देश के लिए मिसाल बनीं सिमरन, PM मोदी से कहा था इस बार बदलना है मेडल का कलर; पढ़ें दिलचस्प कहानी
सिमरन शर्मा की प्रेरणादायक कहानी ने देश को गौरवान्वित किया है। कम उम्र में दृष्टिबाधित होने के बावजूद उन्होंने दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत से Paris Paralympic Games में कांस्य पदक जीता। सिमरन ने अपनी शारीरिक कमजोरी को सफलता की राह में रुकावट नहीं बनने दिया। सिमरन की सफलता लाखों दिव्यांगों के लिए एक प्रेरणा है जो शारीरिक कमजोरियों को सफलता की राह में बाधा मानते हैं।
शाहनवाज अली, गाजियाबाद। सिमरन शर्मा की प्रेरणादायक कहानी देश के लिए एक मिसाल बन गई है। कम उम्र में आंखों की रोशनी की परेशानी के बावजूद सिमरन ने दृढ़ निश्चय और मेहनत के बूते पेरिस पैरालिंपिक में कांस्य पदक जीतकर देश का सिर गर्व से ऊंचा किया, लेकिन अभी स्वर्ण पदक जीतने की ललक बाकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर सिमरन ने कहा कि पीएम सर अबकी बार मेडल का कलर बदलना है। इस पर प्रधानमंत्री ने उनसे कहा कि हौसला बनाए रखो स्वर्ण पदक इसलिए नहीं आया कि अगली बार आएगा। मूल रूप से मोदीनगर की रहने वाली सिमरन शर्मा जीवन में चुनौतियों की कमी नहीं रही।
आत्मविश्वास से सपने को हकीकत में बदला
उनके पिता का निधन हो चुका था, जिससे परिवार के आर्थिक हालात कठिन हो गए थे, लेकिन सिमरन ने कभी अपनी शारीरिक कमजोरी को सफलता की राह में रुकावट नहीं बनने दिया।उन्होंने अपनी दिव्यांगता को अपनी कमजोरी के बजाए एक शक्ति के रूप में अपनाया और लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ती रहीं। उनकी इस यात्रा में उनके पति गजेंद्र शर्मा (सेना में तैनात) ने एक मजबूत साथी और प्रेरणा स्रोत के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
दौड़ का अभ्यास करती एथलीट सिमरन शर्मा। फोटो सौ. स्वयं
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