आइएएस का रुतबा त्यागा, छठ मैया की सेवक बनीं डिपल
आइएएस का रुतबा त्याग छठ मैया की सेवक बन जाती हैं डिपल वर्माआइएएस का रुतबा त्याग छठ मैया की सेवक बन जाती हैं डिपल वर्माआइएएस का रुतबा त्याग छठ मैया की सेवक बन जाती हैं डिपल वर्माआइएएस का रुतबा त्याग छठ मैया की सेवक बन जाती हैं डिपल वर्माआइएएस का रुतबा त्याग छठ मैया की सेवक बन जाती हैं डिपल वर्माआइएएस का रुतबा त्याग छठ मैया की सेवक बन जाती हैं डिपल वर्मा
By JagranEdited By: Updated: Sat, 02 Nov 2019 06:19 AM (IST)
गौरव शशि नारायण, इंदिरापुरम :
छठ महापर्व की आस्था और महत्व किसी से छिपा नहीं है। छठी मैया के आराधक पूरे विश्व भर में फैले हुए हैं। गाजियाबाद इंदिरापुरम शिप्रा सनसिटी में रहने वाली आइएएस डिपल वर्मा प्रमुख सचिव होने के बावजूद बीते कई दशक से छठ के महाव्रत को कर रही हैं। साल में दो बार छठ व्रत करने वाली डिंपल चार दिन आइएएस का रुतबा त्याग कर छठ मैया की सेवक बन जाती हैं। वह छठ के इस महाव्रत को साल में दो बार करती हैं, एक बार चैती छठ और एक बार महाछठ को । डिपल कहती हैं कि छठ पर्व ना सिर्फ सादगी को दर्शाता है बल्कि यह स्वास्थ्य, संस्कृति, संतान और ऊर्जा का प्रतीक भी है। चार दिन खुद बनाती हैं पकवान :
डिपल वर्मा बताती है कि वैसे तो उन्हें कर्मचारी मिले हुए हैं लेकिन वह छठ मैया की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए चार दिन तक खुद खाना और पकवान अपने हाथ से तैयार करती हैं। बिना बिस्तर के जमीन पर सोती हैं, इसके साथ ही इसमें सादगी का भी पूरा ख्याल रखती है। काले कपड़े से रहता है परहेज :
डिपल वर्मा के पति प्रशांत कुमार मेरठ एडीजी के पद पर कार्यरत हैं। खुद डिपल आइएएस अधिकारी हैं और वर्तमान में युवा कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश की प्रमुख सचिव के पद पर हैं। छठी मैया के प्रति उनकी आस्था और विश्वास कभी कम नहीं होता है। इस बार अवकाश न मिल पाने के कारण वह छठ का महाव्रत लखनऊ गोमती नगर में रहकर ही पूरा कर रही हैं। डिपल बताती है कि वह छठ के चार दिन तक न तो काले रंग के कपड़े धारण करती हैं और न ही काजल का इस्तेमाल करती हैं। वह यह व्रत परिवार की कुशलता के लिए करती हैं और चैती छठ बच्चों की दीर्घायु और उनकी सफलता के लिए रखती हैं। उनका कहना है कि जो भी छठ का व्रत पूरी मान्यताओं के साथ करता है उस पर मां की अपार कृपा बरसती है।
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