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After Ayodhya Verdict : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को आगे आया पटना का महावीर ट्रस्ट, दस करोड़ देने की घोषणा

पटना के महावीर सेवा ट्रस्ट की ओर से प्रस्तावित शासकीय न्यास को दस करोड़ रुपये का एलान किया गया है। यह जानकारी ट्रस्ट के अध्यक्ष पूर्व आइपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल ने ने दी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Mon, 11 Nov 2019 08:45 AM (IST)
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After Ayodhya Verdict : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को आगे आया पटना का महावीर ट्रस्ट, दस करोड़ देने की घोषणा
अयोध्या, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट के अयोध्या में राम मंदिर के पक्ष में फैसला देने के बाद से अब वहां भव्य मंदिर निर्माण की तैयारी है। इसके लिए शीर्ष कोर्ट से केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया गया है जबकि मंदिर बनाने के लिए काफी लोग बड़ी धनराशि देने की घोषणा का रहे हैं।

पटना के महावीर सेवा ट्रस्ट की ओर से प्रस्तावित शासकीय न्यास को दस करोड़ रुपये दिए जाने का एलान किया गया है। यह जानकारी ट्रस्ट के अध्यक्ष पूर्व आइपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल ने दी। उन्होंने बताया कि मंदिर निर्माण अगले पांच वर्ष में पूरा होने की संभावना है। इस बीच ट्रस्ट मंदिर निर्माण के लिए प्रत्येक वर्ष दो करोड़ रुपये देगा। कुणाल ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि मंदिर निर्माण जल्दी पूर्ण होता है तो महावीर ट्रस्ट घोषित दस करोड़ रुपये की सालाना किस्त बढ़ा देगा। उन्होंने रामलला का दर्शन के लिए आने वाले बाहरी श्रद्धालु के लिए राम रसोई संचालित करने की तैयारी भी कर रखी है। इसकी शुरुआत वह राम नगरी में राम जन्मभूमि परिसर से ही लगे अमावा राम मंदिर में एक दिसम्बर से करेंगे। इसके लिए 5000 वर्ग फीट का परिसर बनाया गया है, जो अयोध्या में स्थिति सामान्य होते ही काम शुरू कर देगा। अमांवा मंदिर में शुक्रवार को भगवान राम के बालस्वरूप की प्रतिमा स्थापित कर दी की गई। जिसके बाद शनिवार को फैसला आया।

आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बने, यह सभी की इच्छा है। हम सब इस सपने को साकार करने के लिए प्रयत्नशील हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब मंदिर निर्माण की प्रक्रिया शुरू होगी। मेरी कोशिश होगी की मंदिर निर्माण में हरसंभव मदद करूं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि उसने तमाम प्रमाणों के आधार पर रामलला के विराजमान होने का जो ऐतिहासिक फैसला दिया है, उसका सभी को स्वागत करना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने रामलला के पक्ष में निर्णय देते हुए मंदिर निर्माण की सभी बाधाओं को दूर कर दिया है। मुस्लिम पक्ष को पांच एकड़ जमीन देने का आदेश देकर सभी पक्षों को संतुष्ट करने की भी कोशिश की है। देश पर इस फैसले का धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक असर होगा।

आचार्य कुणाल ने कहा कि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए वह 1990 से लगे थे। देश के विभिन्न पुस्तकालयों एवं सरकारी कार्यालयों से साक्ष्य एकत्रित किए। साक्ष्यों के आधार पर 'अयोध्या रिविजिटेडÓ पुस्तक की रचना की। पुस्तक में स्पष्ट है कि अयोध्या में विवादित स्थल के मध्य गुंबद के नीचे भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। इसके लिए सीता रसोई का प्रमाण दिया गया है। इसके अलावा जन्मस्थल से संबंधित एक नक्शा भी तैयार कराया गया जिसे सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था।

किशोर कुणाल गुजरात के एडीजी रहते स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के बाद सेवा एवं धार्मिक सांस्कृतिक फलक पर सक्रिय हैं। वह सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के पक्षकार भी रहे हैं। अयोध्या के इतिहास पर रोशनी डालती उनकी प्रतिनिधि किताब अयोध्या रिविजिटेड मंदिर-मस्जिद का फैसला तय करने में अहम रही है। 

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