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यूपी के इस जिले में 22 बीघे खलिहान व तालाब पर कब्जा, राजस्व टीम ने की नापजोख; हो सकती है बुलडोजर की कार्रवाई

त्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के सदर तहसील के रामपुर बरवट गांव में अगल-अलग शिकायतों पर बुधवार को राजस्व टीम ने गांव पहुंच कर खलिहान व तालाब की भूमि की नापजोख की। गांव पहुंचे कानूनगो चंद्रपाल व लेखपाल दिनेश कुमार ने दोनों स्थलों पर नापजोख कर सीमांकन किया। तालाब व खलिहान का कुल रकबा 22 बीघा पाया गया है जिसमें छह से सात लोगों का कब्जा है।

By Vinod mishra Edited By: Abhishek Pandey Updated: Thu, 30 May 2024 10:22 AM (IST)
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22 बीघे खलिहान व तालाब पर कब्जा, राजस्व टीम ने की नापजोख

संवाद सूत्र, बहुआ। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के सदर तहसील के रामपुर बरवट गांव में अगल-अलग शिकायतों पर बुधवार को राजस्व टीम ने गांव पहुंच कर खलिहान व तालाब की भूमि की नापजोख की। गांव पहुंचे कानूनगो चंद्रपाल व लेखपाल दिनेश कुमार ने दोनों स्थलों पर नापजोख कर सीमांकन किया।

तालाब व खलिहान का कुल रकबा 22 बीघा पाया गया है, जिसमें छह से सात लोगों का कब्जा है। नायब तहसीलदार अमृत कुमार ने कहा कि टीम मौके पर भेजी गयी है, एक बार सीमांकन और अतिक्रमण हटाने की रिपोर्ट आ जाए। इसके बाद ही यह पता चलेगा कि किस व्यक्ति का कितनी भूमि पर कब्जा है। एक बात शत-प्रतिशत है कि सरकारी भूमि पर किसी भी कब्जा नहीं होगा सभी कब्जे खाली कराएंगे। जरूरत पड़ी तो विधिक कार्रवाई भी की जाएगी।

सरोवरों में कैसे भरेगा अमृत, जब इनलेट बनाना ही भूले जिम्मेदार

जागरण संवाददाता, फतेहपुर। वर्षा जल संरक्षित कर भूगर्भ तक पहुंचाए जाए इसके लिए बीते दो वित्तीय वर्षों में 23.80 करोड़ की पूंजी खर्च कर 238 अमृत सरोवर बनाए गए हैं। पिछले साल इनमें वर्षा जल बेहद कम मात्रा में पहुंचा, जो कुछ ही दिनों में सूख गए। इस वर्ष भी इनमें वर्षा जल संरक्षित होगा इसको लेकर संसय है। दरअसल अमृत सरोवरों की खोदाई कैचमेंट ऐरिया खोलकर जरूर की गयी है, लेकिन इन सरावरों तक वर्षा जल बहकर पहुंचे इसके लिए इनलेट (पानी जाने वाली नाली) नहीं बनाए गए।

मनरेगा की पूंजी से खोदे गए सरोवरों में यूं तो 23.80 की पूंजी तो सिर्फ मनरेगा की पोटली से खर्च हुई है, लेकिन इसके बाद इन्हें सजाने व संवारने में राज्य वित्त की पूंजी को भी खूब खपाया गया है। सरोवर बनाने के पीछे उद्देश्य यह था कि वर्षा जल बहकर व्यर्थ न हो, बल्कि इन सरोवरों में अमृत के रूप में एकत्रित होकर भूगर्भ में जाए। परंतु इनलेट न बने होने यह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है। मई के महीनें में अधिकांश सरोवर सूखे पड़े हैं, लेकिन वर्षा बाद भी यह भर पाएंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है।

सरोवरों में खर्च की गई रकम पर अब सवाल इस बात पर उठ रहे हैं कि जब पानी इनमें एकत्रित ही नहीं हो पा रहा तो इन्हें इस डिजाइन पर स्वीकृत देकर पैसा कैसे निकाल दिया गया। भिटौरा ब्लाक के तारापुर के अमृत सरोवर व अमौली ब्लाक के बंथरा गांव में बने अमृत सरोवर को देखकर समझा जा सकता है कि किस तरह यहां पर आउटलेट व इनलेट बनाने में चूक की गयी है।

कैचमेंट एरिया तक नाली क्यों नहीं

अमृत सरोवर उन्हीं स्थानों पर खोदने का निर्देश था, जिस जगह चारों तरफ का पानी ढरककर सरोवर में नाली के जरिए पहुंच सके। अधिकांश तालाब में एक या दो तरफ से ही पानी पहुंचने को ढलान मिल रही है। दो तरफ का वर्षा जल ढलान न होने के कारण कैचमेंट एरिया तक पहुंचता ही नहीं है। जो तकनीकी रूप से अक्षमता सिद्ध करता है।

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