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रेलवे ट्रैकमैन की मौत के समय ट्रेन की रफ्तार थी 15 किमी प्रति घंटा, शुरुआती जांच में सामने आई जानकारी

गाजियाबाद में एक दर्दनाक घटना में रेलवे ट्रैक पर काम कर रहे ट्रैकमैन अजय कुमार की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। इस हादसे के बाद रेलवे अधिकारियों ने जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में पता चला है कि घटना के समय ट्रेन की रफ्तार 15 किलोमीटर प्रति घंटा थी। रेलवे मृतक के आश्रितों को 25 लाख रुपये की सहायता देगा।

By vinit Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 21 Oct 2024 11:46 AM (IST)
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गौशाला फाटक के पास हादसा हुआ था। फोटो- जागरण
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। गौशाला फाटक के पास रेलवे ट्रैक पर काम कर रहे ट्रैकमैन अजय कुमार की मौत मामले में रेलवे अधिकारियों ने शुरुआती जांच में पाया है कि घटना के समय ट्रेन की रफ्तार 15 किलोमीटर प्रति घंटा थी।

25 लाख रुपये की सहायता देगा रेलवे

हादसे के समय कर्मचारी रेल लाइन नंबर तीन और चार के बीच में काम कर रहे थे। इसी बीच ट्रैकमैन अजय कुमार ईएमयू ट्रेन की चपेट में आ गए। रविवार को जीआरपी या आरपीएफ ने मामले में कोई केस भी दर्ज नहीं किया गया है। मृतक कर्मचारी के आश्रितों को रेलवे मृत्यु उपरांत फंड और अन्य लाभ के अतिरिक्त 25 लाख रुपये की सहायता भी देगा। अजय का परिवार साहिबाबाद के शालीमार गार्डन थाना क्षेत्र के राजीव नगर कॉलोनी में रहता है

सूत्रों के मुताबिक रविवार को मामले में अधिकारियों ने जांच की। शुरूआती जांच में पाया गया है कि दनकौर-दिल्ली ईएमयू गाजियाबाद स्टेशन से दिल्ली की तरफ शनिवार शाम करीब पौने पांच बजे रेल ट्रैक नंबर तीन से चार पर शिफ्ट हो रही थी।

ट्रैकमैन अजय कुमार के साथ चार और कर्मचारी रेल लाइन नंबर तीन और चार नंबर के बीच में ही काम कर अपना सामान शिफ्ट कर रहे थे। इसी बीच हादसा हो गया। हादसे के समय ट्रेन की रफ्तार 15 किलोमीटर प्रतिघंटा थी।

GRP या RPF ने नहीं दर्ज किया केस

मामले में आरपीएफ और जीआरपी अधिकारियों का कहना है कि रविवार को केस दर्ज नहीं किया गया है। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश के बाद आगे कार्रवाई की जाएगी। जीआरपी अधिकारियों का कहना है कि कर्मचारी के शव का पोस्टमार्टम कराकर शव स्वजन के सुपुर्द कर दिया गया। स्वजन ने रविवार को कोई शिकायत नहीं दी है।

यह है पूरा मामला

शनिवार को गाजियाबाद रेलवे स्टेशन के पास ट्रैक पर काम करने के दौरान ट्रैकमैन अजय कुमार की ईएमयू ट्रेन की चपेट में आने से मौत के बाद रेलवे कर्मचारियों ने हंगामा किया और चार घंटे तक रेल यातायात बाधित रखा।

उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक और दिल्ली मंडल के डीआरएम को मौके पर पहुंचकर कर्मचारियों को समझाना पड़ा। इसके बाद ट्रेन यातायात सुचारू हो सका।

इस मामले में रेलवे कर्मचारियों ने विभाग पर कई प्रकार के आरोप लगाए थे। जिनमें संसाधनों की कमी के साथ-साथ लंबे समय तक काम करने का भी आरोप था। हंगामा करने वाले कर्मचारियों ने ट्रेन के लोको पायलट के साथ पीडब्ल्यूआई, सीनियर सेक्शन इंजीनियर को सस्पेंड करने की भी मांग की।

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