भगीरथ प्रयास से धरातल पर दिखने लगी तिलोदकी गंगा
नगर निगम क्षेत्र में चार किलोमीटर खोदाई का कार्य पूरा. वर्षों पुरानी अस्तित्व में आने की प्रतीक्षा हुई पूरी.
By JagranEdited By: Updated: Tue, 07 Jun 2022 07:18 AM (IST)
रविप्रकाश श्रीवास्तव, अयोध्या
त्रेतायुग में गंगा को धरती पर लाने वाले राजा भगीरथ का प्रयास सब जानते हैं। कुछ ऐसे ही प्रयास से आज अयोध्या की तिलोदकी गंगा को पुनर्जीवन मिल रहा है। विलुप्त हो चुकी पौराणिक महत्व की तिलोदकी गंगा का अस्तित्व भी अब धरातल पर दिखने लगा है। रामनगरी में अंधा-धुंध निर्माण और अतिक्रमण ने तिलोदकी गंगा को पहले नाले में बदल दिया और फिर धीरे-धीरे इसका अस्तित्व ही समाप्त होने लगा। जिले से होकर बहने वाली नदियों में सरयू, गोमती, तमसा, बिसुही और कल्याणी के साथ पौराणिक तिलोदकी गंगा भी शामिल है। शताब्दियों पहले यह नदी बहा करती थी, लेकिन बाद में उथली होने के कारण धीरे-धीरे यह संकरी होती गई और कई स्थानों पर तो लुप्त ही हो गई। इसे खोज निकालना किसी भगीरथ प्रयास से कम नहीं है। रामनगरी में तिलोदकी के अस्तित्व को ढ़ूंढ़ निकालने में नगर आयुक्त विशाल सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका है। अपने क्षेत्र के राजस्व अभिलेखों को खंगाल कर तिलोदकी को पुनर्जीवन देने में उन्हें कई अड़चनों का सामना भी करना पड़ा। कभी अतिक्रमणकारियों से निपटना पड़ा तो कई और अवरोध भी आये, जिनका सामना करते हुए वर्तमान में चार किलोमीटर तक तिलोदकी का स्वरूप उजागर कर दिया गया है। बूथ नंबर चार से महोबरा तक तिलोदकी गंगा की खोदाई पूर्ण हो चुकी है, जिसमें पानी भी दिखने लगा है। पानी की उपलब्धता बनाए रखने के लिए इसे आसपास के कुंड एवं तलाबों से भी जोड़ा जा रहा है। तिलोदकी को पुनर्जीवित करने की मुहिम में लगे राकेश सिंह कहते हैं कि अभिलेखों का अध्ययन करने पर ज्ञात हुआ कि सोहावल तहसील के पंडितपुर गांव से निकल कर तिलोदकी गंगा सदर तहसील के शहनवाजपुर होते हुए सरयू में मिलती है। ........... करीब 42 किलोमीटर से अधिक का सफर -पौराणिक तिलोदकी गंगा दो तहसीलों सदर और सोहावल से होते हुए करीब 42 किलोमीटर से अधिक की यात्रा पूरी करती है। इसके बाद यह नदी सरयू में मिल जाती है। नगर क्षेत्र में तिलोदकी के तट पर चार किलोमीटर की दूरी में रामायणकालीन आठ हजार पौधे रोपे जाएंगे। खुर्ज कुंड, सीताकुंड और विद्याकुंड के साथ-साथ रास्ते में पड़ने वाले तालाबों को भी तिलोदकी गंगा से जोड़ा जाएगा। इन कुंडों के सुंदरीकरण का कार्य चल भी रहा है। तिलोदकी को पुनर्जीवित करने के लिए सोहावल विकास खंड के पंडितपुर में स्थित उसके उद्गम स्थल पर भी खोदाई का कार्य शुरू हो चुका है। ....... पौराणिक विरासत को सहेजते हुए रामनगरी को नव्य स्वरूप दिया जाना प्राथमिकता में है। 108 कुंडों के पुनरुद्धार के अतिरिक्त तिलोदकी गंगा को पुनर्जीवन देना पर्यावरण की ²ष्टि से भी महत्वपूर्ण है। लेकमैन आफ इंडिया आनंद मल्लिगवाद और उनके सहयोगी राकेश सिंह को यह कार्य संपन्न करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। विशाल सिंह, नगर आयुक्त, अयोध्या नगर निगमआपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।