बाबर के नाम का अयोध्या में कोई स्थान नहीं : चंपत राय
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चंपतराय ने कहा कि मेरा मानना है कि मुस्लिम समाज के पढ़े-लिखे लोग सम्मानजनक ढंग से अदालत में कहें कि इस केस को खत्म करो।
अयोध्या (जेएनएन)। विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चंपत राय का मानना है कि अयोध्या में बाबर का कोई स्थान नहीं है। यह तो भगवान राम की जन्मभूमि है। इसी जगह पर उनका विशाल मंदिर बनना चाहिए, यह सभी की इच्छा है। इससे पहले चंपत राय ने आज अयोध्या से राम राज्य रथ यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।
विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चंपतराय ने कहा कि अयोध्या में बाबर का कोई स्थान नहीं है। बाबर के नाम अयोध्या में कहीं कोई स्थान नही बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि मुस्लिम समाज के पढ़े-लिखे लोग सम्मानजनक ढंग से अदालत में कहें कि इस केस को खत्म करो। हम यह जमीन हिंदू समाज को सौंपते हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या के मामले में किसी को भी वार्तालाप करने की छूट है। मुस्लिम समाज में जो समझदार नेतृत्व है। उनको यह समझ में आ रहा है कि भगवान वहां से नहीं हटाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राम राज्य रथयात्रा का यह बड़ा आयोजन राम के आदर्शों को अपने जीवन में लाने के लिए कराया जा रहा है। लोगों को इससे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और मुझे भरोसा है कि लोग अधिकांश बातों को अपने जीवन में आत्मसात करेंगे।संतों ने ली भव्य मंदिर निर्माण की शपथ
इससे पहले कारसेवकपुरम में संतों का सम्मलेन हुआ। इस सम्मलेन में विहिप राष्ट्रीय प्रवक्ता अशोक तिवारी ने संतो व हिंदू समुदाय के लोगों को अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए शपथ भी दिलाई। अशोक तिवारी ने संतो व हिंदू समुदाय के लोगों को शपथ दिलाते हुए कहा कि हम सभी हिंदू प्रभु श्रीराम की सौगंध लेते हैं कि आक्रमणकारियों द्वारा हिंदू एवं मंदिरों पर किए गए क्रूरता पूर्ण अत्याचार का प्रतिशोध श्रीराम की जन्मस्थली पर भव्य श्री राम मंदिर निर्माण कर अपने लाखों लाख हिंदू बलिदानों के अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे। इस रामराज्य रथ के माध्यम से भारत वर्ष में विदेशी आक्रमणकारी द्वारा क्षतिग्रस्त अपनी धरोहर को पुनः स्थापित करेंगे।शपथ लेते हैं कि सृष्टि का आधार पंच महाभूत धरती अंबर जल के संरक्षण के लिए जमीन को प्रदूषण मुक्त कराने के लिए जीवन भर प्रयास करेंगे। अपने किसी भी आचरण से इनको प्रदूषित नहीं करेंगे।
अशोक तिवारी ने कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र अध्यात्मिक राष्ट्र है। इसकी अध्यात्मिकता को संरक्षित करने के लिए आजन्म प्रयास करते रहेंगे। इस कार्यक्रम में मणिराम दास छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमल नयन दास, महंत कन्हैया दास, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री चंपतराय, सांसद लल्लू सिंह, विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा समेत सैकड़ों साधु संतों व हिंदू संगठन के लोग मौजूद रहे।
रामनगरी अयोध्या से राम राज्य यात्रा रथ रवाना
इससे पहले अयोध्या से रामेश्वरम तक राम राज्य रथ यात्रा को रवाना किया गया। भगवान राम की नगरी अयोध्या में राम जन्मभूमि का मामला इन दिनों सुर्खियों में है। इसी बीच आज अयोध्या से 41 दिन लंबी राम राज्य यात्रा विभिन्न प्रदेश से होकर गुजरने के बाद 25 मार्च को रामेश्वरम में समाप्त होगी। श्रीरामदास मिशन यूनिवर्सल सोसाइटी की ओर से प्रस्तावित इस राम राज्य रथयात्रा के पांच उद्देश्य हैं। यात्रा का आयोजन विश्व हिंदू परिषद ने किया है।
रामेश्वरम से होती हुई यात्रा उसी दिन तिरुवनंपुरम पहुंचेगी। यहां स्थित सुप्रसिद्ध पद्मनाभ मंदिर के सामने रामराज्य सम्मेलन के माध्यम से यात्रा से जुड़ी मांग को पूरी शिद्दत से बुलंद किया जाएगा। इनमें रामराज्य की स्थापना, रामजन्मभूमि पर भव्य राममंदिर का निर्माण, रामायण को विद्यालयी पाठ्यक्रम में शामिल कराना, रविवार की जगह गुरुवार को साप्ताहिक अवकाश एवं साल में एक दिन विश्व हिंदू दिवस घोषित करने की मांग शामिल है। रथयात्रा के संचालक अपनी मांग के समर्थन में 10 लाख से अधिक लोगों का हस्ताक्षर भी एकत्र करेंगे और उसे राष्ट्रपति को सौंपेंगे।
यूनिवर्सल सोसाइटी के अध्यक्ष स्वामी कृष्णानंद सरस्वती एवं महासचिव श्रीशक्ति शांतानंद सहित मणिरामदासजी की छावनी के उत्तराधिकारी महंत कमलनयनदास एवं विहिप के धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी सोमवार को मीडिया से मुखातिब हुए और यात्रा से संबंधित जानकारी दी।
इससे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण ने 25 सितम्बर 1990 में गुजरात के सोमनाथ से एक रथ यात्रा निकाली थी। रथ यात्रा का उद्देश्य था विश्व हिन्दू परिषद् के राम मंदिर आन्दोलन का समर्थन करना। यह यात्रा पूरे देश से होते हुए अयोध्या में समाप्त होनी थी। अयोध्या से रामेश्वरम तक की राम राज्य रथ यात्रा छह राज्यों से होते हुए 6000 किलोमीटर की दूरी तय कर कर 25 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी। राम राज्य रथ दोपहर तीन बजे अयोध्या से रामेश्वरम के लिए निकलेगा।
यह रथ में 28 फुट लंबा है और 28 खंबे लगे हुए हैं। इस रथ के अंदर रामजानकी और हनुमान जी की मूर्तियां विराजमान है। एक छोटा सा मंदिर भी रथ के अंदर बनाया गया है। अयोध्या से शुरू हो रही इस रथयात्रा में दक्षिण भारत के प्रमुख संत स्वामी कृष्णानंद सरस्वती भी रहेंगे। यह यात्रा नंदीग्राम, इलाहाबाद, वाराणसी, सागर, चित्रकूट, छतरपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, ओंकारेश्वर, त्रयम्बकेश्वर, नारायणपुर, विजयपुरा, किष्किंधा बेलारी, बंगलुरू, मैसूर, कन्नूर होते हुए 23 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी। 25 मार्च को तिरुवनंतपुरम पहुंचकर समाप्त हो जाएगी।
इस यात्रा की पांच प्रमुख मांगे हैं, जिनमें राम मंदिर निर्माण, राम राज्य और स्कूल के पाठ्यक्रम में रामायण को शामिल किया जाना प्रमुख है। करीब डेढ़ महीने तक चलने वाली यह यात्रा छह राज्यों से होकर गुजरेगी और 23 मार्च को रामेश्वरम पहुंचेगी। इस के दौरान जगह-जगह कई सभाएं भी होंगी। इन सभाओं के जरिए अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण, रामराज्य की स्थापना के साथ ही रामायण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग होगी।
राजनीतिक निहितार्थ
इस रथ यात्रा के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि भाजपा एक बार फिर भगवान राम के शरण में है। इस यात्रा को 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियों से भी जोड़ा जा रहा है। भाजपा जहां एक तरफ ओरछा के 'राम राजा सरकार' के दरबार में 14-15 फरवरी को दो दिवसीय शिविर लगाकर अपनी रणनीति का मंथन करने जा रही है, वहीं 13 फरवरी से भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या से रामेश्वरम तक राम राज्य यात्रा निकालने जा रही है। माना जा रहा है कि इस यात्रा के जरिए हिंदू संगठन और भगवा टोली एक बार फिर उत्तर से लेकर दक्षिण तक राम मंदिर के मुद्दे पर माहौल तैयार करेगी। यह ठीक वैसा ही है जैसा कि लाल कृष्ण आडवाणी ने 90 के दशक में रथ यात्रा निकाल कर किया था। इस यात्रा के पीछे 2019 के लोक सभा चुनाव की तैयारियां भी छिपी हुई हैं।
अगले वर्ष रामनवमी को होगा रामलला का पट्टाभिषेकश्री रामदास मिशन यूनिवर्सल सोसाइटी के महासचिव श्रीशक्ति शांतानंद ने उम्मीद जताई कि अगले वर्ष रामनवमी के अवसर पर जब वे एक अन्य रामराज्य रथयात्रा के साथ वापस अयोध्या आएंगे तो यहां पर रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो चुका होगा और उसी दिन रामलला का पट्टाभिषेक किया जाएगा। शांतानंद एवं उनके अन्य साथी यह नहीं स्पष्ट कर सके कि रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण कैसे संभव होगा।