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Farrukhabad: संरक्षण का बोर्ड लगाकर ऐतिहासिक धरोहरों को भूल गए जिम्मेदार, देखरेख के आभाव में दुर्गति का शिकार

Farrukhabad की ऐतिहासिक धरोहरें देखरेख के आभाव में दुर्गति का शिकार हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के जिम्मेदार यहां बोर्ड लगाकर इनका संरक्षण भूल गए। जनपद में 14 स्थलों को संरक्षित किया गया है लेकिन उनके रखरखाव के नाम पर खानापूरी हो रही है।

By brajesh mishraEdited By: MOHAMMAD AQIB KHANUpdated: Tue, 07 Feb 2023 12:47 AM (IST)
Farrukhabad: संरक्षण का बोर्ड लगाकर ऐतिहासिक धरोहरों को भूल गए जिम्मेदार, देखरेख के आभाव में दुर्गति का शिकार
Farrukhabad: देखरेख के आभाव में दुर्गति का शिकार नवाब मोहम्मद खां का मकबरा : जागरण

फर्रुखाबाद, जागरण संवाददाता: कहते हैं कि बुजुर्गों की यादें संजो कर रखना युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी है। जो यह जिम्मेदारी नहीं निभा पाते उन्हें इतिहास कभी माफ नहीं करता। हकीकत यह है कि जिम्मेदार बोर्ड लगाकर ऐतिहासिक धरोहरों को भूल गए, उनका संरक्षण तक नहीं हो सका। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से जनपद में 14 स्थलों को संरक्षित किया गया है, लेकिन उनके रखरखाव के नाम पर खानापूरी हो रही है।

फर्रुखाबाद को बसाने वाले नवाब मोहम्मद खां बंगश का जन्म 1665 में जिले के गांव मऊ रशीदाबाद में हुआ था। उनके पिता एन खान बंगश अफगानिस्तान में एक कबीले के सरदार हुआ करते थे। वह रोजी-रोटी की तलाश में फर्रुखाबाद आए थे। बाद में उनकी शादी मऊ रशीदाबाद निवासी एक युवती से हुई थी। नवाब मोहम्मद खां बंगश ने 20 वर्ष की उम्र में ही कई युद्ध लड़े।

मकबरा बदहाल है आसपास की भूमि पर हैं अवैध कब्जे

इतिहासकार डा. रामकृष्ण राजपूत ने अपनी पुस्तक में नवाब बंगश के जीवन पर विस्तार से प्रकाश डाला है। जिसमें उन्होंने उल्लेख किया कि नवाब ने 27 दिसंबर 1714 को फर्रुखाबाद शहर की स्थापना की थी। शहर से सटे गांव अर्रापहाड़पुर व शहर के मुहल्ला खंदिया अहमदगंज के बीच नवाब बंगश के मकबरा को पुरातत्व विभाग ने अपने अधिग्रहण में ले लिया था। उसी के बाद से मकबरा और बदहाल हो गया। उससे जुड़ी भूमि पर अवैध कब्जे हैं।

सरकार बनाए पिकनिक स्पाट

नवाब मोहम्मद खां बंगश की 11वीं पीढ़ी के नवाब काजिम हुसैन खां बंगश ने बताया कि वह कई वर्ष से जिलाधिकारी, सिटी मजिस्ट्रेट व अन्य अधिकारियों को ज्ञापन दे रहे हैं। मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भेजे। वह चाहते हैं कि हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक रहे नवाब मोहम्मद खां बंगश के मकबरा को पिकनिक स्पाट के रूप में विकसित किया जाए। भूमि को कब्जे से मुक्त कराकर पुस्तकालय खोला जाए। जिससे हमारी आगे की पीढ़ियां नवाब के बारे में जान सकें।

देश दुनिया के बौद्ध अनुयायी संकिसा आकर करते हैं स्तूप के दर्शन

संकिसा के धार्मिक स्थल को भारतीय पुरातत्व विभाग ने संरक्षित कर रखा है। वहां देश दुनिया के बौद्ध श्रद्धालु दर्शन-पूजन करने आते हैं। खंडहर में तब्दील हो रहे इस स्थल को संरक्षित करने के लिए विभाग की ओर से कोई कार्रवाई नहीं हुई। इतना ही नहीं पिछले कई माह से वहां पुरातत्व विभाग का कोई कर्मचारी तक नहीं है।

स्थलों में से मात्र नवाब बंगश के मकबरे पर ही कर्मचारी नियुक्ति

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से नवाब मोहम्मद खां बंगश के मकबरे पर ही स्मारक परिचारक के रूप में ओमकार सिंह की नियुक्ति है। वह जनपद बदायूं के निवासी हैं और यदाकदा ही यहां आते हैं। अन्य किसी भी स्थल पर देखरेख के लिए कर्मचारी तैनात नहीं है।

जिले के ये हैं भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित स्थल

  • नवाब मोहम्मद खां बंगश का मकबरा।
  • क्लोज्ड सेमेटरी एट ब्रिटिश इंफ्रेटरी लाइन फतेहगढ़।
  • क्लोज्ड सेमेटरी एट फोर्ट फतेहगढ़।
  • आल सोल्स मेमोरियल चर्च फतेहगढ़।
  • मास्क एंड सराय खुदागंज।
  • संकिसा स्थित स्तूूप।
  • नवाब राशिद खान का मकबरा, कोट मऊ रशीदाबाद, कायमगंज।
  • संकाय ताल स्थल।
  • गांव पखना स्थल टीला।
  • गांव पिलखना स्थित टीला।

इनका कहना है

‘विभागीय सूची में फर्रुखाबाद जनपद में 14 स्थल संरक्षित हैं, इनमें अधिकतर का संरक्षण ब्रिटिश शासनकाल में किया गया था। वह कागज पर तो हैं, लेकिन कहीं दिखते नहीं हैं। दो वर्ष पूर्व नवाब राशिद खान के मकबरा पर जीर्णोद्धार का काम कराया गया था। उस पर कितना बजट खर्च किया गया, यह जानकारी नहीं है। कर्मचारियों की कमी होने के कारण मात्र एक स्मारक पर ही फिलहाल कर्मचारी की तैनाती है। संकिसा में तैनात कर्मचारी का कुछ माह पहले स्थानांतरण हो गया था।’ - आयुष वर्मा, वरिष्ठ संरक्षण सहायक कन्नौज / फर्रुखाबाद।