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    गाजियाबाद में हरनंदी होगी साफ, नमामि गंगे योजना के तहत 630 करोड़ रुपये की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार

    Updated: Fri, 24 Oct 2025 09:27 PM (IST)

    नमामि गंगा योजना के अंतर्गत हरनंदी नदी को स्वच्छ बनाने के लिए 630 करोड़ रुपये की डीपीआर तैयार की गई है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य नदी के जल की गुणवत्ता को सुधारना और प्रदूषण के स्तर को कम करना है। इस पहल से गंगा नदी में जाने वाले प्रदूषित जल की मात्रा कम होगी और पर्यावरण को लाभ मिलेगा।

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    40 हजार वर्ग मीटर भूमि पर 140 एमएलडी की बनाई जाएगी एसटीपी।

    जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। जिले के लाखों लोगों के लिए अच्छी खबर है। हरनंदी नदी के पानी को पूरी तरह साफ करने की योजना को धरातल पर उतारने की तैयारी है। नमामि गंगा योजना के तहत नदी में नगर निगम क्षेत्र के सात नालों के प्रदूषित जल को शोधित करने के लिए 140 एमएलडी का एसटीपी बनाया जाएगा। योजना के तहत साथ ही सभी नालों को टैप किया जाएगा। जल निगम ने इसकी डीपीआर तैयार कर ली है, जिसके निर्माण कार्य पर 630 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

    मार्च 2025 में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से नदी में छिजारसी कट, हिंडन पुस्ता मार्ग एवं करहेड़ा के पास पानी के नमूने लेकर जांच की गई थी। जांच में पाया गया कि नदी में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो रही है। पानी में टोटल काॅलीफार्म एवं फेकल काॅलीफार्म कई गुना अधिक पाया गया था। पानी में मानव मल मूत्र, जानवरों के अवशेष और उनका मल मिला था।

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    नदी को साफ करने के लिए बड़े-बड़े दावे किए गए। पूर्व में किए गए सर्वे में देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित नदियों की सूची में गाजियाबाद की हरनंदी नदी का नाम शामिल हो चुका है। नदी के पानी में सहारनपुर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद, नोएडा में ई-लेवल का प्रदूषण मिला है। जलीय जीव के जीवित रहने की संभावना बहुत कम है।

    विजय नगर, साईं उपवन, साहिबाबाद, नंदग्राम सहित सात नाले नदी में गिर रहे हैं। इन नालों की वजह से नदी दूषित हो रही है। पानी से बदबू आती है। हर बार छठ पूजा पर हरनंदी को साफ करने का मुद्दा उठता है। छठ पूजा के बाद फिर से नदी के सफाई की योजना ठडे बस्ते में चली जाती है। पहली बार जल निगम ने नदी को साफ करने की योजना जमीन पर उतारने की तैयारी की है।

    नालों के पानी को शोधित करने के लिए जल निगम ने हरनंदी नदी का सर्वे करने के बाद डीपीआर तैयार की है। 140 एमएलडी की एसटीपी और नालों को टैप करने पर 380 करोड़ रुपये खर्च होंगे। जबकि कंपनी को 15 वर्ष का मेंटेनेंस का कार्य सौंपा जाएगा। मेंटेनेंस और निर्माण कार्य पर कुल 630 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

    जल निगम को देनी होगी 40 हजार वर्ग भूमि

    वर्ष 2010 में उच्च न्यायालय ने नदी में गिर रहे नालों के पानी को रोकने के लिए एसटीपी बनाने के आदेश दिया था। निगम की बोर्ड बैठक में कई बार मुद्दा उठाया गया। निगम ने नालों को टैप करने की योजना भी बनाई थी लेकिन कोई काम नहीं किया।

    अब डीपीआर बनाने के बाद जल निगम ने एसटीपी बनाने के लिए नगर निगम से 40 हजार वर्ग भूमि मांगी है। निगम द्वारा भूमि की तलाश की जा रही है। जल निगम का कहना है कि भूमि मिलते ही निर्माण कार्य की स्वीकृति मिल जाएगी।

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    40 हजार वर्ग मीटर भूमि पर 140 एमएलडी की एसटीपी बनाने की डीपीआर तैयार कर ली है। इस योजना पर 630 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें मेंटनेंस का खर्च भी शामिल है।

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    - अरुण प्रताप, अधिशासी अभियंता, जल निगम