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Allahabad High Court : यूपी में अब सीधे नहीं करा सकेंगे धोखाधड़ी की FIR, पुलिस पहले करेगी यह काम- इलाहाबाद हाइकोर्ट ने दिए यह आदेश

Allahabad High Court बता दें कि उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि इस व्यवस्था से पीड़ित पक्ष को राहत मिलेगी। यदि दो पक्षों के बीच धोखाधड़ी को लेकर किसी न्यायालय में मुकदमा चल रहा है तो थाने में एफआइआर दर्ज नहीं होगी। बता दें कि अब इन मामलों में थानों में सीधे दर्ज नहीं होंगे मुकदमे।

By Jagran News Edited By: Mohammed Ammar Published: Fri, 28 Jun 2024 08:48 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jun 2024 08:48 PM (IST)
इस मामले में यूपी के सभी डीएम को आदेश भेज दिए गए हैं।

जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद : धोखाधड़ी के मामले की पुलिस अब सीधे एफआइआर दर्ज नहीं कर सकेगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक आदेश के बाद अब इस तरह का शिकायती पत्र आने पर पहले उसकी सत्यता की जांच होगी। इसके साथ ही अभियोजन विभाग से राय ली जाएगी। इसके बाद ही एफआइआर लिखने के बारे में निर्णय लिया जाएगा।

यूपी के सभी डीएम को भेजे गए आदेश

अभियोजना निदेशालय ने इस संबंध में सभी डीएम, एसएसपी एवं अन्य संबंधित अधिकारियों को आदेश जारी किए हैं। रुपयों के आपसी लेनदेन के साथ ही व्यापारिक साझेदारी के विवादों में सामान्यत: पीड़ित पक्ष द्वारा दूसरे पक्ष के विरुद्ध धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया जाता है। कई बार लोग इसका गलत उपयोग भी करते हैं।

भूमि और व्यापारिक विवादों में दूसरे पक्ष पर दबाव बनाने के लिए भी मुकदमे दर्ज कराए जाते हैं, जबकि कई मामलों में पहले से दोनों के बीच न्यायालय में मुकदमा चल रहा होता है। इस स्थिति से बचने के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है।

अब अभियोजन पक्ष की राय लेना जरूरी

कानपुर जिले से जुड़ी याचिका संख्या 5948/2024 सोने लाल व पांच अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में उच्च न्यायालय ने पुलिस महानिदेशक के लिए आदेश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि आइपीसी की धारा 406, 408, 420, 471 के तहत मुकदमा दर्ज करने से पहले अभियोजन की राय अवश्य ली जाए। इसके बाद यदि मुकदमा दर्ज किया जाएगा तो उसमें अभियोजन की राय को भी दर्ज किया जाएगा।

पुलिस के अनुसार अब कोई भी मुकदमा बिना अभियोजन की राय के दर्ज नहीं किया जा रहा है। उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सुरेंद्र शर्मा का कहना है कि इस व्यवस्था से पीड़ित पक्ष को राहत मिलेगी। यदि दो पक्षों के बीच धोखाधड़ी को लेकर किसी न्यायालय में मुकदमा चल रहा है तो थाने में एफआइआर दर्ज नहीं होगी।

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