Move to Jagran APP

दिन-रात काम कर रही सरयू प्रयोगशाला

डा.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से एक अच्छी सूचना है। देश के नामी शोध संस्थानों जैसी रात्रिकालीन प्रयोगशाला का संचालन यहां प्रारंभ हो गया है। इसमें नियमित तौर पर शोधार्थी अपने- अपने प्रयोग परीक्षण व निष्कर्ष निकालते हैं। यह कार्य विवि स्थित सरयू प्रयोगशाला में होता है। इन दिनों यहां रामनगरी के पर्यावरण के विभिन्न आयामों पर शोध चल रहा है।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 18 Jul 2022 06:52 AM (IST)
Hero Image
दिन-रात काम कर रही सरयू प्रयोगशाला

प्रवीण तिवारी,अयोध्या

डा.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय से एक अच्छी सूचना है। देश के नामी शोध संस्थानों जैसी रात्रिकालीन प्रयोगशाला का संचालन यहां प्रारंभ हो गया है। इसमें नियमित तौर पर शोधार्थी अपने- अपने प्रयोग, परीक्षण व निष्कर्ष निकालते हैं। यह कार्य विवि स्थित सरयू प्रयोगशाला में होता है। इन दिनों यहां रामनगरी के पर्यावरण के विभिन्न आयामों पर शोध चल रहा है। इसका संचालन पर्यावरण विज्ञानी डा. विनोद कुमार चौधरी करते हैं। वह कहते हैं कि शोधार्थियों की मांग व विवि के सहयोग से रात्रि में भी लैब शुरू हो सकी है। कहते हैं कि इसमें ग्रुपों में शोधार्थी कार्य करते हैं।

----------------

पर्यावरण में शोध कार्य को बढ़ावा देना उद्देश्य

अयोध्या: इस प्रयोगशाला के प्रारंभ करने का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के क्षेत्र में शोध को बढ़ावा देना है। अयोध्या की वायु की गुणवत्ता की जांच हफ्ते में दो दिन मंगलवार और शुक्रवार को की जाती है। प्राप्त डाटा को उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भेजा जाता है। यह डाटा बोर्ड की वेबसाइट पर दर्ज होता है, जिसे आमलोग देख सकते हैं। गत दो वर्षों से चार शोधार्थी आकांक्षा पटेल, बृजेश कुमार यादव, राजकुमार और शुभम सिंह कार्य कर रहे हैं। विज्ञानी विनोद कुमार चौधरी के अनुसार वायु गुणवत्ता की जांच महत्वपूर्ण है। बताया कि वायु मंडल में तत्वों की सांद्रता बढ़ने से बहुत सी स्वास्थ्य समस्याएं लोगों में पैदा होने लगती। इसी को ²ष्टिगत रखते हुए परियोजना चल रही है।

-----------------

घर के निष्प्रयोज्य जल के ट्रीटमेंट की खोजी जा रही विधा

अयोध्या: विज्ञानी डा.विनोद कुमार चौधरी ने बताया कि इन दिनों घरों के वाशरूम व किचन से निकलने वाले निष्प्रयोज्य पानी को साफ करने का तरीका विकसित करने पर शोध हो रहा है। प्रदेश सरकार की परियोजना के अंतर्गत ऐसा तरीका खोजा जा रहा है कि लोग अपने घरों पर इस पानी को ट्रीट कर इसे उपयोग में ला सकें। शोधार्थी नवीन पटेल और अनुराग सिंह भूमिगत जल में नाइट्रेट की मात्रा और फ्लोराइड की मात्रा की जांच कर रहे हैं। सेनेटाइजेशन मशीन विकसित करने पर कार्य हो रहा है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।