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सप्ताह का साक्षात्कार: प्रत्येक वार्ड के 20 बड़े बकायेदारों की सूची तैयार, 15 सितंबर से चलेगा अभियान

मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा ने बताया कि गाजियाबाद शहर में बड़े बकायेदारों से संपत्ति कर की वसूली के लिए तैयारी की गई है। दो दिन पहले बैठक कर सभी जोनल प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं। वार्ड वार 20 बड़े बकायेदारों की सूची तैयार की गई है। इनसे वसूली के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। 15 सितंबर से अभियान चलाया जाएगा।

By Abhishek SinghEdited By: Abhishek TiwariUpdated: Mon, 11 Sep 2023 12:33 PM (IST)
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प्रत्येक वार्ड के 20 बड़े बकायेदारों की सूची तैयार, 15 सितंबर से चलेगा अभियान
गाजियाबाद शहर में विकास कार्य के लिए संपत्ति कर से अर्जित धनराशि का इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता है। यह नगर निगम की आय का प्रमुख स्त्रोत है। लेकिन बड़ी संख्या में ऐसे बकायेदार हैं, जिन पर करोड़ों रुपये का संपत्ति कर बकाया है, उनसे वसूली नहीं हो पा रही है।

ऐसे में नगर निगम के अधिकारी फंड की कमी बताकर विकास कार्य कराने से मना कर देते हैं, जिसकी वजह से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी मुद्दे को लेकर दैनिक जागरण के अभिषेक सिंह ने मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा से विस्तृत बातचीत की, पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश...

शहर में बकायेदारों से संपत्ति कर की वसूली क्यों नहीं हो पा रही है, क्या ऐसे लोगों को चिह्नित किया गया है?

शहर में बड़े बकायेदारों से संपत्ति कर की वसूली के लिए तैयारी की गई है। दो दिन पहले बैठक कर सभी जोनल प्रभारियों को निर्देश दिए गए हैं। वार्ड वार 20 बड़े बकायेदारों की सूची तैयार की गई है। इनसे वसूली के लिए अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। 15 सितंबर से अभियान चलाया जाएगा, जिसमें संपत्ति कर न जमा करने वालों के खिलाफ सख्ती की जाएगी।

जो लोग खाली प्लाट में व्यवसाय कर रहे हैं, उनसे संपत्ति कर की वसूली किस आधार पर की जाती है?

खाली प्लाट पर भी संपत्ति कर लगाया जाता है। यदि प्लाट में व्यवसायिक गतिविधि हो रही है तो संपत्ति कर का निर्धारण भी व्यवसायिक की तरह होगा, यदि कोई इससे छूट रहा है तो जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी। इस संबंध में जोनल प्रभारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए जाएंगे।

कुछ लोगों की शिकायत है कि उनकी संपत्ति पर गलत तरीके से टैक्स लगाया गया है, जिस कारण उनको परेशानी का सामना करना पड़ रहा है?

2013 से पहले जमीन के दाम के आधार पर टैक्स लगता था, इसके बाद पॉलिसी बदल गई है। जिन लोगों ने लंबे समय से संपत्ति कर जमा नहीं कराया है। उनके संपत्ति कर में इस तरह की समस्या आती है, लंबे समय से संपत्ति कर जमा नहीं किए जाने के कारण ब्याज भी अदा करना पड़ता है। शिकायत मिलने पर समस्या का समाधान कराया जाता है।

कई सरकारी विभाग ऐसे हैं, जो संपत्ति कर जमा नहीं कर रहे हैं। उनसे किस तरह से वसूली की जाएगी?

सरकारी विभागों पर लगभग 130 करोड़ रुपये से अधिक का संपत्ति कर बकाया है। वसूली के लिए संबंधित विभाग के अधिकारी को डिमांड नोटिस जारी किए जा रहे हैं। इस बार ऐसे मामलों में शासन स्तर से भी सूची मांगी गई है, जिससे कि शासन स्तर पर संबंधित विभाग के अधिकारियों से वार्ता कर बकाया संपत्ति कर जमा कराया जा सके।

हाल ही में कार्यकारिणी की बैठक में अस्पतालों के लाइसेंस से जुड़ा मामला सामने आया था, उसमें बदलाव के लिए सुझाव दिए गए थे, क्या इसमें अभी कुछ बदलाव हुआ है?

नहीं, लाइसेंस शुल्क में बदलाव के लिए प्रक्रिया लंबी है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर कार्यकारिणी और बोर्ड से पास कराना होगा। बैठक में पांच बेड, 10 बेड और 15 बेड के अस्पतालों और नर्सिंग होम के लिए लाइसेंस शुल्क अलग से निर्धारित किए जाने का सुझाव मिला है। अभी तो पहले से ही तय लाइसेंस शुल्क के आधार पर ही वसूली की जा रही है।

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