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हर लोकसभा चुनाव में रहती है इस सांसद की चर्चा, एटा से रह चुके हैं छह बार MP; शाक्य समीकरण के माने जाने हैं धुरंदर

छह बार एटा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद रहे अलीगंज क्षेत्र के गांव अगौनापुर के रहने वाले डा. महादीपक सिंह शाक्य बेशक इस दुनिया में नहीं हैं पर हर लोकसभा चुनाव में उनकी चर्चा होती है। इस समाज ने उन्हें हमेशा सिरमौर बनाए रखा। वे छह बार एटा लोकसभा से चुनाव जीते मगर सिर्फ दो बार ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए।

By pravesh dixit Edited By: Riya Pandey Updated: Sat, 16 Mar 2024 08:22 PM (IST)
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हर लोकसभा चुनाव में रहती है शाक्य समीकरण के धुरंदर माने जाने वाले इस सांसद की चर्चा
जागरण संवाददाता, एटा। छह बार एटा लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद रहे अलीगंज क्षेत्र के गांव अगौनापुर के रहने वाले डा. महादीपक सिंह शाक्य बेशक इस दुनिया में नहीं हैं पर हर लोकसभा चुनाव में उनकी चर्चा होती है। वे कई राजनीतिक खूबियों के लिए जाने जाते हैं। शाक्य समीकरण के सहारे वे विपक्षियों के छक्के छुड़ाते रहे। शाक्यों पर एक छत्र वर्चस्व महादीपक सिंह का था।

इस समाज ने उन्हें हमेशा सिरमौर बनाए रखा। वे छह बार एटा लोकसभा से चुनाव जीते, मगर सिर्फ दो बार ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए। भले ही क्षेत्र में मुद्दों की आंधी रही हो पर महादीपक के दिये की लौ हमेशा जलती रही। समीकरणों के बादशाह इस धुरंदर के आगे विपक्षी चुनाव में खड़े होने से कतराने लगे थे। विपक्ष में एक कहावत बन गई थी कि जब तक महादीपक हैं, तब तक वे चुनाव नहीं जीत पाएंगे।

एमए शिक्षित और आयुर्वेद की डिग्री प्राप्त कर रत्नाचार्य बनने वाले महादीपक को भाजपा का रत्न माना जाता है। वे भले ही कभी केंद्र सरकार में मंत्री नहीं बने, मगर अटल आडवाणी के लगभग समकक्ष बने रहे। उन्होंने जीवित रहते एक इंटरव्यू में कहा भी था कि जब वर्ष 1996 में टिकट की बारी आई तो उन्हें बताया गया कि उनका टिकट कट रहा है तो वे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से मिले।

बाजपेयी ने दिया था आश्वासन-दीपक नहीं महादीपक है जो जलता रहेगा

बाजपेयी ने इशारों में उन्हें आश्वासन दिया कि दीपक नहीं महादीपक है, जो जलता रहेगा। इसके बाद वे वापस लौट आए और उन्हें टिकट मिल गया। वे वर्ष 1971 से लेकर 77 तक लोकसभा के सदस्य रहे। इसके बाद 1977 से लेकर 1979 तक सदन में रहे। इसके बाद पार्टी ने उन्हें 1989 में टिकट दिया, मगर दो वर्ष तक ही सांसद रह सके। 1991 से 96 तक उन्होंने अपना दूसरी बार कार्यकाल पूरा किया।

इसके बाद 1998 से 1999 तक उनका कार्यकाल रहा। विशेष बात यह है कि महादीपक छह बार लोकसभा के सदस्य बने, मगर सिर्फ दो बार ही अपना कार्यकाल पूरा कर पाए। शाक्य वोटों पर उनकी मजबूत पकड़ उन्हें चुनाव जिताती रही।

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