फर्रुखाबाद जिले में गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। फिलहाल जलस्तर136.95 मीटर पर स्थिर हैं । गंगा के तटवर्ती गांवों हरसिंहपुर कयस्थ्य ऊगरपुर सुंदरपुर कछुआ गाढ़ा राजाराम की मड़ैया भुड्डन की मड़ैया सैदापुर आशा की मड़ैया तीसराम की मड़ैया मंझा की मड़ैया बंगला चित्रकूट आदि में बाढ़ का पानी भरा है। वहीं सड़को पर भी गंगा का पानी आ गया है।
संवाद सहयोगी, अमृतपुर। गंगा का जलस्तर खतरे के निशान के करीब स्थिर होने के बाद भी तटवर्ती गांवों में पानी भरा है। जिससे ग्रामीणों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। बदायूं मार्ग पर स्थिति चित्रकूट डिप (बाढ़ के पानी से कटने को बचाने के लिए नीची कर बनाई गई सीमेंटेड सड़क) पर करीब दो फीट पानी तेज धार से बहने से दोपहिया वाहनों का आवागमन बाधित है। ग्रामीणों के सामने मवेशियों के चारे की समस्या है।
गंगा का जलस्तर शनिवार को खतरे के निशान के करीब 136.95 मीटर पर स्थिर है। गंगा का खतरे का निशान 137.10 मीटर दर्ज है। गंगा खतरे के निशान से 15 सेंटीमीटर दूर है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक नरौरा बांध से गंगा में 1,05,417 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है।
बिजनौर बैराज से 50,069 क्यूसेक व हरिद्वार बैराज 83,027 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे गंगा के जलस्तर पर कोई प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है। उधर रामगंगा का जलस्तर 20 सेंटीमीटर घटकर समुद्र तल से 135.30 मीटर ऊंचाई पर पहुंच गया है, जो चेतावनी बिंदु 136.60 मीटर से 130 सेंटीमीटर नीचे है। खोह, हरेली व रामनगर बैराज से 4461 क्यूसेक पानी रामगंगा में छोड़ा गया है। इससे रामगंगा के जलस्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
गंगा के तटवर्ती गांवों हरसिंहपुर कयस्थ्य, ऊगरपुर, सुंदरपुर, कछुआ गाढ़ा, राजाराम की मड़ैया, भुड्डन की मड़ैया, सैदापुर, आशा की मड़ैया, तीसराम की मड़ैया, मंझा की मड़ैया, बंगला, चित्रकूट आदि में बाढ़ का पानी भरा है। जिससे ग्रामीणों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। ग्रामीण नाव के सहारे आवागमन कर रहे हैं। बाढ़ प्रभावित गांवों की बिजली की आपूर्ति बंद होने से ग्रामीण परेशान हैं।
ग्रामीण अंधेरे में उमस भरी गर्मी में रात गुजारने को मजबूर हैं। बदायूं मार्ग पर चित्रकूट डिप पर दो फीट से अधिक बाढ़ का पानी तेज धार से बहने से दोपहिया वाहनों का आवागमन बाधित है। यदि जलस्तर बढ़ा तो बदायूं मार्ग पर आवागमन बाधित होने की आशंका है। तटवर्ती गांव के खेतों में पानी कई दिनों से भरा होने से फसलें खराब होने की आशंका है।
ग्रामीणों के सामने मवेशियों के चारे के संकट हो गया है।
एसडीएम अतुल कुमार सिंह ने बताया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में आवागमन के लिए नाव लगाई गई हैं। बाढ़ से किसी भी गांव का आवागमन बाधित नहीं होने दिया जाएगा। सूचना मिलते ही तत्काल नाव लगवाने के लेखपालों को निर्देश दिए गए हैं।
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