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गेल का झटका, महंगी हुई नेचुरल गैस

3.50 रुपये प्रति घनमीटर गैस महंगी होने से उद्यमियों में मची खलबलीजनवरी माह में 17.95 रुपये प्रति घनमीटर के हिसाब से भेजे गए थे बिल।

By JagranEdited By: Updated: Sat, 20 Feb 2021 06:03 AM (IST)
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गेल का झटका, महंगी हुई नेचुरल गैस

जागरण संवाददाता, फीरोजाबाद: कोरोना काल में सुहागनगरी के कांच व चूड़ी उद्योग को करोड़ों की चपत लग चुकी है। साल भर बाद उद्योग का पहिया धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा था। ऐसे में गेल गैस लि. ने कांच उद्योग को तगड़ा झटका दे दिया है। पिछले माह की अपेक्षा उद्यमियों को गैस की रेट बढ़ाकर बिल भेजे जा रहे हैं, जिससे उद्यमियों में खलबली मची हुई है।

टीटीजेड में 200 कांच व चूड़ी इकाइयां नेचुरल गैस से संचालित हैं। गेल गैस लि. द्वारा इकाइयों को नेचुरल गैस उपलब्ध कराई जा रही हैं। इन इकाइयों में प्रतिदिन करीब 15 लाख घनमीटर नेचुरल गैस खर्च होती है। गेल गैस लि. द्वारा नेचुरल गैस के लगातार रेट बढ़ाए जा रहे हैं, जिससे कांच व चूड़ी उद्यमियों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं। फरवरी माह में बिना नोटिस के उद्यमियों को गैस की रेट बढ़ाकर बिल भेजे जा रहे हैं, जिसे देख उद्यमी परेशान हैं। उद्यमियों का कहना है कि जनवरी माह तक 17.95 रुपए प्रति घनमीटर के हिसाब से गैस के बिल भेजे गए थे। जबकि फरवरी के प्रथम सप्ताह में 21.50 रुपए के हिसाब से बिल भेज दिए गए हैं। एक साथ 3.50 रुपये प्रति घनमीटर गैस बढ़ोतरी होने से कांच व चूड़ी उद्योगों को हर रोज लाखों का नुकसान होगा। - डीएम व विधायक से लगातार संपर्क कर रहे उद्यमी: गैस की रेट बढ़ने के बाद प्रमुख उद्यमी राजकुमार मित्तल, ललितेश जैन, अनिल जैन पिकी, हेमंत अग्रवाल चाइस, सुरेश बंसल लगातार डीएम चंद्र विजय सिंह व सदर विधायक मनीष असीजा से संपर्क बनाए हुए हैं, जिससे गैस की समस्या का जल्द समाधान हो सके। - गेल के हेड आफिस में आज होगी वार्ता: डीएम के निर्देश पर गेल गैस लि. द्वारा शनिवार को आगरा हेड आफिस में उद्यमियों की वार्ता बुलाई गई है। इसमें नोएडा कार्यालय के अधिकारी भी आनलाइन वार्ता में जुड़ेंगे। इसमें गैस रेट बढ़ोतरी किस आधार पर की गई, इन बिदुओं पर चर्चा की होगी। -गेल द्वारा मनमाने ढंग से गैस के रेट बढ़ाए जा रहे हैं, जिससे कांच उद्योग का संचालन मुश्किल हो रहा है। 3.50 रुपये प्रति घनमीटर की रेट बढ़ोतरी होने से हर रोज प्रत्येक इकाई को एक से डेढ़ लाख का नुकसान होगा, आखिर इसकी भरपाई कौन करेगा। -राजकुमार मित्तल, अध्यक्ष यूपीजीएमएस

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