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    Etawah: लाखों की कीमत वाली जमुनापारी बकरी की विदेशों में भी बढ़ रही डिमांड, बीमारियों में प्रयोग होता है दूध

    Goat Farming in UP जमुनापारी बकरियों ने इटावा के चकरनगर क्षेत्र को देश ही नहीं बल्कि विश्व प्रसिद्ध बना दिया। बकरियों की कीमत लाखों में पहुंच गई है। यह दुग्ध उत्पादन में भी मुफीद है। इस बकरी का दूध डेंगू सहित कई बीमारियों में प्रयोग किया जाता है।

    By gaurav dudejaEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANUpdated: Tue, 14 Mar 2023 04:36 PM (IST)
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    UP News: जमुनापारी बकरी की विदेशों तक में है मांग, लाखों में होती है कीमत : जागरण

    इटावा, जागरण संवाददाता: जमुनापारी बकरियों ने चकरनगर क्षेत्र को देश ही नहीं, बल्कि विश्व प्रसिद्ध बना दिया। देश के उपरांत अन्य देशों की मांग से पिछले कुछ ही समय में क्षेत्र के पशुपालकों की आय बढ़कर 10 से 15 गुना हो गई। इन बकरियों की कीमत लाखों में बदल गई, साथ ही सैकड़ों की संख्या में बकरी पालन करने वाले पशुपालकों की संख्या भी बढ़ी है। सुंदरता के साथ मीट के लिए स्वादिष्ट जमुनापारी बकरी की मांग निरंतर बढ़ती ही जा रही है। इनकी कीमत एक से लेकर पांच लाख रुपये तक पहुंच गई है।

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    क्षेत्र की जमुनापारी हंसी तोता परी बकरी की खूबसूरती का समूचा विश्व दीवाना है। कई देश जमुनापारी बकरी की बड़े स्तर पर खरीद फरोख्त कर रहे हैं, जब कि कुछ में डिमांड तेजी से बढ़ रही है। विश्व में बढ़ती जमुनापारी बकरियों की डिमांड के चलते भारत सरकार ने इसे विश्व प्रसिद्ध प्रजाति का दर्जा दिया है।

    डेंगू सहित कई बीमारियों में प्रयोग होता है दूध

    यह दुग्ध उत्पादन में भी मुफीद है। एक जमुनापारी बकरी डेढ़ से दो किलो दूध देती है। इस बकरी का दूध डेंगू सहित कई बीमारियों में प्रयोग किया जाता है। विदेशों में इसका मीट बहुत कीमती है। कद काठी ऊंची होने से इसका वजन भी अधिक होता है। जिसके चलते विदेशों में इसकी अधिक मांग है।

    चार से पांच लाख रुपये तक बिकती है एक बकरी

    ग्राम टिटावली के पशुपालक मनोज यादव ने बताया कि जमुना पारी बकरियों से एक साल में 15 से 20 लाख रुपये का मुनाफा हो जाता है। एक बकरी चार से पांच लाख रुपये तक बिकती है। उन्हें कई बार पशु प्रदर्शनी में सम्मानित भी किया गया है। सिरसा के साहब सिंह यादव बताते हैं कि 10 से 15 लाख रुपये का मुनाफा प्रति वर्ष होता है लेकिन इसमें पूरे परिवार को मेहनत करनी पड़ती है। उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया है।

    इन गांवों में पाली जाती हैं जमुना पारी बकरियां

    सहसों, नदा, मिटहटी, सिरसा, टिटावली, कोला, गढ़ैया, विंडबा कला, सोनेपुरा, प्रतापपुरा, जहारपुरा, जांगरा, नींमडांडा, फूटाताल, नगला पिलुआ, नगला महानंद, नगला चौप, जगतौली, वरचौली, बछेड़ी, बंसरी, पहलन, विडौरी आदि।

    इन राज्यों के व्यापारी कर रहे निर्यात

    चकरनगर से जमुनापारी बकरियों को खरीदकर नागपुर, छिंदवाड़ा, केरला, लखनऊ, जोधपुर, मुंबई, महाराष्ट्र आदि के व्यापारी देश के अलावा अन्य देशों में निर्यात कर रहे हैं। उक्त व्यापारियों के आगरा व कानपुर जैसे शहरों में अपने निजी बकरी फार्म हाउस भी हैं। व्यापारी क्षेत्र के पशुपालकों से बकरी खरीदकर विदेशों में निर्यात करते हैं।

    इन देशों में बढ़ी बकरियों की मांग

    इकलौते चकरनगर क्षेत्र में पैदा होने वाली जमुनापारी बकरी की इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, श्रीलंका, भूटान, बांग्लादेश आदि देशों में सर्वाधिक मांग बढ़ी है।

    इनका कहना है

    जमुनापारी बकरी विश्व में सिर्फ चकरनगर क्षेत्र में ही पाई जाती हैं। खूबसूरती के चलते विदेशी लोग इसे पालने के शौकीन हैं। -डा. राहुल कुमार, पशु चिकित्साधिकारी, सहसों