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क्या है सेप्टीसीमिया? इस बीमारी से लड़के की हुई मौत; मां और बहन बोली- सो रहा है, पास में कई दिनों तक रखा शव

Ghaziabad News गाजियाबाद में एक किशोर की मौत हो गई। उसकी सेप्टीसीमिया नाम की बीमारी से जान गई थी। घर में किशोर की मां और बहन थी। दोनों ने शव को अपने पास कई दिनों तक रखा। इसकी जानकारी तब हुई जब पड़ोसियों को दुर्गंध आने लगी थी। उन्होंने इस बारे में पुलिस को जानकारी दी फिर शव को बाहर निकाला गया।

By Jagran News Edited By: Geetarjun Updated: Tue, 23 Jul 2024 06:36 PM (IST)
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बहन और मां ने लड़के की मौत के बाद कई दिनों तक शव अपने पास रखा।

पीटीआई, गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में एक लड़के की मौत हो गई। लड़के की मां और उसकी बहन उसके शव को कई दिनों तक अपने पास रखे रहीं। उनको लगा कि वह सो रहा है। पुलिस ने मंगलवार को इसके बारे में जानकारी दी। मामला तब सामने आया, जब पड़ोसियों को फ्लैट से दुर्गंध आने लगी। उन्होंनने रविवार को पुलिस से शिकायत दी।

पुलिस के अनुसार, लड़के की सेप्टीसीमिया नाम की बीमारी से मौत हुई है। तेजस जैन (13) अपनी मां कोमल जैन (50) और बहन काव्या (22) के साथ गाजियाबाद की चंद्रनगर कॉलोनी में एक फ्लैट में रह रहा था। मां और बहन मानसिक रूप से अस्वस्थ थीं।

पति की एक दशक पहले मौत हुई

कोमल के पति की एक दशक पहले मौत हो गई थी। उसी के बाद से मां और बेटी मानसिक रूप से बीमार बताई जा रही थीं।

जब फ्लैट पर पहुंची पुलिस

साहिबाबाद के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) रजनीश कुमार उपाध्याय ने बताया कि पुलिस जब फ्लैट पर पहुंची तो उन्होंने घर का दरवाजा तोड़ा। तेजस का शव फर्श पर पड़ा था। वहीं, कोमल और काव्या उसके पास बैठी थीं। दोनों ने बताया कि तेजस सो रहा है।

किसी से बात नहीं करता था परिवार

एसीपी के अनुसार, पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि परिवार हमेशा लाइट बंद रखता था और कॉलोनी में किसी से बात नहीं करता था। बीमारी के कारण काव्या को 12वीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी। कोमल का भाई प्रशांत जैन उनका खर्च उठा रहा था। वह दिल्ली के चावड़ी बाजार में रहता था।

उन्होंने कहा कि पुलिस को घर गंदी हालत में मिला और कोमल और काव्या भी दयनीय हालत में थे। मंगलवार को पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पुष्टि हुई कि तेजस की मौत सेप्टीसीमिया से हुई है। एसीपी ने कहा कि उसका अंतिम संस्कार बुधवार को किया जाएगा।

क्‍या होता है सेप्टीसीमिया

यह एक प्रकार का रक्त का संक्रमण है जो बच्‍चे के जीवन को खतरे में डाल सकता है। इसके कारण शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं। बच्‍चों के अलावा सेप्टीसीमिया बड़ों को भी हो सकता है। इस दौरान बेहद सावधानी बरतने की जरूरत होती है। कमजोर इम्यून तंत्र होने पर यह ज्‍यादा नुकसान पहुंचाता है। सेप्टीसीमिया के चलते शरीर के अंग फेल तक हो जाते हैं और मृत्‍यु तक हो सकती है।

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लक्षण मिलने पर समय से ही उपचार कराकर इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसके साथ ही नवजात के परिवारीजन को चाहिए कि जन्म के साथ ही बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखें। जन्म के साथ यदि बच्चा न रोये या फिर देर से रोये, दूध न ले या फिर ले तो कम, बहुत रोने लगे तो उसे तुरंत डाक्‍टर के पास ले जाना चाहिए। वहीं आंतों में संक्रमण से सेप्टीसीमिया का खतरा बन रहता है।