर तैनात
Sikkim Road Accident सेना के जवान भूपेंद्र सिंह के खून में देश की सेवा का भाव था। कारगिल युद्ध में पिता को वीरता के लिए पदक मिला था। भूपेंद्र हाल ही में 16 दिन की छुट्टी के बाद पहुंचे थे। पत्नी से कुछ ही देर पहले बात की थी।
By Anil Kumar GuptaEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Sun, 25 Dec 2022 01:05 PM (IST)
एटा, जागरण टीम। पिता ने कारगिल में पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाए तो बेटा चीन का दंभ तोड़ने के लिए सीमा पर जा डटा। इतना ही नहीं परिवार के कई सदस्य अभी भी अपनी सेवाएं सेना में दे रहे हैं। इस बहादुर परिवार के सदस्य ने बलिदान देकर गांव को मानो तीर्थ में बदल दिया है।
कारगिल युद्ध के दौरान भूपेंद्र के पिता सुरेंद्र सिंह राठौर ने बहादुरी का परिचय दिया था और उन्हें कारगिल विजेता पदक भी मिला। इसके बाद उनके बेटे भूपेंद्र वर्ष 2014 में सेना में भर्ती हुए। उनके बाबा बैजनाथ सिंह सेना में हवलदार थे, ताऊ अरविंद सिंह नायब सूबेदार थे, पिता सुरेंद्र सिंह हवलदार से सेवानिवृत्त हुए, चाचा सुखेंद्र सिंह हवलदार रहे, चचेरे भाई सूरज सिंह राठौर वायरलैस आपरेटर हैं। देश के लिए समर्पित इस परिवार के सब ऋणी रहेंगे। भूपेंद्र के छोटे भाई राजन सेना में जाने की तैयारी कर रहे हैं। यह गजब का हौसला भूपेंद्र के बलिदान के बाद लोगों की जुबां पर छा गया है।
गेट, सड़क व प्रतिमा बनवाओ
बलिदानी के परिवार ने गांव में बलिदानी की प्रतिमा, गेट और सड़क निर्माण की मांग की है। भूपेंद्र के गांव अमरेंद्र सिंह ने कहा कि उनके भतीजे ने देश के लिए जान दी है, गांव की सड़क उनके नाम पर होनी चाहिए तथा गांव में गेट भी बनवाया जाए।दुर्घटना से पहले हुई पत्नी से बात
सिक्किम में हुई सड़क दुर्घटना से पहले भूपेंद्र ने अपनी पत्नी से बात की थी, हालचाल पूछे थे तथा परिवार के अन्य सदस्यों से भी बात हुई। उन्होंने कहा था कि उन्हें पोस्ट के लिए रवाना होना है। भूपेंद्र के अंदर देशभक्ति का जज्बा था, जब वे पढ़ाई कर रहे थे तभी उन्होंने सेना में जाने की इच्छा जता दी थी। इस परिवार में सेना में जाने की परंपरा बन गई, जिस पर आज सबको नाज है और सब सेल्यूट कर रहे हैं।
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