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जर्जर भवनों में फंसी नौनिहालों की जान

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए 20 जनवरी 2020 को मलावन स्थित प्राथमिक विद्यालय के

By JagranEdited By: Updated: Mon, 22 Nov 2021 02:53 AM (IST)
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जर्जर भवनों में फंसी नौनिहालों की जान

जागरण संवाददाता, एटा : अभी ज्यादा दिन नहीं हुए 20 जनवरी 2020 को मलावन स्थित प्राथमिक विद्यालय के जर्जर शौचालय गिरने से बालक की मौत हो गई थी। उस हादसे के बाद बेसिक शिक्षा विभाग ने जर्जर स्कूल भवनों के निस्तारण को लेकर काफी सक्रियता दिखाई, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा। अभी भी जिले में 252 स्कूलों में जर्जर भवन मौजूद हैं, जहां नौनिहालों की जान को खतरा बना रहता है।

हर साल बेसिक शिक्षा के परिषद के स्कूलों में जर्जर भवन के चलते हादसे प्रकाश में आते हैं। यही वजह है कि लगातार शासन स्तर से जर्जर भवन वाले स्कूलों को लेकर दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद स्थिति यह है कि जिम्मेदारों की शिथिलता के चलते जिले में बड़ी संख्या में जर्जर भवन स्कूलों में नौनिहालों के लिए असुरक्षित बने हुए हैं। लापरवाही की हद यह है कि इनका निस्तारण अभी तक नहीं हो पा रहा। जर्जर भवनों के निस्तारण को लेकर डेढ़ साल पहले ब्लाक स्तर पर खंड शिक्षा अधिकारियों के साथ टीम भी बनाई गई, लेकिन कई कारणों से जर्जर भवन यूं ही खड़े हुए हैं। भवनों का निस्तारण न होने की स्थिति में अधिकारी भी सिर्फ यह निर्देश देकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं कि शिक्षक बच्चों को जर्जर भवनों में न बैठाएं तथा बच्चों को दूर रखें।

बेसिक शिक्षा के प्राइमरी जर्जर स्कूलों की बात की जाए तो 252 स्कूल विभाग के संज्ञान में आ चुके हैं। इन स्कूलों में से विभाग ने 192 स्कूलों के जर्जर भवनों का तकनीकि समिति से मूल्यांकन भी करा लिया है। इसके अलावा स्कूल भवन ऐसे हैं, जिन का मूल्यांकन तकनीकि टीम द्वारा नहीं हुआ है। विशेष बात तो यह है कि जिन भवनों का तकनीकी मूल्यांकन हो चुका है, उनकी नीलामी कहीं भी नहीं हो सकी है। इसी कारण जर्जर भवन बच्चों के लिए खतरा बने हुए हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के इन स्कूलों के जर्जर भवन अभिभावकों की भी चिता बने हुए हैं। नीलामी न हो पाने के पीछे माना जा रहा है कि तकनीकी मूल्यांकन की धनराशि तक बोलियां नहीं पहुंच पा रहे। ऐसे में सवाल यह है कि विभाग जर्जर भवनों से अपना खजाना भरने के फेर में बच्चों के जीवन से यूं ही खिलवाड़ करता रहेगा। सूत्रों की मानें तो कई दर्जन भवन तो कब गिर पड़ें, कहा नहीं जा सकता। शिक्षकों की भी बनी है मुसीबत

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जर्जर स्कूल भवन सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि शिक्षकों के लिए भी मुसीबत बने हुए हैं। भवनों का निस्तारण न होने की स्थिति में कभी भी हादसा जैसी स्थिति में किसी तरह की क्षति का अंदेशा उन्हें भी परेशान किए रहता है। नीलामी तक की प्रक्रिया अपनाने के बावजूद विभाग भवनों के निस्तारण की अनुमति नहीं दे रहा। ---------

जर्जर स्कूल भवनों को लेकर नीलामी तकनीकी टीम के आंकलन धनराशि से कम रही है। बीएसए को ई-टेंडर करा कर प्रक्रिया पूरी कर जर्जर भवनों को ध्वस्त कराने के निर्देश दिए गए हैं।

- डा. अरविद वाजपेयी, सीडीओ एटा ब्लाकवार जर्जर भवन स्कूलों की स्थिति

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विकासखंड - जर्जर स्कूल भवन

अलीगंज - 25

अवागढ़ - 32

जैथरा - 33

सकीट- 59

शीतलपुर- 35

मारहरा- 15

निधौली कलां - 29

जलेसर - 24

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