साइबर अपराधियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से डीप फेक वीडियो बनाकर वैशाली निवासी युवक से 11 लाख रुपये ठग लिए। पीड़ित को आरोपितों ने पूरी रात हाउस अरेस्ट का नाम देकर कैमरा चालू रख सोने को कहा। पीड़ित का आरोप है कि उन्हें कोर्ट और पुलिस अधिकारियों के डीप फेक वीडियो दिखाई जिससे वह डर गए और आरोपितों के बताए खाते में 11 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। साइबर अपराधियों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से डीप फेक वीडियो बनाकर वैशाली निवासी युवक से 11 लाख रुपये ठग लिए। पीड़ित को आरोपितों ने पूरी रात हाउस अरेस्ट का नाम देकर कैमरा चालू रख सोने को कहा।
पीड़ित का आरोप है कि उन्हें कोर्ट और पुलिस अधिकारियों के डीप फेक वीडियो दिखाई जिससे वह डर गए और आरोपितों के बताए खाते में 11 लाख 69 हजार धनराशि ट्रांसफर कर दी। डिजिटल अरेस्ट के बाद हाउस अरेस्ट का झांसा देकर साइबर अपराधियों ने पहली बार गाजियाबाद में किसी को शिकार बनाया है।
'2 घंटे में बंद हो जाएगा मोबाइल नंबर'
वैशाली की गौर हाइटस सोसायटी निवासी गौरव दास के पास तीन जून को ऑटोमेटिड कॉल टीआरएआई (भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) के नाम से आई। जिसमें आवाज आई कि उनका मोबाइल नंबर दो घंटे में बंद कर दिया जाएगा।आगे बातचीत जारी रखने के लिए उन्हें ऑपरेटर से बात करने का विकल्प दिया गया। इसके बाद ऑपरेटर ने फोन उठाया और उन्हें बताया कि उनके मोबाइल नंबर के आधार पर उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई गई है। उन्हें इस विषय पर आगे बात करने के लिए मुंबई में कथित आईपीएस अधिकारी अंजलि अरोड़ा को कॉल ट्रांसफर की गई।
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वीडियो कॉल में दिखे पुलिसकर्मी
पीड़ित के मुताबिक उन्हें अधिकारी ने बताया कि उनकी फर्जी पहचान का उपयोग करना प्रतीत हो रहा है। उनकी मदद करने के लिए उन्हें स्काइप कॉल पर कॉल कॉन्फ्रेंसिंग में कनेक्ट किया गया। जिसमें एक अन्य वर्दीधारी पुलिसकर्मी ने उनसे कहा कि पहले वीडियो कॉल में वह दिखाएं कि उनके आसपास कोई अन्य व्यक्ति मौजूद नहीं है। महिला अधिकारी बनी युवती ने इसके बाद उनसे फोन पर ही पूछताछ शुरू की।
इसी बीच महिला अधिकारी को अन्य व्यक्ति ने वाकी टाकी पर बताया कि पीड़ित नरेश गोयल मनी लांड्रिंग केस में वांछित हैं और उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाना है। उन्हें बताया गया कि नरेश गोयल के आवास पर उनका नाम दो करोड़ रुपये के मनी लांड्रिंग केस में आया हुआ है।उनकी ही तरह देशभर के 200 संदिग्ध लोगों का नाम भी इस सूची में शामिल है। उन्हें बताया गया कि केस की जांच करीब एक साल तक चलेगी और इस अवधि में उन्हें जेल में रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह जांच की जा रही है इसलिए इसकी गोपनीयता बनाए रखनी है।
पीड़ित को डराकर आरोपितों ने झांसे में लिया
पीड़ित को इसी तरह डराकर आरोपितों ने झांसे में ले लिया। फिर उन्हें बताया गया कि शुरुआती जांच के आधार पर वह निर्दोष लग रहे हैं इसलिए उनकी मदद की जाएगी। इसलिए वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेनी होगी। क्योंकि उन्हें तत्कॉल जांच की अनुमति सिर्फ गर्भवती महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों की करने की अनुमति है।अनुमति के लिए एक पुलिस अधिकारी को वीडियो पर दिखाया गया जिसका ऑफिस काफी बड़ा था। अधिकारी का वीडियो दिखाने के बाद उनके मामले की सुनवाई तेजी से पूरी करने के लिए कॉल एक कथित जज को लगाई गई। कथित जज शुरुआत में मना करने के बाद उनका केस सुनने को तैयार हुए। उनसे उनके खाते के विषय में जानकारी लेकर कहा गया कि पहले उन्हें अपने खाते की धनराशि कोर्ट को जमा करानी होगी।
रातभर वीडियो जारी रखने की गई बात
उन्हें ईएनटी कोर्ट नाम के खाते में रुपये ट्रांसफर कराए गए। फिर उन्हें बताया गया कि अगले दिन भी जांच जारी रहेगी इसलिए रात को उन्हें स्थानीय थाने की हवालात में गुजारनी है या हाउस अरेस्ट रहने का विकल्प दिया गया। पीड़ित ने हाउस अरेस्ट का विकल्प चुना। उन्हें बताया गया कि रातभर वीडियो जारी रखना है क्योंकि रात्रि ड्यूटी पर मौजूद पुलिस अधिकारी उन पर निगाह रखेंगे।
पीड़ित पूरी रात मोबाइल चालू कर सोए फिर सुबह पौने 10 बजे पुलिस अधिकारी ने उनसे कहा कि वह अपने सारे शेयर स्टाक बेचकर धनराशि ट्रांसफर करें। पीड़ित को इसके बाद शक हुआ और उन्होंने कॉल काट दी। मामले की शिकायत पीड़ित ने पुलिस से कर मोबाइल नंबर के आधार पर केस दर्ज कराया है।पीड़ित का कहना है कि कथित जज और कथित पुलिस अधिकारी का वीडियो उन्हें एआइ की मदद से बनाया गया डीप फेक वीडियो लग रहा है। पुलिस का कहना है कि शिकायत के आधार पर केस दर्ज कर जांच की जा रही है।
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