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Air Pollution: दिल्ली-NCR में लागू है GRAP, AQI 400 के पार हुआ तो करोड़ों रुपये के विकास कार्य पर लगेगी पाबंदी

Air Pollution दिल्ली- एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम को लेकर एक अक्टूबर से ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू हो गया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के पार जाने पर पाबंदियां लगनी शुरू हो जाएंगी। इससे विकास कार्य रुक जाएंगे ऐसे में गाजियाबाद नगर निगम के अधिकारियों की तैयारी है कि जल्द से जल्द ये कार्य पूरे करा लिए जाएं।

By Edited By: Abhishek TiwariUpdated: Mon, 02 Oct 2023 12:23 PM (IST)
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Air Pollution: AQI 400 के पार हुआ तो करोड़ों रुपये के विकास कार्य पर लगेगी पाबंदी
गाजियाबाद, जागरण संवाददाता। Air Pollution : वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देश पर दिल्ली-एनसीआर में ग्रेप लागू कर दिया गया है। जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ेगा, पाबंदियां भी बढ़ती रहेंगी। नगर निगम ने करोड़ों रुपये से सड़कों, नालों का निर्माण कार्य कराने के लिए टेंडर जारी किया है, कार्य भी किए जा रहे हैं।

लेकिन जैसे ही एयर क्वालिटी इंडेक्स 400 के पार होगा, वैसे ही हाट मिक्स प्लांट चलाने पर रोक लग जाएगी। इससे विकास कार्य रुक जाएंगे, ऐसे में नगर निगम के अधिकारियों की तैयारी है कि जल्द से जल्द ये कार्य पूरे करा लिए जाएं।

सड़कों पर उड़ रहा धूल का गुबार, वाहन उगल रहे धुआं

आधी अधूरी तैयारियों के साथ रविवार को ग्रैप लागू कर दिया गया। पहले दिन नियमों को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से लेकर कोई भी विभाग सड़कों पर अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए नजर नहीं आया। लापरवाही देखने को मिली।

सरोजनी नगर, आरकेपुरम, करोल बाग, राजेेंद्र नगर, दिलशाद गार्डन, मोती नगर और द्वारका में निर्माणाधीन स्थलों के बाहर न तो एंटी स्मॉगगन तैनात की गई न ही सड़कों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है।

ऐसे में यहां से उड़ने वाले धूल के गुबार के बीच से राहगीर गुजरने को मजबूर हैं। आलम यह है कि इन निर्माण स्थलों पर निर्माण सामग्री लाने वाले ट्रकों को ढका तक नहीं जा रहा है। इससे यहां से निकलने वाले मिट्टी के ट्रक खुले में ग्रैप की धज्जियां उड़ा रहे हैं।

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एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए लागू किया गया ग्रेप

एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम को लेकर एक अक्टूबर से ग्रेडेड रेस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) लागू हो गया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 के पार जाने पर पाबंदियां लगनी शुरू हो जाएंगी। देश ही नहीं, विश्व के प्रदूषित शहरों की सूची में रहने वाले गाजियाबाद में प्रदूषण की रोकथाम को लेकर क्या तैयारियां की गई हैं।

इस पर संवाददाता राहुल कुमार ने यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी विकास मिश्र से बात की। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश....

ग्रेप के नियमों का पालन किस तरह कराएंगे। इसके लिए पहले से कोई खास तैयारी नहीं की गई है। ऐसे में ग्रेप कैसे सफल होगा?

वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग व जिलाधिकारी द्वारा जिले के सभी विभागीय अधिकारियों के साथ प्रदूषण रोकने के लिए बैठक की जा चुकी है। सभी को उनकी जिम्मेदारी सौंपी गई हैं। लापरवाही पर पिछले साल कई विभागों पर भी जुर्माना लगाया गया था। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सभी नियमों का सख्ती से पालन कराया जाएगा। 

जिले में लोनी सबसे प्रदूषित रहता है। यहां प्रदूषण रोकने में विभाग क्यों फेल है? क्या इसके लिए अलग से कोई योजना तैयार करेंगे?

जिले के अधिक प्रदूषित क्षेत्रों को चिन्हित कर वहां की विशेष निगरानी कर कार्रवाई की जाएगी। प्रदूषण फैलाने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा। प्रदूषण मापने के जिले में कुल चार स्टेशन है। इनमें से लोनी स्टेशन वहां की नगर पालिका, वसुंधरा व संजयनगर नगर निगम व इंदिरापुरम स्टेशन जीडीए के अंदर आता है।

सभी विभागों को अपने-अपने क्षेत्र में धूल उड़ने से रोकने के लिए पानी का छिड़काव करते हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अवैध फैक्ट्रियों पर लगातार कार्रवाई कर रहा है। लोनी के प्रदूषित रहने का मुख्य कारण क्या है इसका सर्वे कर अलग से योजना बनाकर प्रदूषण रोकथाम के इंतजाम कराए जाएंगे।

ठंड बढ़ने पर प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता है। इससे सांस लेने संबंधी विभिन्न समस्याएं लोगों को होने लगती हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए क्या करेंगे?

प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ-साथ सख्ती भी बढ़ती जाएगी। विभिन्न गतिविधियों पर भी रोक लगाई जाएगी। प्रदूषण रोकथाम के लिए क्षेत्रवार टीमों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। औचक निरीक्षण कर प्रदूषण फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। संबंधित विभाग भी अपने स्तर से कार्रवाई करेंगे। प्रदूषण नियंत्रण में रहे इसके लिए योजना बनाकर काम किया जाएगा।

औद्योगिक इकाइयां बिना ईटीपी के संचालित हैं। उन पर क्या कार्रवाई कर रहे हैं?

बिना ईटीपी प्लांट लगाए संचालित फैक्ट्रियों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है। सभी को ईटीपी लगाने के कड़े निर्देश हैं। ऐसा नहीं करने पर जुर्माना लगाया जाता है।

इसकी जांच के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम औचक निरीक्षण करती है। यह भी जांच की जाती है कि वह पूर्ण रूप से संचालित है या नहीं। बंद पाए जाने पर भी कार्रवाई की जाती है। आगे और सख्ती बढ़ाकर कार्रवाई की जाएगी।

हरनंदी नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए अधिकारी फेल साबित हो रहे हैं। नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए आगे क्या किया जा रहा है?

हरनंदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्रवाई की जा रही है। जिला अधिकारी द्वारा हरनंदी नदी के प्रदूषित होने की वास्तविकता जानने के लिए अलग से टीम भी गठित है। हरनंदी नदीं में गिरने वाले सभी 10 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की निगरानी की जा रही है। हरनंदी को प्रदूषित करने वालों की सूची तैयार की जा रही है।

प्रदूषण के इन कारकों पर देना होगा ध्यान

प्रदूषण फैलने के विभिन्न कारण हैं। इसमें सड़कों पर उड़ती धुल, टूटी सड़क, निर्माण सामग्री, डीजल जेनरेटर, पुराने वाहनों व औद्योगिक क्षेत्र की चिमनियों से निकले वाला धुआं आदि वायु प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत हैं। 

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