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गाजियाबाद नगर निगम में अधिकारियों की मनमानी! महापौर ने लगाया अफसरों पर ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का आरोप

गाजिायाबाद की महापौर सुनीता दयाल ने नगर निगम के अधिकारियों पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि उनको फाइलें नहीं दी जाती हैं उसमें आना-कानी की जाती है। जो फाइलें दी जाती हैं उनमें से दस्तावेज गायब कर दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही से ही शहर में सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो रही है।ऐसा कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है।

By Jagran NewsEdited By: Nitin YadavUpdated: Thu, 21 Sep 2023 10:21 AM (IST)
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महापौर ने लगाया अफसरों पर ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने का आरोप।

गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। गाजिायाबाद की महापौर सुनीता दयाल ने नगर निगम के अधिकारियों पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि उनको फाइलें नहीं दी जाती हैं, उसमें आना-कानी की जाती है। जो फाइलें दी जाती हैं, उनमें से दस्तावेज गायब कर दिए जाते हैं। ऐसा कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जाता है।

दुरुस्त नहीं है शहर की साफ-सफाई

उन्होंने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही से ही शहर में सफाई व्यवस्था दुरुस्त नहीं हो रही है। जिन कंपनियों को काम दिया गया है, वे काम में लापरवाही कर रही हैं। नगर निगम के जो संसाधन हैं, वह खराब हो रहे हैं।

इन मामलों को आगामी बोर्ड बैठक में प्रमुखता से उठाया जाएगा। महापौर ने कहा कि हाईराइज सोसायटियां बल्क वेस्ट जेनरेटर की श्रेणी में आती हैं, उनको कूड़े का निस्तारण खुद करना होता है लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। कूड़ा नगर निगम क्षेत्र में डाला जा रहा है, जिसे हटाने का कार्य नगर निगम की टीम को करना होता है। इसी तरह औद्योगिक क्षेत्रों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में कूड़ा निस्तारण में लापरवाही की जा रही है।

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ठेकेदारों को फायदा पहुंचा रहे हैं अधिकारी: महापौर

उन्होंने कहा कि नगर निगम ने औद्योगिक क्षेत्रों में कूड़ा उठाने का कार्य दिया गया है, यह गलत है। नगर निगम को कूड़ा वहीं उठाना चाहिए, जहां से यूजर चार्ज लिया जा रहा हो या फिर वह क्षेत्र नगर निगम को हैंडओवर हो।

90 लाख रुपये की रोड स्वीपिंग मशीन एक दुर्घटना में पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद कविनगर थाने से छुड़ाई नहीं गई, जिस कारण यह मशीन कबाड़ हो गई हैं। करोड़ों रुपये के सात वाहन रखे-रखे खराब हो चुके हैं। उनका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है।

महापौर का आरोप है कि ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है, मैटेरियल महंगा था तो मशीन की खरीद ही नहीं की जानी चाहिए थी।

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