अयोध्या: राम मंदिर के जरिए एक सूत्र में पिरोया जाएगा भारतवर्ष, जानिए कहां तक पहुंचा निर्माण कार्य
हिंदुओं के आराध्य रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण कार्य राम जन्मभूमि पर तेजी से चल रहा है। इस निर्माण कार्य की समीक्षा हर महीने के आखिरी गुरुवार और शुक्रवार के दिन होती है। इस महीने की बैठक में रामलला के मंदिर से जुड़ी खास जानकारी साझा की गई है। इस साल के अंत तक मंदिर के भूतल का कार्य समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
By Riya.PandeyEdited By: Riya.PandeyUpdated: Fri, 30 Jun 2023 11:11 PM (IST)
जागरण ऑनलाइन डेस्क: हिंदुओं के आराध्य रामलला के भव्य मंदिर के निर्माण कार्य श्रीराम जन्मभूमि पर तेजी से चल रहा है। इस निर्माण कार्य की समीक्षा हर महीने के आखिरी गुरुवार और शुक्रवार के दिन होती है। इस महीने की बैठक में रामलला के मंदिर से जुड़ी खास जानकारी साझा की गई है।
इस साल के अंत तक यानी कि 31 दिसंबर तक मंदिर के भूतल का कार्य समाप्त करने का लक्ष्य रखा गया जिसके लिए कार्य तेजी से चल रहा है। भगवान राम के इस मंदिर को दिव्य और भव्य स्वरूप प्रदान करने के लिए अलग-अलग राज्य के कारीगर लगे हुए है।
मंदिर निर्माण के लिए देशभर से आये कारीगर
श्रीराम जन्मभूमि पर बन रहे इस भव्य मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होते ही दुनिया के सबसे बड़े तीन मंदिर की लिस्ट में इस मंदिर का नाम शुमार हो जायेगा। मंदिर ट्रस्ट के मुताबिक, मंदिर के माध्यम से संपूर्ण भारतवर्ष को एक सूत्र में पिरोया जा रहा है।रामलला की मूर्ति निर्माण के लिए पत्थर को कर्नाटक व राजस्थान लाया गया है। मंदिर के भवन में लगने वाले पत्थरों पर खूबसूरत नक्काशी का काम राजस्थान के कारीगर कर रहे हैं, वहीं दरवाजे व खिड़कियों के लिए लकड़ियां मराठा भूमि महाराष्ट्र के बल्लाह शाह से मंगवाई गई। इसके अलावा लकड़ी का काम हैदराबाद के कारीगरों द्वारा किया जाएगा। अभी जो पहले फ्लोर और नींव लगाने से लेकर पिलर खड़े करने का काम तमिलनाडु के कारीगरों के सहयोग से हो रहा है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि संपूर्ण विश्व को दो साल बाद यह पता लगेगा कि इस मंदिर में संपूर्ण भारत के सभी राज्यों का किसी ना किसी प्रकार से योगदान रहा।
मंदिर के छत का निर्माण का कार्य पूरा
श्रीराम मंदिर ट्रस्ट का कहना है कि संपूर्ण भारत के हर एक राज्य का योगदान रहने से मंदिर से हर राज्य के लोग जुड़ाव महसूस करेंगे। इस वक्त तक मंदिर के प्रथम तल और छत का निर्माण का कार्य पूरा हो गया है। अब खम्भों व दीवारों पर मूर्तियां उकेरी जा रही हैं।
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