UP Electricity: 24 घंटे बिजली योजना को लगा झटका, 8 महीने पहले बनी रणनीति हुई फेल
प्रदेश सरकार की 24 घंटे बिजली योजना को झटका लगा है। गाजियाबाद में बिजलीघरों के निर्माण में देरी हो रही है क्योंकि ट्रांस हिंडन क्षेत्र में जमीन नहीं मिल पा रही है। विद्युत निगम ने 30 सितंबर तक का समय दिया था लेकिन अभी तक जमीन नहीं मिली है। इस वजह से लोगों को इस साल भी निर्बाध बिजली नहीं मिल सकेगी।
राहुल कुमार, गाजियाबाद। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड ने ट्रांस हिंडन के क्षेत्रों में जमीन ढूंढ़ने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया था, लेकिन जमीन नहीं मिलने से ट्रांस हिंडन में बिजलीघरों के निर्माण की योजना अटक गई है।
10 नए बिजलीघर बनाने की थी योजना
इस वर्ष भी यहां के लोगों को निर्बाध बिजली नहीं मिल सकेगी। अगर अधिकारी इसी तरह लेटलतीफी करते रहे तो अगले वर्ष मार्च तक भी बिजलीघरों का निर्माण होना मुश्किल हो जाएगा। ट्रांस हिंडन में बिजली कटौती की समस्या खत्म करने के लिए विद्युत निगम ने जनवरी में 10 नए बिजलीघर बनाने की बनाई गई थी। इसके लिए सभी क्षेत्रों का सर्वे किया गया था।
जरूरत के हिसाब से नहीं है बिजलीघरों की क्षमता
सर्वे में सबसे अधिक बिजली कटौती, ट्रिपिंग व लो-वोल्टेज की समस्या वैशाली सेक्टर-एक, यूपीएसआइडीसी महाराजपुर, सूर्यनगर, खोड़ा, नूरनगर, अटौर, इंदिरापुरम के वैभव खंड व साहिबाबाद साइट-चार औद्योगिक क्षेत्र आदि में पाई गई थी। यानी यहां जरूरत के हिसाब से बिजलीघरों की क्षमता नहीं थी।
इन इलाकों में ओवरलोड, ट्रिपिंग, कटौती समेत विभिन्न समस्याएं रहती हैं। यहां का लोड कम करने के लिए इन इलाकों में इस वर्ष बिजलीघरों का निर्माण कराया जाना था। अधिकारियों को इन बिजलीघरों के निर्माण के लिए जमीन नहीं मिल पा रही है। दावा है कि संबंधित विभागों के साथ मिलकर जमीन की तलाश की जा रही है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।इस क्षमता के बिजलीघरों का होना है निर्माण
आरडीएसएस (रिनोवेशन एंड माडर्नाइजेशन) योजना के अंतर्गत मुख्यालय को बिजलीघर बनाने का प्रस्ताव भेजा गया था। बिजलीघरों की क्षमता 20-20 एमवीए (मेगावाट एंपियर) निर्धारित की गई। निगम के अधिकारियों का कहना है कि जमीन मिलने के बाद ही डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार होगी।नो ट्रिपिंग जोन में चार से छह घंटे की कटौती
शहर को नो ट्रिपिंग जोन में रखा गया है। इसके अंतर्गत 24 घंटे विद्युत आपूर्ति का रोस्टर निर्धारित किया गया है। इसके बाद भी चार से छह घंटे तक कटौती से जूझना पड़ रहा है। फाल्ट होने पर आपूर्ति सामान्य होने में पूरा दिन लग जाता है। तमात शिकायतों के बाद भी कोई समाधान नहीं होता।क्या बोले उपभोक्ता और जिम्मेदार?
रोजाना अंधाधुंध बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है। बिजलीघरों का निर्माण हो जाता तो काफी हद तक कटौती से राहत मिल जाती। विद्युत व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। -मनमोहन वालिया, उपभोक्ताआबादी लगातार बढ़ रही है, लेकिन संसाधान पुराने है हैं। यही कारण है कि रोजाना की कटौती से जूझना पड़ता है। शिकायत पर अधिकारी समाधान नहीं कर पाते हैं। -अनिल भारद्वाज, उपभोक्तासभी क्षेत्र अलग-अलग विभागों द्वारा विकसित किए गए हैं। उन सभी विभागों को लगातार पत्र लिखकर जमीन की मांग की जा रही है। जमीन मिलने पर आगे की डीपीआर तैयार हो सकेगी। -अजय ओझा, मुख्य अभियंता, विद्युत निगम जोन-तीन।