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यूपी की इस लोकसभा सीट पर बदल सकता है गठबंधन प्रत्याशी!, हाथी की सुस्त रफ्तार बढ़ा रही सपा-भाजपा की धुकधुकी

Lok Sabha Election 2024 सबसे पहले समाजवादी पार्टी फिर भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी लेकिन अब तक बहुजन समाज पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हाथी की सुस्त रफ्तार ने सपा और भाजपा प्रत्याशियों की धुकधुकी बढ़ा रखी है। क्योंकि पिछले चुनावों में बसपा की टिकट पर उतरने वाले मनोज अग्रवाल इस बार खामोश हैं।

By brajesh mishra Edited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 27 Mar 2024 07:59 AM (IST)
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हाथी की सुस्त रफ्तार बढ़ा रही सपा-भाजपा की धुकधुकी

जागरण संवाददाता, फर्रुखाबाद। सबसे पहले समाजवादी पार्टी, फिर भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी, लेकिन अब तक बहुजन समाज पार्टी ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हाथी की सुस्त रफ्तार ने सपा और भाजपा प्रत्याशियों की धुकधुकी बढ़ा रखी है।

क्योंकि, पिछले चुनावों में बसपा की टिकट पर उतरने वाले मनोज अग्रवाल इस बार खामोश हैं। ब्राह्मण, मुस्लिम और पाल समाज के नेताओं को बसपा सुप्रीमो से मिलवाने लखनऊ ले जाए गए थे। इन्हीं लोगों में से किसी एक पर दांव खेले जाने की चर्चा हो रही है, हालांकि स्थानीय बसपा नेता पूरी तरह से खामोश हैं और फोन भी नहीं उठा रहे हैं।

कांग्रेस नेताओं को गठबंधन प्रत्याशी बदलने की उम्मीद

कांग्रेस नेताओं को अभी भी गठबंधन प्रत्याशी के बदलने की उम्मीद है। समाजवादी पार्टी ने डॉ. नवल किशोर शाक्य व भारतीय जनता पार्टी ने सांसद मुकेश राजपूत को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। दोनों प्रत्याशी व उनकी पार्टी के कार्यकर्ता चुनावी वैतरणी पार करने को पूरा जोर लगाए हैं। जबकि बसपा ने अभी पत्ते ही नहीं खोले हैं।

पिछले दिनों बसपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह अंबेडकर ने कहा था कि 15 मार्च तक पार्टी प्रत्याशी घोषित कर देगी, लेकिन अभी तक कोई नाम सामने नहीं आया। बताया गया है कि पार्टी मुखिया मायावती की पहली पसंद ब्राह्मण या मुस्लिम समाज का प्रत्याशी उतारने की है।

पाल और  मुस्लिम समाज के नेता को दिया गया आफर

इन दोनों समाज से किसी भी नेता ने चुनाव लड़ने में रुचि नहीं दिखाई। इसके बाद अलीगंज क्षेत्र के पाल समाज के एक व्यक्ति को चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया गया है। फतेहगढ़ के एक मुस्लिम समाज के व्यक्ति को भी चुनाव लड़ने का आफर दिया गया था, लेकिन वह अभी मन नहीं बना पाए हैं।

दो दिन पहले पार्टी मुखिया से संभावित प्रत्याशी की भेंट कराई गई थी, लेकिन अभी कोई फैसला नहीं हो पाया है।

बसपा जिलाध्यक्ष वीर सिंह अंबेडकर से बात करने के लिए फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। वहीं कांग्रेसियों को अभी भी उम्मीद है कि परिस्थितियां बदलेंगी और गठबंधन से फर्रुखाबाद की सीट कांग्रेस की झोली में आ जाएगी।

कांग्रेस ने अब तक नहीं घोषित किए सभी प्रत्याशी

कांग्रेस के कार्यवाहक जिलाध्यक्ष मनोज गंगवार ने बताया कि पार्टी की ओर से गठबंधन प्रत्याशी को लड़ाने के लिए पत्र कई दिन पहले आ गया था। अभी पार्टी ने प्रदेश में सभी 17 सीटों पर प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। इससे अभी उन्हें लग रहा है कि फर्रुखाबाद लोकसभा क्षेत्र की सीट को लेकर बात चल रही है।

गठबंधन प्रत्याशी डॉ. नवल किशोर शाक्य का उनके पास फोन भी आया था। वह अभी समाजवादी पार्टी का झंडा लगाकर चल रहे हैं। उन्हें कांग्रेस का झंडा भी लगाना होगा, तभी हमारे कार्यकर्ता उनके साथ खड़े हो पाएंगे। एक-दो दिन में स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। वह पार्टी के निर्देश का पालन करेंगे।

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