जमींदोज हो रहीं हैं नवाब की विरासत
फैजाबाद : इतिहास गवाह है कि नवाब शुजाउद्दौला ने फैजाबाद में कैंप लगाया, तो यहां की सरजमीं भा गई।
By Edited By: Updated: Fri, 11 Sep 2015 11:53 PM (IST)
फैजाबाद : इतिहास गवाह है कि नवाब शुजाउद्दौला ने फैजाबाद में कैंप लगाया, तो यहां की सरजमीं भा गई। उन्होंने यहीं पर बसने और नया राज्य बनाने का अहम फैसला लिया। यही राज्य अवध कहलाया। फैजाबाद को करीने से बसाया गया। मुहल्लों का जैसा हुनर, वैसा ही नाम दिया गया। अवध की राजधानी फैजाबाद बनाई गई। सधी योजना से एक-एक इमारत बनाई गई। ये इमारतें नवाब की विरासत हैं। ये विरासत अब धीरे-धीरे जमींदोज होती जा रही हैं।
नवाब शुजाउद्दौला का युग 1753 से 1775 तक माना जाता है। 1765 में फैजाबाद को राजधानी बनाया गया। सबसे पहले दरबार-ए-खास व रनिवास बनाया गया। जो क्रमश: अफीम कोठी व मोतीमहल के नाम से जाना जाता है। बाद में दरबार-ए-आम बनाया गया, जो अब गुलाबबाड़ी कहलाता है। यही पर नवाब शुजाउद्दौला दफन हैं। चौक घंटाघर के कहने ही क्या। अंगूरी बाग, जमुनिया बाग, मोती बाग व लाल बाग वाकई में बाग ही थे। व्यापार के लिहाज से दालमंडी बनी। जनौरा शिकारगाह था। रकाबगंज, साहबगंज, अमानीगंज, बेनीगंज, मुगलपुरा, तेलीटोला, फतेहगंज व अन्य मुहल्ले जस नाक तस काम जैसे थे। चौक प्रवेशद्वार था। इसके चारों तरफ दर बनाए गए, जो एकदरा, दोदरा या तिनदरा कहलाते हैं। इनमें नवाबों की फौज रहती व निगरानी करती थी। चौक से दरबार-ए-खास तक पहुंचने के लिए पूरब की ओर तीन दर और बनाए गए। इनमें एक सदर कोतवाली के सामने व दूसरा गुलाबबाड़ी के सामने है। अफीम कोठी को बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त हो चुका है। मोतीमहल का वजूद ही समाप्त कर दिया गया है। चौक के एकदरा व तिनदरा गत दंगें में आगजनी का शिकार हो गए और बेहद खतरनाक करार दिए गए। प्रशासन ने इसके खतरनाक हिस्से को गिरवा दिया, जो बचा है, वह रखरखाव के अभाव में जमींदोज हो रहा है। इसी बरसात में गुलाबबाड़ी के सामने बने दर का शानदार गुंबद धराशायी हो गया। इससे इमारत की दीवार दरक गयी। अब दूसरे गुंबद पर भी खतरा मंडरा रहा है। इसमें भी गहरी दरार साफ देखी जा सकती है। अंदर की कड़ियां भी सड़ कर गिर चुकी है, जिससे मुख्य भवन को खतरा पैदा हो गया है। जैसे-जैसे इमारतें दरक कर जमींदोज हो रही है, नवाबी पहचान भी गुम होती जा रही है। -------------------
धरोहर है पर संरक्षित नहीं-निरीक्षक फैजाबाद : जिले के पुरातात्विक निरीक्षक डीके जायसवाल ने बताया कि ये इमारतें धरोहर जरूर हैं, लेकिन संरक्षित नही हैं। इसके संरक्षण या बचाव के लिए उन्हें न तो अधिकार है और न ही बजट। इनका बचाव भी जरूरी है, जिसके लिए सभी को सोचना पड़ेगा।
-------------- खाली कराने का कहा है-एडीएम सिटी फैजाबाद : अपर जिलाधिकारी नगर आरएन शर्मा का कहना है कि उन्हें जर्जर इमारत की जानकारी है। उन्होंने इसमें रह रहे लोगों को इस भवन का खाली करने का कहा है। धरोहर का संरक्षित करने के बारे में उन्हें अध्ययन करना पड़ेगा।
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