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रामनगरी अयोध्या में आज महाशिवरात्रि पर भोले की बम-बम

सरयू तट पर स्थित नागेश्वरनाथ मंदिर प्रमुख है। नगरी की पौराणिकता विवेचित करने वाले ग्रंथ रुद्रयामल के अनुसार नागेश्वरनाथ की स्थापना भगवान राम के पुत्र कुश ने की थी।

By Dharmendra PandeyEdited By: Updated: Tue, 13 Feb 2018 01:46 PM (IST)
रामनगरी अयोध्या में आज महाशिवरात्रि पर भोले की बम-बम

अयोध्या [रघुवरशरण]। रामनगरी अयोध्या में भी आज महानिशवरात्रि पर भोले की बम-बम है। रामनगरी में यदि भगवान राम के हजारों मंदिर हैं, तो भोले बाबा के मंदिरों की भी कमी नहीं। बाबा के कई ऐसे मंदिर हैं, जिनकी भरी-पूरी पौराणिकता है।

इसमें सरयू तट पर स्थित नागेश्वरनाथ मंदिर प्रमुख है। नगरी की पौराणिकता विवेचित करने वाले ग्रंथ रुद्रयामल के अनुसार नागेश्वरनाथ की स्थापना भगवान राम के पुत्र कुश ने की थी। मान्यता है कि एक दिन जब महाराज कुश सरयू नदी में स्नान कर रहे थे, तभी उनके हाथ का कंगन जल में गिर गया, जिसे नाग कन्या उठा ले गई। बहुत खोजने के बाद भी जब कुश को कंगन नहीं मिला, तब उन्होंने कुपित होकर सरयू जल को सुखा देने की इच्छा से अग्निशर का संधान किया। कुश के कोप से जल में रहने वाले जीव-जंतु आकुल हो उठे। नागराज ने स्वयं कंगन महाराज कुश को सादर वापस लौटाया।

नागराज ने अपनी पुत्री का कुश से विवाह का अनुरोध किया। कुश ने यह अनुरोध स्वीकार करते हुए नागकन्या से विवाह किया और इस प्रसंग की स्मृति में उस स्थान पर नागेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना की।

करीब दो हजार वर्ष पूर्व महाराज विक्रमादित्य ने अयोध्या के पुनरुद्धार के क्रम में यहां भव्य मंदिर का निर्माण कराया। भोले बाबा से जुड़ी नागेश्वरनाथ की विरासत शिवरात्रि के अवसर पर फलक पर होती है। न केवल लाखों की संख्या में श्रद्धालु तड़के से ही बाबा के अभिषेक के लिए उमड़ते हैं, बल्कि सायंकाल भव्य शिवबरात निकलती है। रामनगरी भोले बाबा के जिन पौराणिक मंदिरों से सज्जित है, उनमें क्षीरेश्वरनाथ मंदिर की गणना भी प्रमुखता से होती है।

मान्यता है कि यहां भगवान राम ने भोले बाबा का दुग्धाभिषेक किया था। अभिषेक में इतनी अधिक मात्रा में दूध का उपयोग किया गया कि निकट ही क्षीर यानी दूध का सागर बन गया। रामकोट स्थित कोटेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग भी अनादि माना जाता है।

नगरी राजसदन परिसर में स्थापित दर्शनेश्वर महादेव से भी गौरवांवित है। मंदिर का शानदार स्थापत्य, आस्था का सृजन करता शिवलिंग एवं समर्पण की शुभ्रता का परिचायक नंदी का विग्रह बरबस मोहित करता है। रामनगरी की जुड़वा फैजाबाद स्थित झारखंडेश्वर महादेव मंदिर अपनी प्राचीनता एवं सारगर्भित परंपरा के लिए जाना जाता है।

सरयू के गुप्तारघाट तट पर स्थित अनादि पंचमुखी महादेव मंदिर वैष्णवों की शिवभक्ति का परिचायक है। मंदिर के व्यवस्थापक एवं युवा कथाव्यास आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण के अनुसार राम और शिव तत्वत: अभिन्न हैं। एक की भक्ति में परिपूर्णता से दूसरे की भक्ति स्वयमेव सिद्ध होती है। 

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