Move to Jagran APP

28 वर्ष से जारी संकिसा टीले का विवाद

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थल संकिसा में 26 व 27 अक्टूबर को आयोजित होने वाल

By Edited By: Updated: Mon, 19 Oct 2015 04:52 PM (IST)

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता : प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थस्थल संकिसा में 26 व 27 अक्टूबर को आयोजित होने वाले परंपरागत बुद्ध महोत्सव को लेकर बौद्ध अनुयायियों व सनातनधर्मियों के बीच फिर तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है। 27 अक्टूबर को ही सनातनधर्मी विवादित परिसर स्थित टीला(स्तूप) पर पूजा-अर्चना कर परंपरा अनुसार भोग प्रसाद वितरित करेंगे। दोनों पक्ष भीड़ जुटाने के लिये क्षेत्र व पड़ोसी जनपदों में संपर्क कर रहे हैं। विवादित टीले के स्वामित्व को लेकर 28 वर्ष से न्यायालय में मामला विचाराधीन है।

संकिसा स्थित विवादित परिसर को पुरातत्व विभाग ने अधिग्रहीत कर रखा है। विवादित परिसर में स्थित टीले को बौद्ध अनुयायी स्तूप मानकर पूजा अर्चना करते हैं, जबकि सनातनधर्मी टीले पर विराजमान मां बिसारी देवी व अन्य देवी देवताओं की प्रतिमाओं की पूजा करते हैं। बच्चों के मुंडन व पुष्पनयन संस्कार सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भी किया जाता है। बौद्ध अनुयायी व सनातनधर्मी टीले पर अपना-अपना दावा ठोंक रहे हैं। इसको लेकर 28 वर्ष से न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन है। बुद्ध महोत्सव के दौरान दोनों पक्षों के आमने- सामने आने से पुलिस व प्रशासन को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करनी होती है। दोनों पक्षों में कई बार पथराव व फाय¨रग की घटनाएं भी हो चुकी हैं। उत्तेजक बयानबाजी से माहौल और बिगड़ जाता है। महोत्सव आयोजकों का मानना है कि तथागत गौतम बुद्ध अषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही श्रावस्ती के संघाराम में यमक प्रतिहार्य के बाद वर्षावास के पश्चात अश्विन पूर्णिमा के दिन 522 ईसा पूर्व संकाश्य(संकिसा) में पधारे थे। उस समय संकाश्य नगरी बौद्ध राजाओं की राजधानी थी। शाक्य राजा दीर्घशक्र का शासन था। बौद्ध अनुयायी 1940 से संकिसा में प्रतिवर्ष विभिन्न नामों से बुद्ध महोत्सव का आयोजन करते आ रहे हैं। सनातनधर्मियों की ओर से मां बिसारी देवी सेवा समिति न्यायालय में चल रहे मुकदमे की पैरवी कर रही है। समिति की सदस्य किरन मिश्रा ने बताया कि एतिहासिक सत्य है कि सांकश्य ¨हदू राजा की राजधानी थी। सनातनधर्मी आदि काल से मां बिसारी देवी को अपनी आराध्य देवी मानते चले आ रहे हैं। पूजा करने में किसी को भी रोका नहीं जा सकता, लेकिन मां बिसारी देवी व अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां हटाने की मांग करने वाले बेवजह विवाद बढ़ा रहे हैं। न्यायालय के आदेश का सभी को सम्मान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 27 अक्टूबर को पूजा-अर्चना में महिलाओं की टोली भी शामिल रहेगी। मेरापुर थाने के दरोगा जागेश्वर ¨सह ने बताया कि संकिसा में शांतिपूर्ण आयोजन कराने के लिये कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जायेगी। आयोजकों ने उत्तेजक भाषणबाजी न करने का आश्वासन दिया है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।