Tejas Express Train में मासूम की मौत, चादर तानकर सोने वाले डाक्टर और तकनीशियन पर केस दर्ज, खत्म हुई थी आक्सीजन
तेजस एक्सप्रेस ट्रेन में मासूम की मौत के बाद चिकित्सक और तकनीशियन पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। टूंडला पर उतरने पर जब रेलवे के चिकित्सकों ने बेटे को मृत घोषित कर दिया तो उन्होंने जीआरपी को मामले की जानकारी दी। इसके बाद पुलिस ने चिकित्सक और तकनीशियन को हिरासत में ले लिया। बुखार आने के बाद बेटे के इलाज के लिए दिल्ली जा रहे थे।
फिरोजाबाद, जागरण संवाददाता। तेजस एक्सप्रेस ट्रेन से लिवर ट्रांसप्लांट के लिए वेंटिलेटर सपोर्ट पर दरभंगा से दिल्ली ले जा रहे तीन साल के मासूम की माैत के मामले में पटना के चिकित्सक और तकनीशियन पर गैर इरादतन हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। घटना मंगलवार रात तेजस राजधानी एक्सप्रेस की है।
लिवर खराब होने पर जा रहे थे दिल्ली
झारखंड के जिला गिरिडीह के गांव नीमाडीह निवासी पवन कुमार के बेटे कृष्ण कार्तिकेय को 25 अगस्त को बुखार आया था। हालत बिगड़ने पर उसे पटना अस्पताल ले जाया गया। वहां डाक्टरों ने उसका लिवर खराब बताया। मंगलवार को पवन दरभंगा से बेटे का लिवर ट्रांसप्लांट कराने तेजस राजधानी से दिल्ली ले जा रहे थे। बेटा वेंटिलेटर सपोर्ट पर था। इसलिए डाक्टर, तकनीशियन और वेंटिलेटर बुक किया गया था।
आक्सीजन खत्म होने पर मौत
कानपुर रेलवे स्टेशन से पहले ही आक्सीजन समाप्त होने के कारण बच्चे की मौत हो गई। शव उतारने के लिए ट्रेन को बुधवार की सुबह टूंडला स्टेशन पर रोका गया था। पवन का आरोप है कि पटना की एंबुलेंस कंपनी द्वारा भेजे गए चिकित्सक और तकनीशियन की लापरवाही से उनके बेटे की जान गई। उन्होंने जीआरपी थाने में तहरीर दी थी। रेलवे पुलिस ने दोनों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
लापरवाही का मामला सामने आया था
घटना में बच्चे के साथ चल रहे चिकित्सक व तकनीशियन की लापरवाही का मामला सामने आया है। पिता का आरोप है कि आक्सीजन कानपुर आने से पहले ही समाप्त हो चुकी थी और चिकित्सक व तकनीशियन चादर तान कर सो रहे थे। पीड़ित पवन कुमार सेंट्रल बैंक आफ इंडिया की इकमीघाट शाखाा दरभंगा में तैनात हैं। उन्होंने बताया कि बच्चे को सुरक्षित एम्स तक पहुंचाने के लिए उन्होंने पटना की एक एंबुलेस कंपनी को 65 हजार रुपये दिए थे।
इसके बाद चिकित्सक मनीष कुमार और तकनीशियन विनय कुमार ट्रेन में आक्सीजन के दो सिलेंडर लेकर चढ़े थे। कुछ देर बाद दोनों अपनी-अपनी बर्थ पर चादर ओढ़ कर सो गए। उन्हें जगाया तो बोले आक्सीजन कम हो रही है और सिलेंडर मंगाने होंगे। इसके लिए उन्होंने आठ हजार रुपये और लिए। कानपुर में सिलेंडर आता उससे पहले ही उन दोनों की लापरवाही के कारण बच्चे की मौत हो गई थी। इसके बाद भी नया सिलेंडर मंगाकर उसे आक्सीजन लगा दी।