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Sparrow Next : विलुप्त हो रहीं चिड़ियों के संरक्षण में जुटी शिक्षिका, अपने घर को बना डाला गौरैया हाउस

सुनीता का गौरैया चिड़िया के प्रति इतना गहरा लगाव है कि उन्होंने अपने घर में गौरैया के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। घर का ऊपरी हिस्सा पार्क में तब्दील कर दिया है जहां गौरैया चिड़िया सुबह और शाम आती जाती रहती हैं। पहली मंजिल की दीवारों पर भी घोंसले बनाए गए हैं जिससे गौरैया को प्रजनन में सहायता मिलती है।

By gaurav dudeja Edited By: Mohammed Ammar Updated: Tue, 27 Aug 2024 05:20 PM (IST)
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एक हजार से अधिक बांट चुकी हैं अपने हाथ से बने गौरैया के घोंसलें

जागरण संवाददाता, इटावा। जनपद के बसरेहर ब्लाक के परिषदीय विद्यालय की शिक्षिका सुनीता यादव विलुप्त हो रहीं चिड़िया गौरैया के संरक्षण में जुटी हुई हैं। इन्होंने अपने घर को ही गौरैया हाउस बना दिया है। आठ सालों में उनके घर से लगभग 1000 गौरैया चिड़ियों ने उड़ान भरी है। सुनीता के मन में गौरैया संरक्षण के प्रति इतनी ललक है कि वे रात दिन गौरैया के संरक्षण के बारे में सोचती हैं।

मूल रूप से वे हमीरपुर जिले के ममना गांव की रहने वाली हैं। उनकी तैनाती बसरेहर ब्लाक में है। सुनीता ने बताया कि गौरैया रेडजोन में शामिल है। उनके गांव ममना में खपरैल पर बने मकान में गौरैया को देखकर उसके संरक्षण का विचार मन में आया। वर्ष 2016 में अपने घर में तीन घोंसले बनाने के बाद गौरैया के पानी का इंतजाम किया। पहले एक दो गौरैया आयीं उसके बाद गौरैया के दो जोड़ों ने घोंसले बनाए और बच्चे आने शुरू हुए।

मकान के ऊपरी हिस्से को उन्होंने गौरैया पक्षी के लिए समर्पित कर दिया है। संरक्षण को लेकर वे गोष्ठी कर रही हैं। लोगों में जागरूकता ला रही हैं। उन्होंने अब तक एक हजार से अधिक गौरैया के घोंसले बांटे हैं। इनको विशेष रूप से डिजाइन किया है। इसका परिणाम यह है कि हर साल 100 से 125 गौरैया के बच्चे उनके घर में जन्म लेते हैं।

गौरैया के प्रति लगाव

सुनीता का गौरैया चिड़िया के प्रति इतना गहरा लगाव है कि उन्होंने अपने घर में गौरैया के लिए विशेष इंतजाम किए हैं। घर का ऊपरी हिस्सा पार्क में तब्दील कर दिया है, जहां गौरैया चिड़िया सुबह और शाम आती जाती रहती हैं। पहली मंजिल की दीवारों पर भी घोंसले बनाए गए हैं जिससे गौरैया को प्रजनन में सहायता मिलती है।

वे हर माह लोगों के बीच संगोष्ठी का आयोजन करती है जिसमें 50 से 100 लोग शामिल होते हैं और उन्हें जागरूक किया जाता है। हर व्यक्ति को हाथ से बनाए गए घोंसले भी वितरित किए जाते हैं। सुनीता यादव का कहना है कि बचपन से ही उन्होंने पशु-पक्षियों के संरक्षण के प्रति गहरी रुचि रखी है लेकिन गौरैया के प्रति उनका विशेष जुनून है। बताते चलें कि गौरैया की घटती संख्या को देखते हुए वर्ष 2010 से गौरैया दिवस मनाया जा रहा है।

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