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टारगेट पूरा करने को 102 नंबर एंबुलेंस के फेरे में फर्जीवाड़ा

हरेक एंबुलेंस से रोजाना कम से कम आठ केस ले जाने का टारगेट लक्ष्य पूरा न होने पर शासन कंपनी के भुगतान में करती है कटौती।

By JagranEdited By: Updated: Thu, 23 Jun 2022 06:00 AM (IST)
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टारगेट पूरा करने को 102 नंबर एंबुलेंस के फेरे में फर्जीवाड़ा

जागरण संवाददाता, फिरोजाबाद: गर्भवती महिलाओं और बालकों को अस्पताल ले जाने वाली 102 नंबर एंबुलेंस के फेरे में फर्जीवाड़े की प्रमुख वजह सेवा प्रदाता कंपनी से चालकों और इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन (इएमटी) को टारगेट मिलना है। हर एंबुलेंस के ड्राइवर व इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन(इएमटी) को रोजाना गर्भवती महिलाओं-बालकों को अस्पताल ले जाने और गाड़ी दौड़ाने का लक्ष्य मिलता है। लक्ष्य पूरा करने के लिए वे फेरों में फर्जीवाड़ा करते हैं।

102 नंबर एंबुलेंस के फेरे संदेह के घेरे में हैं। लखनऊ में जिन जिलों के आंकड़े संदेह के घेरे में आए हैं, उनमें जिला भी शामिल है। 102 और 108 नंबर एंबुलेंस का संचालन जीवीके इएमआरआइ कंपनी करती है। कंपनी और शासन के बीच अनुबंध के मुताबिक 102 नंबर की हर एंबुलेंस से रोजाना कम से कम आठ गर्भवती- बच्चों को सरकारी अस्पतालों में ले जाना है। गाड़ी रोजाना 140 किमी दौड़ानी है। लक्ष्य पूरा नहीं होने पर शासन सेवा प्रदाता कंपनी को हर माह किए जाने वाले भुगतान में कटौती कर लेती है। आशंका है कि जिन एंबुलेंसों के चालक इएमटी टारगेट पूरा नहीं कर पाते, वे 102 नंबर पर काल कर फर्जीवाड़ा करते हैं।

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सत्यापन में भी गड़बड़ी की आशंका

एंबुलेंसों से कितनी गर्भवती महिलाएं और बच्चे लाए गए, उसका स्थानीय स्तर पर सत्यापन स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्साधिकारी करते हैं, इसके बाद रिपोर्ट स्वास्थ्य महानिदेशालय भेज दी जाती है। स्थानीय स्तर पर भी सत्यापन में गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है। चालक संघ के जिलाध्यक्ष ने सीएमओ से की थी शिकायत

102, 108 नंबर एंबुलेंस कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष संजू कुमार ने 13 जून को सीएमओ डा. दिनेश कुमार प्रेमी को दिए शिकायती पत्र में बताया था कि एंबुलेंस सेवा प्रदाता कंपनी टारगेट देती है। टारगेट पूरा न करने वाले कर्मियों को नौकरी से निकाल दिया जाता है। ऐसे में विवशता में फर्जी मरीजों का आंकड़ा कंपनी को उपलब्ध कराया जाता है। आंकड़ों की सही जांच की जाए तो फर्जीवाड़ा सामने आ जाएगा। जिन मोबाइल नंबरों से 102 नंबर पर काल की जाती है, उनकी जांच होना जरूरी है। ज्यादातर काल एंबुलेंस के चालकों, इएमटी और आशा कार्यकर्ताओं के मोबाइल नंबर के मिलेंगे। एक-एक मरीजों को कई बार अस्पतालों में ले जाना बताया जाता है। कई मरीजों के नाम-पता भी फर्जी मिलेंगे।

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वर्जन

एंबुलेंसों के संचालन की सेवा प्रदाता कंपनी द्वारा पारदर्शी व्यवस्था की गई है। तीमारदार 102 नंबर पर काल कर अपने स्वजन की परेशानी बताता है। इसके बाद लखनऊ नियंत्रण कक्ष से एंबुलेंस 15 मिनट के अंदर मौके पर पहुंच जाती है। फर्जीवाड़ा संभव नहीं है।

- अभय अग्रवाल, प्रोग्राम मैनेजर एंबुलेंस सेवा

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