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जिला बना पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अवैध हथियारों की मंडी

आशुतोष गुप्ता गाजियाबाद औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात गाजियाबाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अवैध हथियारों की मंडी बन चुका है। देशी हथियारों के साथ विदेशी अवैध हथियारों की आमद व खरीद-फरोख्त में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी तेजी आई है। पुलिस व संबंधित विभाग इन हथियारों की रोकथाम में नाकाम साबित हुए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मांग के साथ अफगानिस्तान व पाकिस्तान के हथियारों की बिक्री हो रही है।

By JagranEdited By: Updated: Mon, 06 Sep 2021 05:39 PM (IST)
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जिला बना पश्चिमी उत्तर प्रदेश की अवैध हथियारों की मंडी

आशुतोष गुप्ता, गाजियाबाद: औद्योगिक नगरी के रूप में विख्यात गाजियाबाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अवैध हथियारों की मंडी बन चुका है। देशी हथियारों के साथ विदेशी अवैध हथियारों की आमद व खरीद-फरोख्त में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी तेजी आई है। पुलिस व संबंधित विभाग इन हथियारों की रोकथाम में नाकाम साबित हुए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मांग के साथ अफगानिस्तान व पाकिस्तान के हथियारों की बिक्री हो रही है।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जिले में भी लोनी, मोदीनगर, भोजपुर, मसूरी, मुरादनगर में अवैध हथियारों का निर्माण व बिक्री में इजाफा हुआ है। वर्ष 2011 व वर्ष 2013 में अवैध हथियारों का धंधा करने वाला एक ऐसा गिरोह पुलिस के हाथ लगा था, जिससे मिली जानकारी से पुलिस के होश उड़ गए थे। मध्यप्रदेश के खरगोन, बिहार के पूर्णिया, झारखंड-बिहार सीमा के मुंगेर, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, राजस्थान, मेरठ, अलीगढ़ समेत से पूरे देश में अवैध हथियारों की आपूर्ति की जाती है। अफगानिस्तान व पाकिस्तान के हथियार नेपाल के रास्ते सोनौली बार्डर, गोरखपुर, चंपारन, इंदौर, आगरा, बहराइच व उधमसिंह नगर होते हुए पश्चिमी जिलों में लाए जाते हैं। बड़े माफिया में बढ़ी एके-47 व नौ एमएम पिस्टल की मांग:

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक पाकिस्तान व अफगानिस्तान निर्मित एके-47 व नौ एमएम पिस्टल की मांग बड़े माफिया, हिस्ट्रीशीटर व बड़े गिरोहों में बढ़ी है। अफगानिस्तान से आकर मात्र एक लाख रुपये में यह हथियार उपलब्ध हो रहा है। धंधे के होते हैं तीन अंग : पुलिस सूत्रों व जानकारों के मुताबिक हथियार तस्करी के तीन अंग होते हैं। इनमें निर्माण, कोरियर व मांग शामिल हैं। इनमें कोरियर सबसे कठिन कार्य माना जाता है, जबकि निर्माण व मांग आसानी से कर दी जाती है। गिरोह में सबसे अधिक पैसा कोरियर करने वाले को ही मिलता है। बॉक्स..

पूर्व की घटनाओं में हुआ है आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल

-नवंबर 2011 में साहिबाबाद के एक फार्म हाउस में हुई गैंगवार में विदेशी असलहे बरामद हुए थे। इसमें एके-47, कार्बाइन समेत अन्य हथियारों का इस्तेमाल किया गया था।

-नवंबर 2015 में सिहानी गेट पुलिस ने मुकीम काला गिरोह के फिरौज पव्वा को गिरफ्तार किया था। उसके पास से कार्बाइन बरामद हुई थी। मौके से मुकीम काला फरार हो गया था।

-अगस्त 2016 में मुरादनगर में भाजपा नेता ब्रजपाल तेवतिया पर जानलेवा हमला हुआ था। इसमें भी कार्बाइन व एके-47 समेत अन्य आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल हुआ था।

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हाल में पकड़ी गई अवैध असलहों की फैक्ट्री

-04 सितंबर : मुरादनगर थाना क्षेत्र में एक मकान के तहखाने में बनी अवैध हथियारों की फैक्ट्री पुलिस ने पकड़ी। यहां निर्मित व अ‌र्द्धनिर्मित 50 पिस्टल के साथ पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया गया। दो मुख्य आरोपित मौके से फरार हो गए। आरोपित पिस्टल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत एनसीआर में सप्लाई कर रहे थे।

-13 अप्रैल : पुलिस ने जिलेभर में अभियान चलाकर पंचायत चुनाव में खपाने के लिए लाए गए 47 तमंचों के साथ 18 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इसके साथ ही पुलिस ने जिले में चल रही तीन अवैध असलहों की फैक्ट्री का भी भंडाफोड़ किया था। बॉक्स..

तीन वर्षों में हुई कार्रवाई

वर्ष - मुकदमें - गिरफ्तारी - फैक्ट्री पकड़ी

2021 - 1259 - 1269 - 05

2020 - 1289 - 1290 - 01

2019 - 2012 - 2017 - 03

-------- बॉक्स..

तीन साल में पकड़े गए अवैध असलहे

वर्ष - बंदूक - रायफल - रिवाल्वर - पिस्टल - कारतूस

2021 - 03 - 02 - 06 - 474 - 729

2020 - 03 - 02 - 07 - 502 - 734

2019 - 02 - 03 - 06 - 848 - 1508

------------ वर्जन..

अवैध हथियारों व तस्करों की धरपकड़ के लिए लगातार चेकिग अभियान चलाए जाते हैं। पुलिस ने पूर्व में ऐसे लोगों को चिह्नित कर कार्रवाई भी की है। अभी हाल में ही शनिवार को मुरादनगर में हथियारों की फैक्ट्री पकड़ी गई थी। पुलिस अवैध असलहों व इनका काम करने वालों को चिह्नित कर कार्रवाई कर रही है।

-पवन कुमार, एसएसपी, गाजियाबाद

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