टहलते-टहलते आया मौत का झपट्टा; 24 घंटे घर में रखा था शव, बेटियों ने पहुंचकर पिता को दी मुखाग्नि, अंतिम संस्कार में तोड़ी रूढिवादी सोच
शव यात्रा घर से शुरू हुई तो बड़ी बेटी शिवानी ने कुछ दूर तक कंधा दिया। इस मौके पर सभी की आंखें नम हो गईं। सुनील की दोनों बहनें मनीषा और देवीना भी अंतिम संस्कार में शामिल होने छारबाग स्थित मोक्ष धाम में गई थीं। बेटी शिवानी ने मुखाग्नि देकर अपना फर्ज निभाया। सुनील अपने घर से ही ज्वैलर्स का काम करते थे।
जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद। पिता की चिता में मुखाग्नि सिर्फ बेटा ही दे सकता है। बेटियां चिता को आग नहीं लगा सकतीं। इस रूढ़िवादी सामाजिक सोच से ऊपर उठकर शहर के बोहरान गली निवासी शादीशुदा बेटी ने शुक्रवार को न सिर्फ पिता के शव को कंधा लगाया, बल्कि श्मशान घाट पर मुखाग्नि देकर अपना फर्ज अदा किया।
शमशान घाट पर स्वर्णकार की दोनों बहनें भी गई थीं। स्वर्णकार दो बहनों के बीच इकलौते भाई थे। मुखाग्नि देकर बेटी ने साबित कर दिया कि बेटा और बेटी में फर्क नहीं होता।
चलते समय गिर पड़े थे
बोहरान गली निवासी 52 वर्षीय सुनील कुमार शर्मा गुरुवार दोपहर 11.30 बजे टेलीफोन एक्सचेंज वाली गली में किसी काम से पैदल गए थे। इस दौरान वह चलते-चलते गिर गए। स्वजन उन्हें ट्रॉमा सेंटर लेकर गए, डाक्टर ने मृत घोषित कर दिया था। शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया था।आशंका है कि सुनील की मृत्यु हार्टअटैक से हुई है। उनकी बड़ी बेटी शिवानी हैदराबाद में रहती है, जबकि छोटी बेटी आरशी जोधपुर में पढ़ाई करती है। दोनों बेटियां गुरुवार रात घर पहुंचीं। इस कारण स्वर्णकार के शव काे 24 घंटे घर पर रखना पड़ा।
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रोज छह किमी टहलने जाते थे सुनील
चचेरे भाई प्रवीन कुमार शर्मा ने बताया कि सुनील रोजाना सुबह करीब छह किमी पैदल टहलने जाते थे। उन्हें डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की बीमारी भी नहीं थी। वह पूरी तरह स्वस्थ थे।
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