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रास आया माहौल, इटावा सफारी में बढ़े काले मृग व चीतल

गौरव डुडेजा इटावा काले मृग (एंटीलोप) व चीतल (स्पॉटेड डियर) को इटावा सफारी पार्क का माहौल खूब र

By JagranEdited By: Updated: Thu, 29 Jul 2021 06:57 PM (IST)
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रास आया माहौल, इटावा सफारी में बढ़े काले मृग व चीतल

गौरव डुडेजा, इटावा

काले मृग (एंटीलोप) व चीतल (स्पॉटेड डियर) को इटावा सफारी पार्क का माहौल खूब रास आया है। यहां सुरक्षा और भोजन की प्रचुरता की वजह से इनकी वंशबेल बीते पांच साल में तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2016 में डियर सफारी के शुभारंभ पर यहा 20-20 काले मृग व चीतल लाए गए थे। अब काले मृग 77 व चीतल 50 हो चुके हैं। डियर सफारी में इनकी उछलकूद देखने के लिए खासी संख्या में दर्शक आ रहे हैं। इन वन्यजीवों की संख्या के साथ पर्यटक बढ़ने से सफारी के अधिकारी उत्साहित हैं।

सफारी पार्क में 10 नर और 10 मादा काले मृग और इतने ही चीतल को कानपुर और लखनऊ चिड़ियाघर से लाया गया था। उसके बाद से पाच सालों में इनकी संख्या तेजी से बढ़ी। मादा काला मृग व चीतल गर्भधारण के बाद साढ़े पाच माह में बच्चों को जन्म देती है। यही कारण है कि इनकी संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। सफारी पार्क में हिरनों की सबसे बड़ी प्रजाति साभर की संख्या भी अब 13 हो गई है। इन्हें भी वर्ष 2016 में जब लाया गया था तो इनकी संख्या 9 थी। इनका गर्भाधारण काल साढ़े आठ माह का होता है।

शेड्यूल-1 श्रेणी के जानवर हैं

काला मृग व चीतल केंद्र सरकार के वन्यजीव अधिनियम 1971 के अंतर्गत शेड्यूल-1 श्रेणी के वन्यजीव हैं। ये खुले मैदानों में रहते हैं जिसके कारण इनका शिकार हो जाता है। सर्वाधिक चीते ही इनका शिकार करते हैं, इसलिए केंद्र सरकार ने इन्हें संरक्षित करने के लिए शेड्यूल-1श्रेणी में रखा है। इटावा सफारी पार्क में इनको संरक्षण के उद्देश्य से लाया गया है। काले मृग को कृष्ण मृग भी कहा जाता है और यह अपनी खूबसूरती के कारण पर्यटकों को आकíषत करता है। इनका शिकार भी प्रतिबंधित है।

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इटावा सफारी पार्क में काले मृग व चीतल की संख्या बढ़ोत्तरी सुखद है। इसका प्रमुख कारण इन्हें पर्याप्त भोजन व सुरक्षा मिलना है। संरक्षण होने के कारण इनके गर्भाधान में कोई व्यवधान नहीं आता है। संख्या बढ़ने पर इन्हें देश के अन्य चिड़ियाघरों में भी भेजा जाता है।

अरुण कुमार सिंह, उपनिदेशक इटावा सफारी पार्क