लगन और संकल्पित भाव से हासिल कर सकते हैं लक्ष्य
त्रेतायुगीन तमसा न सिर्फ स्वयं संवरी बल्कि झीलें तालाब और पोखरे भी निखरे। तमसा जहां अब जलसंचयन का जरिया बन रही है तो वहीं ग्राउंड वाटर रिचार्ज का भी। तमसा को संवारने के साथ गांव की नालियों के मुहाने पर लोहे की जाली लगाई गई जिससे पानी छनने के बाद तमसा में गिर सके।
By JagranEdited By: Updated: Thu, 24 Jun 2021 11:02 PM (IST)
प्रहलाद तिवारी, रुदौली (अयोध्या) : त्रेतायुगीन तमसा न सिर्फ स्वयं संवरी, बल्कि झीलें, तालाब और पोखरे भी निखरे। तमसा जहां अब जलसंचयन का जरिया बन रही है तो वहीं ग्राउंड वाटर रिचार्ज का भी। तमसा को संवारने के साथ गांव की नालियों के मुहाने पर लोहे की जाली लगाई गई, जिससे पानी छनने के बाद तमसा में गिर सके। कल्याणी नदी से निकलने वाले नाले को साफ कराया गया, जिससे कल्याणी नदी का जल स्तर बढ़ने पर उसका जल भी तमसा नदी को मिल सके।
तमसा के पुनरुद्धार की अहम कड़ी रहे मनरेगा के तकनीकी सहायक आशीष तिवारी कहते हैं कि लक्ष्य को साधने के लिए लगन और संकल्पित भाव से कार्य करने की आवश्यकता है और तमसा इसकी जीती-जागती नजीर है। वह बताते हैं, तमसा का मास्टर प्लान तैयार करते वक्त यह खास ध्यान रखा गया कि अनवरत जल प्रवाह बना रहे। तमसा नदी पर चेक डैम भी बने। तमसा को कल्याणी से जोड़ने का भी मास्टर प्लान तैयार है, लेकिन प्लान में अवैध कब्जा बाधक बन गया। नहर के किनारे जो पानी भरा रहता था, उस पानी को तमसा में लाने के लिए प्रयास किया गया। उन्होंने बताया कि बरसात के बूंद-बूंद सहेजने के लिए मनरेगा से तालाबों को संवारा जा रहा है। ग्राम पंचायतों में जल संचयन को बढ़ावा देने के लिए तालाबों और पोखरों का कायाकल्प कराया गया है, जबकि आठ झीलों की सफाई भी कराई गई। जल संचयन के लिए झीलों के चारों ओर 10 से 12 मीटर चौड़ा बंधा बनाया गया। बंधे पर इंटरलॉकिग कराई गई। उन्होंने बताया कि तालाबों और झीलों के चारों ओर छायादार व देव पौधों का रोपण कर पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। तमसा की तर्ज पर ही गांवों में बरसात की बूंद-बूंद सहेजने के लिए मनरेगा से तालाबों को संवारा जा रहा है। इससे न केवल जल संचयन को आयाम मिल रहा है, बल्कि गांव में ही श्रमिकों को रोजगार का अवसर प्राप्त हो रहा है।आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।